आइए जाने बिना एटीएम कार्ड ,नेट बैंकिंग, ई-वालेट्स या फिर स्मार्ट फोन के कैसे करें पैसो का भुगतान | NUUP

दोस्तो बदलते हुये इस दौर में हर कोई आज डिजिटल होना चाहता है। आज आपको घंटो लाइन में खड़े होकर अपना बिजली का बिल नहीं भरना पड़ता , अपने बच्चो की फीस जमा कराने के लिए ऑफिस से छुट्टी नहीं लेनी पड़ती यंहा तक की आप अपने खाते में बकाया राशि तक का विवरण भी बिना बैंक जाये अपने फोन पर पा सकते है। इन सभी को पूरा करने के लिए हम तकनीकों को अलग अलग रूप में इस्तेमाल करते है जैसे नेट बैंकिंग ,मोबाइल बैंकिंग ,डेबिट कार्ड्स ,ई-वाललेट्स इत्यादि। लेकिन , इन सभी को इस्तेमाल करने के लिए आप के पास इंटरनेट के साथ-साथ स्मार्ट फोन होना अनिवार्य है। तो आज हम आप को बता रहे है एक ऐसा तरीका जिसका इस्तेमाल आप सब्जी वाले ,दूध वाले से लेकर एक चाय वाले तक को पैसो का भुगतान बिना किसी POS (पॉइंट ऑफ सेल) या फिर एटीएम कार्ड के कर सकते है।


क्या है NUUP (National Unified USSD(Unstructured Supplementary Service Data) Platform) ?


यह एक मोबाइल बैंकिंग सुविधा है। जिसका इस्तेमाल साधारण GSM मोबाइल से बैंकिंग एप्लिकेशन सॉफ्टवेर के साथ कोम्मूनिकेट करने के लिए किया जाता है। और जिसका उद्देश्य सभी banks को जोड़ने का है।


कैसे करें सुविधा को एक्टिवेट ?

इस सुविधा का उपयोग करने के लिए आपके पास एक बैंक अकाउंट एवं एक जीएसएम (GSM) मोबाइल नम्बर होना अनिवार्य है। फोन का स्मार्ट फोन होना जरूरी नहीं है। एक सिम्पल फोन का इस्तेमाल करके भी आप इस सुविधा का फाइदा उठा सकते है।

इस सुविधा को उपयोग में लाने के लिए आपके मोबाइल नंबर एवं खाते को बैंक द्वारा जोड़ा जाता है। या नजदीकी एटीएम में भी आप आपके खाते को अपने मोबाइल नंबर से लिंक कर सकते है।

मोबाइल नंबर के खाते से जुडते ही आपको बैंक द्वारा एक MMID (मोबाइल मनी आइडेंटिफ़ायर) एवं MPIN (मोबाइल पिन ) प्रदान किया जाएगा । अब आपको अपनी सिर्फ ये दो चीजे याद रखनी है। इसके अलावा *99# दबा कर भी आप अपना MMID या फिर MPIN चेक कर सकते है।

कैसे करें सुविधा का उपयोग?



  • किसी के खाते में पैसे ट्रान्सफर करने के लिए अपने फोन से डायल करें *99#




  • अपने बैंक के शॉर्ट नामे के पहले तीन अक्षर दर्ज करें जैसे SBI ,PNB ,SBP ,ICI ,BOI इत्यादि




  • आपको नीचे दिया गया मीनू प्राप्त होगा। इसमें आप अकाउंट स्टेटमेंट से लेकर पैसे ट्रान्सफर जैसे कई काम कर सकते है। अब आपको मान लीजिये सब्जी वाले को पैसे चुकाने है तो आप ऑप्शन 3 सिलैक्ट कर सकते है।






  • इसके बाद आपको मोबाइल नंबर डालना है उस व्यक्ति का जिसे आप ने भुगतान करना है। (उदाहरण के लिए सब्जी वाले का )



  • अब उस व्यक्ति का सात अंको वाला एमएमआईडी (MMID) दर्ज करें।




  • राशि दर्ज करें। आप चाहे तो सिंगल स्पेस दे कर विवरण भी दे सकते है।





  • चार अंको का अपना MPIN दर्ज करें और हो गया भुगतान।



क्या लाभ है इसे उपयोग  करने के?
इस सुविधा का उपयोग आप बिना स्मार्ट फोन के भी कर सकते है
कोई भी इंटरनेट कनैक्शन नहीं चाहिए।
इसका इतेमाल हर उस जगह किया जा सकता है जहाँ POS उपलब्ध नही है। 

कामयाबी के लिए क्या जरूरी है? केंद्रित होना , किस्मत ,मेहनत ? या फिर कुछ और ! What Makes you Successful? Luck Hard Work or Focus ? or Something Else !

