आलसी किसान । Lazy Farmer

रिमझिम हो रही बारिश से पूरी सड़क दलदल में बदल चुकी थी। हरी सिंह को अपना अनाज ले कर अगले दिन मंडी पहुचना था। इसलिए रात की परवाह न करते हुए वह शाम को ही अपने बैलगाड़ी लेकर दीनापुर के लिए निकल पड़ा।

बढ़ते हुए अँधेरे के साथ बैलो का सड़क पर चलना मुश्किल होता जा रहा था। दलदल के कारण वह बड़ी मुश्किल से बैलगाड़ी को खींच पा रहे थे। घोर अँधेरे और कीचड़ के कारण एका एक बैलगाड़ी का एक पहिया कीचड़ में धस गया। हरी सिंह बैलगाड़ी पर बैठा बैलो को मारता रहा ताकि वो जोर लगाये और गाड़ी निकल जाये परंतु फिर भी बैलगाड़ी का पहिया नहीं निकला।

हरी सिंह अब बैलगाड़ी पर से उतर गया और किसी की मदद का इंतजार करने लगा। परन्तु जब वो भी नही मिली तो खुद को लाचार मान कर बैठ गया और अपनी किस्मत को इसके लिए जिमेदार ठहराने लगा। आसमान की तरफ मुह करके भगवान् को बुरा भला कहने लगा।

काफी इंतज़ार के बाद भगवान उसके सामने प्रकट हो गए और बोले "तुम्हारी इस स्तिथि के लिए तुम स्वयं जिम्मेवार हो। यदि तुमने बैलगाड़ी से उतरकर थोड़ा भी जोर बैलो के साथ लगाया होता तो तुम्हारी गाड़ी निकल जाती। तुम स्वयं अपनी मदद करने की वजाय दूसरी की मदद का इंतजार करने लगे। भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते है".

हरी सिंह ये शब्द सुन कर शर्मिंदा हो गया। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया । उसने उसी पल अपने कंधों से पहिये को धकेला और बैलगाड़ी का पहिया बाहर आ गया। उसने भगवान का शुक्रिया किया और ख़ुशी ख़ुशी वंहा से चल पड़ा।

शिक्षा: भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते हैं।

यही जीवन है दोस्तों । हम अक्सर भगवान को अपने जीवन में आने वाली कठिनाईयो का कारण मानते हैं पंरन्तु इन सभी के लिए हम खुद जिम्मेदार है।