लहसुन भारतीय व्यंजनों में उपयोग होने वाला एक महतव्पूर्ण घटक है। परंतु खाने को लज़ीज़ बनाने के अलावा भी लहसुन के कई स्वास्थ्य लाभ है। यूनिवरसिटी ऑफ मेरिलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार एक स्वस्थ वयस्क दिन में 1 ग्राम के लगभग 4 कलियो का सेवन कर सकता है। लहसुन में पाये जाना वाला मुख्य घटक अल्लिसिन (Allicin) इसे गंध एवं स्वाद प्रदान करने के साथ-साथ इसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी प्रदान करता है। इसके अलावा लहसुन सेलेनियम का भी अच्छा सत्रोत है। लहसुन का सेवन आप खाने में पका कर या फिर कच्चे रूप में भी कर सकते है। आइए जाने लहसुन के कौन कौन से अन्य स्वास्थ्य लाभ है:
कैंसर के इलाज़ में:
लहसुन में पाया जाने वाला एलिल-सल्फाइड़ कैंसर के इलाज़ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
रक्तचाप घटाने में:
लहसुन में मौजूद अल्लिसिन(Allicin) , एंजिओटेंसिम-II (Angiotensim II) नामक प्रोटीन की प्रतिक्रियाओ को बंद करके रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। यह प्रोटीन उच्च रक्तचाप बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
लहसुन में मौजूद पोली-सल्फाइड़ (Polysulphide) को लाल रक्त कौशिकाओ द्वारा हाइड्रोजन सल्फाइड़ नामक गैस में बदला जाता है जो रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है
कान एवं दांत दर्द में :
कण में दर्द होने पर लहसुन की दो कलियो को सरसों के तेल में जला ले। फिर इस तेल को हलका सा गुनगुना रहने पर उसकी दो बुँदे रोगी के कान में डाल दे। कान दर्द बंद हो जाएगा।
इसी तरह दाँत दर्द होने पर लहसुन की कली को पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिलता है।
गठिए के इलाज़ में :
लहसुन कस मुरब्बा बनाकर खाना गठिए में लाभदायक है।
टीवी रोग के इलाज में :
लंग्स पर कफ जमा होने के कारण फेफड़े खराब हो जाते है जो टीबी का रूप धरण करते है। टीबी के मरीज को लहसुन की खीर बना कर खाने से चार महीनो के अंदर रोग से मुक्ति मिलती है। एक पाव गाय के दूध में दस-ग्यारह कालिया लहसुन की डालकर उबालिए। जब कालिया दूध में गल जाए तो उसे उतारकर ठंडा करे। इसमें 2 चम्मच शक्कर के मिला कर दिन में 3 बार रोगी को सेवन करवाए।
इसके अलावा फेफड़ो में कफ होने पर लहसुन के रस में रुई भिगोकर सूंघना चाहिए। इससे फेफड़ो में जमा कफ साफ हो जाएगा क्योकि लहसुन कफ़नाशक होता है। इसके अलावा टीवी रोगी दिन में 3-4 कालिया कच्ची भी चबा सकता है।
विटामिन-सी की अधिकता :
स्कर्वी के इलाज़ में विटामिन-सी का इस्तेमाल किया जाता है और लहसुन विटामिन-सी का उच्च सत्रोत है।
हृदय रोग में :
उम्र बढ्ने के साथ-साथ धमनियों का लचीलापन कम होता जाता है और लहसुन इस लचीलेपन को बनाए रखता है। लहसुन में मौजूद सल्फर युक्त यौगिक रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा होने की समस्या को कम करते है। लहसुन में मौजूद अजोएन(Ajoene) रक्त वाहिकाओ में रक्त के थक्के के गठन को रोकने में मदद करता है और हृदय रोगो से बचाए रखने में मदद करता है।
विटामिन-बी6 का उच्च सत्रोत :
लहसुन विटामिन-बी6 का प्रमुख सत्रोत है जो की प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा विटामिन-बी6 मिजाज को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
मधुमेह रोग के इलाज़ में:
लहसुन इंसुलिन के निर्माण को कम करके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है