क्या आपने कभी सोचा है कि बिल गेट्स , रतन टाटा या फिर सचिन तेंदुलकर जैसे व्यक्ति अपनी जिंदगी में इतने कामयाब कैसे हुये है? जब आप इस बात पर विचार करते है तो आप के मन में कई जबाब पैदा होते है। और अधिकतर का जबाब होगा किस्मत , कड़ी मेहनत , लग्न इत्यादि। हाँ कुछ हद तक तो यह समझ में आता है परंतु क्या असलियत में भी ऐसा है? आइए इन सभी कारणो पर एक-एक कर नज़र डालें।
किस्मत (Luck)
यह सभी का सबसे प्रिय शब्द है। जब भी हम कामयाब लोगो की बात करते है हम उन्हे भाग्यशाली मानते है। परंतु असलियत में किस्मत क्या है? क्या ये सिर्फ एक मौका है ? एक संयोग है ? यदि हाँ तो कैसे ये लोग हर बार कामयाब होते चले जाते है। यदि मैं ये कहूँ की किस्मत भी जरूरी है तो मेरे अनुसार किस्मत दृढ़ता संभावना और प्राथमिकता का मिश्रण होना चाहिए । मौका हर दिन हर इंसान को मिलता है। परंतु हम में से कुछ ही लोग उस मौके का फ़ायदा बिना किसी विलम्ब किए उठाते है। और हम आसानी से उनके भाग्यशाली होने का दावा कर देते है। परन्तु यदि हम गंभीरता से देखे तो पाएंगे कि सिर्फ वो ही लोग भाग्यशाली है जिन्होने मिले हुये अवसर को उपयोग किया है और उस मिले हुये अवसर को अपनी कामयाबी में परिवर्तित किया है। 

कड़ी मेहनत (Hard Work)
और जो लोग किस्मत में विश्वास नहीं करते उन में से अधिकतर का जबाब होता है “नहीं-नहीं ये किस्मत नहीं मेरी कड़ी मेहनत है”। एक व्यक्ति तभी एक काम में निपुण हो सकता है यदि उसने उस काम का घंटो अभ्यास किया हो। इसका मतलब यह हुया कि उसने घंटो मेहनत करने के बाद उस काम में निपुणता हांसिल कि है। बिना मेहनत किए कभी भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। सचिन तेंदुलकर 24 वर्ष की उम्र में कामयाबी की चर्म सीमा पर थे जबकि उन्होने 16 साल की उम्र में ही अपनी काबिलियत दिखानी शुरू कर दी थी। बिना मेहनत किए कामयाबी हांसिल नहीं की जा सकती, ये बात जानते हुये भी कुछ लोग मेहनत करना पसंद नहीं करते। 


केन्द्र्ता (Focus) 
बिना केन्द्र्ता के किया गया कठिन परिश्रम भी असफलता का कारण बनता है। लग्न और एकाग्रता सफलता के दो महत्वपूर्ण अंग है। हम सभी अक्सर इस कठिनाई से गुजरते है कि हम अपना ध्यान किसी एक चीज़ पर केन्द्रित नहीं कर सकते। क्या कामयाब लोगो के दिमाग में कुछ अलग है जो उन्हे केन्द्रित बनाए रखता है? नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है। कामयाब लोगो में पाया जाने वाला दिमाग भी आम लोगो जैसा है। 

ऊपर दिये सभी कारक सफलता के लिए जरूरी है। परन्तु क्या इन सब से ही सफलता प्राप्त कि जा सकती है? नहीं , इन सभी से भी महत्वपूर्ण घटक है “आंतरिक लक्ष्य ” । परन्तु दुर्भाग्य कि बात यह है कि बहुत से लोग अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद भी इस बात का पता नहीं चला पाते कि उनके जीवन का लक्ष्य क्या था? और वो जीवन में क्या करना चाहते थे। 

कैस पहचाने आंतरिक लक्ष्य को? 
ये कोई बहुत मुश्किल काम नहीं। बिना समाज के दबाब में आए आप खुद से ये सवाल करें कि आप जीवन में क्या करना चाहते है? आप के जीवन में कौन सी वो चीज़ है जो आपके लिए मायने रखती है ? वो कौन सी ऐसी चीज़ है जिसके बिना आपकी ज़िंदगी अर्थहीन है? और एक बार आपने उस आंतरिक लक्ष्य को पहचान लिया ,उस लक्ष्य को पाने के लिए किया गया हर काम आपको खुशी और सकुन देगा। आपके आंतरिक लक्ष्य ही आपके फैसलो को निर्धारित करते है। यदि एक व्यक्ति क्रिकेट देखना पसंद करता है तो वह हर हाल में मैच देखेगा चाहे उसे ऊंची रकम चुका कर भी मैच देखना पड़े। 

जाने अंजाने में हम अक्सर ऐसे काम करते है जो हमे हमारे आंतरिक लक्ष्य कि ओर ले जाए। एक कामयाब इंसान केवल वही काम करता है जो उन्हे उनके लक्ष्य कि ओर ले जाए। जबकि एक आम इंसान ऐसा नहीं करता, वो अपना पूरा जीवन बाह्य इच्छाओ को पूरा करने में लगा देता है और वही इच्छाए उसके जीवन में दुख और तनाव का कारण बनती है। 

"यदि आप जीवन में कामयाबी चाहते है यो अपनी आंतरिक इच्छाओ को पहचानिए। आपका  हर कदम आपके लक्ष्यकि ओर होना चाहिए। और इस तरह कड़ी मेहनत , किस्मत और केंद्रता मिलकर आपको कामयाबी कि ओर ले जायेंगे। "




कुछ चीजें हमेशा के लिए लुप्त होने वाली है | Things that will Soon Disappear Forever

अंधेरा (Blackouts)
तकनीकी युग ने आज हर घर में अंधेरा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। बिजली के जाते ही इन्वेर्टर ऑन हो जाता है। ऐसी तकनीक का विकास किया गया है जो दिन में सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली की आपूर्ति को पूरा करती है। और अधिक उत्पादन होने पर उसे एलेट्रिक स्टेशन को  भेज कर किसी और जगह भेजने के लिए ऊर्जा उलपब्ध कराती है। इस से न केवल बिजली बिल नियंत्रित होता है बल्कि बिजली की खपत और मांग में भी सही अनुपात बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
चाबी(Keys)
घर में उपयोग में आने वाली चाबिया अब धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। आज के युग में घरो से लेकर ऑफिस तक सभी जगह एलेक्ट्रोनिक लोक्स का इस्तेमाल होने लगा है। इन्हे खोलने के लिए या तो डिजिटल कार्ड्स या फिर फ़ेस या फिंगर प्रिंट्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है। और बदलते युग के साथ साथ इनका नियंत्रण मोबाइल फोन के साथ ही किया जाने लगा है। आधुनिक युग में इस्तेमाल होने वाले तालो को आप बिना चाबी के किसी भी जगह बैठ कर नियंत्रित कर सकते है।
फास्ट फूड कर्मचारी ( Fast Food  Employees)
आज ऑर्डर लेने वाले कर्मचारियो की जगह किओस्क्स (Kiosks) ने ले ली है। खाना परोसने के लिए  रोबॉट्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है। खाना पकाने से लेकर बर्तन धोने तक के हर काम मशीनों से किए जाते है। इन मशीनों के रख रखाव के लिए कम से कम लोगो को रखा जाने लगा है।


कॉलेज पाठ्यपुस्तक (College Textbooks)
स्कूल और कॉलेज मे इस्तेमाल होने वाली पाठ्यपुस्तकों की जगह अब डिजिटल मीडिया ने ले ली है। बच्चे अब पुस्तक की बजाय टेबलेट या फिर कम्प्युटर पर पढ़ना ज्यादा पसंद करते है। पाठय क्रम को इतनी बढ़िया तरीके से अनिमेटेड (Annimated) रूप में प्रस्तुत किया जाता है की पाठ्यक्रम को समझने में विद्यार्थी को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। यह तकनीक उन लोगो के लिए बहुत कारगर साबित होते है जो स्वयं अध्यन करना चाहते है।