आयरन की कमी को पूरा करने और अनिमिया को दूर करने में:
लहसुन में मौजूद डाइलील सल्फाइड़ (Diallyl sulphides) फेरोर्प्रोटीन (ferroprotien) के उत्पादन को बढ़ाकर आइरन मेटाबोलिस्म को दरुस्त करता है। और ये सब आयरन की कमी को दूर करने और अनिमिया जैसे रोगो से लड़ने में मदद करता है।
कैंसर के इलाज़ में:
लहसुन में पाया जाने वाला एलिल-सल्फाइड़ कैंसर के इलाज़ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
रक्तचाप घटाने में:
लहसुन में मौजूद अल्लिसिन(Allicin) , एंजिओटेंसिम-II (Angiotensim II) नामक प्रोटीन की प्रतिक्रियाओ को बंद करके रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। यह प्रोटीन उच्च रक्तचाप बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
लहसुन में मौजूद पोली-सल्फाइड़ (Polysulphide) को लाल रक्त कौशिकाओ द्वारा हाइड्रोजन सल्फाइड़ नामक गैस में बदला जाता है जो रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है
कान एवं दांत दर्द में :
कण में दर्द होने पर लहसुन की दो कलियो को सरसों के तेल में जला ले। फिर इस तेल को हलका सा गुनगुना रहने पर उसकी दो बुँदे रोगी के कान में डाल दे। कान दर्द बंद हो जाएगा।
इसी तरह दाँत दर्द होने पर लहसुन की कली को पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिलता है।
गठिए के इलाज़ में :
लहसुन कस मुरब्बा बनाकर खाना गठिए में लाभदायक है।
टीवी रोग के इलाज में :
लंग्स पर कफ जमा होने के कारण फेफड़े खराब हो जाते है जो टीबी का रूप धरण करते है। टीबी के मरीज को लहसुन की खीर बना कर खाने से चार महीनो के अंदर रोग से मुक्ति मिलती है। एक पाव गाय के दूध में दस-ग्यारह कालिया लहसुन की डालकर उबालिए। जब कालिया दूध में गल जाए तो उसे उतारकर ठंडा करे। इसमें 2 चम्मच शक्कर के मिला कर दिन में 3 बार रोगी को सेवन करवाए।
इसके अलावा फेफड़ो में कफ होने पर लहसुन के रस में रुई भिगोकर सूंघना चाहिए। इससे फेफड़ो में जमा कफ साफ हो जाएगा क्योकि लहसुन कफ़नाशक होता है। इसके अलावा टीवी रोगी दिन में 3-4 कालिया कच्ची भी चबा सकता है।
विटामिन-सी की अधिकता :
स्कर्वी के इलाज़ में विटामिन-सी का इस्तेमाल किया जाता है और लहसुन विटामिन-सी का उच्च सत्रोत है।
हृदय रोग में :
उम्र बढ्ने के साथ-साथ धमनियों का लचीलापन कम होता जाता है और लहसुन इस लचीलेपन को बनाए रखता है। लहसुन में मौजूद सल्फर युक्त यौगिक रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा होने की समस्या को कम करते है। लहसुन में मौजूद अजोएन(Ajoene) रक्त वाहिकाओ में रक्त के थक्के के गठन को रोकने में मदद करता है और हृदय रोगो से बचाए रखने में मदद करता है।
विटामिन-बी6 का उच्च सत्रोत :
लहसुन विटामिन-बी6 का प्रमुख सत्रोत है जो की प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा विटामिन-बी6 मिजाज को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
मधुमेह रोग के इलाज़ में:
लहसुन इंसुलिन के निर्माण को कम करके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है
आयरन की कमी को पूरा करने और अनिमिया को दूर करने में:
लहसुन में मौजूद डाइलील सल्फाइड़ (Diallyl sulphides) फेरोर्प्रोटीन (ferroprotien) के उत्पादन को बढ़ाकर आइरन मेटाबोलिस्म को दरुस्त करता है। और ये सब आयरन की कमी को दूर करने और अनिमिया जैसे रोगो से लड़ने में मदद करता है।
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