डाइल अप इंटरनेट (Dial-Up Internet)
आपके लिए डायल अप मॉड़म की डाइलिंग टोन को सुनना अब एक सपना बनकर रह जाएगा। ये मॉड़म आप को या तो केवल म्यूज़ियम या फिर किसी बिलकुल देहाती क्षेत्र में ही देखने को मिलेंगे। एक अध्यन के अनुसार अमेरिका में 2013 में सिर्फ 3% लोगो ने ही डाइल अप कनैक्शन का इस्तेमाल किया। और 13 वर्ष पहले केवल 3% लोगो के पास ही ब्रॉडबैंड कनैक्शन थे।

हल (Plow)
पुरातन समय से कृषि में उपयोग आने वाला मुख्य औज़ार "हल" अब लुप्त होने जा रहा है। खेतो में होने वाला अधिकतर काम मशीनों की मदद से किया जाने लगा है। ट्रैक्टर के इस्तेमाल ने किसान के पराश्रम को कम किया है तथा कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा दिया है।
मेल बॉक्स (Mail Box)
पुरातन समय में प्रेमियो के लिए दवा का काम करने वाले मेल बॉक्स आज घटते जा रहे है। केवल सरकारी स्तर पर ही डाक सेवा का इतेमाल किया जा रहा है। डाक भेजने वाले लोगो की संख्या में 2004 से लेकर 2015 तक 57% की गिरावट आई है। चिट्ठियों सदेशों को भेजने के लिए लोग ईमेल का इस्तेमाल करते है। संदेश अब महीनो या दिनों में नहीं बल्कि सेकेंड्स में डिलीवर हो जाता है।
पुराने लाइट बल्ब्स(Traditional Light bulbs)

1 जनवरी 2014 के बाद से ही अमेरिका में 40W ओर 100W के बल्ब बनाने वाले उत्पादको को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया है। पुराने बल्ब की जगह पहले सीएफ़एल (CFL) और अब एलईडी (LED) लाइट्स ने ले ली है। उपयोग में लाये जाने वाले ये बल्ब ना केवल ऊर्जा को बचाने में हमारी मदद करते है बल्कि इनकी जीवन अवधि भी अधिक है। 

लहसुन खाने के स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Eating Garlic

लहसुन भारतीय व्यंजनों में उपयोग होने वाला एक महतव्पूर्ण घटक है। परंतु खाने को लज़ीज़ बनाने के अलावा भी लहसुन के कई स्वास्थ्य लाभ है। यूनिवरसिटी ऑफ मेरिलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार एक स्वस्थ वयस्क दिन में 1 ग्राम के लगभग 4 कलियो का सेवन कर सकता है। लहसुन में पाये जाना वाला मुख्य घटक अल्लिसिन (Allicin) इसे गंध एवं स्वाद प्रदान करने के साथ-साथ इसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी प्रदान करता है। इसके अलावा लहसुन सेलेनियम का भी अच्छा सत्रोत है। लहसुन का सेवन आप खाने में पका कर या फिर कच्चे रूप में भी कर सकते है। आइए जाने लहसुन के कौन कौन से अन्य स्वास्थ्य लाभ है:

कैंसर के इलाज़ में:
लहसुन में पाया जाने वाला एलिल-सल्फाइड़ कैंसर के इलाज़ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

रक्तचाप घटाने में:
लहसुन में मौजूद अल्लिसिन(Allicin) , एंजिओटेंसिम-II (Angiotensim II) नामक प्रोटीन की प्रतिक्रियाओ को बंद करके रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। यह प्रोटीन उच्च रक्तचाप बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
लहसुन में मौजूद पोली-सल्फाइड़ (Polysulphide) को लाल रक्त कौशिकाओ द्वारा हाइड्रोजन सल्फाइड़ नामक गैस में बदला जाता है जो रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है

कान एवं दांत दर्द में :


कण में दर्द होने पर लहसुन की दो कलियो को सरसों के तेल में जला ले। फिर इस तेल को हलका सा गुनगुना रहने पर उसकी दो बुँदे रोगी के कान में डाल दे। कान दर्द बंद हो जाएगा।
इसी तरह दाँत दर्द होने पर लहसुन की कली को पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिलता है।

गठिए के इलाज़ में :
लहसुन कस मुरब्बा बनाकर खाना गठिए में लाभदायक है।

टीवी रोग के इलाज में :
लंग्स पर कफ जमा होने के कारण फेफड़े खराब हो जाते है जो टीबी का रूप धरण करते है। टीबी के मरीज को लहसुन की खीर बना कर खाने से चार महीनो के अंदर रोग से मुक्ति मिलती है। एक पाव गाय के दूध में दस-ग्यारह कालिया लहसुन की डालकर उबालिए। जब कालिया दूध में गल जाए तो उसे उतारकर ठंडा करे। इसमें 2 चम्मच शक्कर के मिला कर दिन में 3 बार रोगी को सेवन करवाए।
इसके अलावा फेफड़ो में कफ होने पर लहसुन के रस में रुई भिगोकर सूंघना चाहिए। इससे फेफड़ो में जमा कफ साफ हो जाएगा क्योकि लहसुन कफ़नाशक होता है। इसके अलावा टीवी रोगी दिन में 3-4 कालिया कच्ची भी चबा सकता है।


विटामिन-सी की अधिकता :
स्कर्वी के इलाज़ में विटामिन-सी का इस्तेमाल किया जाता है और लहसुन विटामिन-सी का उच्च सत्रोत है।

हृदय रोग में :
उम्र बढ्ने के साथ-साथ धमनियों का लचीलापन कम होता जाता है और लहसुन इस लचीलेपन को बनाए रखता है। लहसुन में मौजूद सल्फर युक्त यौगिक रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा होने की समस्या को कम करते है। लहसुन में मौजूद अजोएन(Ajoene) रक्त वाहिकाओ में रक्त के थक्के के गठन को रोकने में मदद करता है और हृदय रोगो से बचाए रखने में मदद करता है।

विटामिन-बी6 का उच्च सत्रोत :
लहसुन विटामिन-बी6 का प्रमुख सत्रोत है जो की प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा विटामिन-बी6 मिजाज को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

मधुमेह रोग के इलाज़ में:
लहसुन इंसुलिन के निर्माण को कम करके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है

आयरन की कमी को पूरा करने और अनिमिया को दूर करने में:
लहसुन में मौजूद डाइलील सल्फाइड़ (Diallyl sulphides) फेरोर्प्रोटीन (ferroprotien) के उत्पादन को बढ़ाकर आइरन मेटाबोलिस्म को दरुस्त करता है। और ये सब आयरन की कमी को दूर करने और अनिमिया जैसे रोगो से लड़ने में मदद करता है।


आलसी किसान । Lazy Farmer

रिमझिम हो रही बारिश से पूरी सड़क दलदल में बदल चुकी थी। हरी सिंह को अपना अनाज ले कर अगले दिन मंडी पहुचना था। इसलिए रात की परवाह न करते हुए वह शाम को ही अपने बैलगाड़ी लेकर दीनापुर के लिए निकल पड़ा।

बढ़ते हुए अँधेरे के साथ बैलो का सड़क पर चलना मुश्किल होता जा रहा था। दलदल के कारण वह बड़ी मुश्किल से बैलगाड़ी को खींच पा रहे थे। घोर अँधेरे और कीचड़ के कारण एका एक बैलगाड़ी का एक पहिया कीचड़ में धस गया। हरी सिंह बैलगाड़ी पर बैठा बैलो को मारता रहा ताकि वो जोर लगाये और गाड़ी निकल जाये परंतु फिर भी बैलगाड़ी का पहिया नहीं निकला।

हरी सिंह अब बैलगाड़ी पर से उतर गया और किसी की मदद का इंतजार करने लगा। परन्तु जब वो भी नही मिली तो खुद को लाचार मान कर बैठ गया और अपनी किस्मत को इसके लिए जिमेदार ठहराने लगा। आसमान की तरफ मुह करके भगवान् को बुरा भला कहने लगा।

काफी इंतज़ार के बाद भगवान उसके सामने प्रकट हो गए और बोले "तुम्हारी इस स्तिथि के लिए तुम स्वयं जिम्मेवार हो। यदि तुमने बैलगाड़ी से उतरकर थोड़ा भी जोर बैलो के साथ लगाया होता तो तुम्हारी गाड़ी निकल जाती। तुम स्वयं अपनी मदद करने की वजाय दूसरी की मदद का इंतजार करने लगे। भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते है".

हरी सिंह ये शब्द सुन कर शर्मिंदा हो गया। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया । उसने उसी पल अपने कंधों से पहिये को धकेला और बैलगाड़ी का पहिया बाहर आ गया। उसने भगवान का शुक्रिया किया और ख़ुशी ख़ुशी वंहा से चल पड़ा।

शिक्षा: भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते हैं।

यही जीवन है दोस्तों । हम अक्सर भगवान को अपने जीवन में आने वाली कठिनाईयो का कारण मानते हैं पंरन्तु इन सभी के लिए हम खुद जिम्मेदार है।

आइए जाने क्यों है पानी अमृत | Health Benefits of Drinking Water

पानी मनुष्य के शरीर का मुख्य घटक है। वास्तव में शरीर का 55 से 78% भाग पानी की रचना है और शरीर के आकार पर निर्भर करता है। पर्याप्त और नियमित रूप से पानी पीने के कई स्वास्थ्य लाभ है। इसके अलावा यह कैलोरी, वसा , कार्बोहाइड्रेट तथा चीनी मुक्त है। पानी की मात्रा जो आप हर रोज उपभोग करते है एक स्वस्थ शरीर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विशेषज्ञों के अनुसार एक व्यक्ति को दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पीना चाहिए। पुरुषों को दिन में कम से कम 3 लिटर तथा महिलाओ को लगभग 2.2 लिटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए।
पानी शरीर को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।जो आवश्यक है, क्योंकि शरीर में लगभग हर सेल को ठीक ढंग से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है।

थकान से छुटकारा
यदि आप अक्सर थका हुआ महसूस करते है तो इसका मुख्य कारण पानी की अपर्याप्त खपत है जिसकी वजह से शरीर कम कुशलता से काम करता है। पानी की कमी के कारण हृदय को आक्सीजन युक्त रक्त शरीर के सभी अंगो तक पहुंचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और प्रमुख अंग भी कम कुशलता से काम करते हैं। इस प्रकार आप पर्याप्त पानी पीकर अपने शरीर के अंगो को बेहतर काम करने और थकान को कम में सफलता प्रपट कर सकते है।

मूड में सुधार
अनुसंधान दर्शाते है कि हल्का निर्जलीकरण भी आपके मूड पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और आपके सोचने की क्षमता को कम करता है। आपके मूत्र का रंग हाइड्रेशन के स्तर का एक अच्छा संकेत है। हल्का रंग बेहतर हाइड्रेशन का सूचक है और गहरा रंग डीहाइड्रेशन का।

सिर दर्द को कम करने में
यदि आप सिर दर्द या माइग्रेन से ग्रसित है तो पहली चीज जो आप कर सकते है वो है अधिक से अधिक मात्र में पानी पीना। सिरदर्द अक्सर निर्जलीकरण के कारण होता है। तंत्रिका विज्ञान के यूरोपीय जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है की पानी अधिक पीने वालों में सिर दर्द की अवधि कम हुयी तथा उसकी तीव्रता को कम करने में भी कामयाबी पायी गयी।

पाचन और कब्ज में मदद करता है
 पानी जठरांत्र संबंधी मार्ग के कामकाज में सुधार करता है। यह पाचन में मदद करता है और कब्ज से बचाता है। शरीर में पानी की कमी कब्ज का कारण बनती है क्यों की मल पतला नहीं हो पाता और उसे पारित करने
में बहुत कठिनाई होती है। पर्याप्त पानी पीना मेटाबोलिस्म को बढ़ा देता है और शरीर को ठीक से खाना विघटित करने में मदद करता है। यह आपके पाचन तन्त्र की ठीक से काम करने में मदद करता है और नियमित रूप से मल त्याग को बढ़ावा देता है। गर्म पानी, विशेष रूप से, पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है ।

वजन घटाने में मदद करता है:
एक चिकित्सीय परीक्षण में वैज्ञानिकों ने पाया है की दो आठ-औंस गिलास पानी भोजन से पहले भूख को दबाने और वजन को कम करने के प्रयासों में मदद करते हैं। जब आप पानी पीते हैं, यह आपके पेट को भरता है और अधिक खाने की प्रवृत्ति को कम कर देता है । यह शरीर में वसा के जलाने की प्रक्रिया को तेज़ करता है और वसा कोशिकाओं के टूटने और उन्मूलन को बढ़ावा देता है।

विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। 
पानी आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलवाने और मुख्य रूप से पसीने और मूत्र के माध्यम से कचरे से छुटकारा पाने में मदद करता है । यह गुर्दे की काम करने की क्षमता को बढ़ाता है और लवण तथा खनिज पदार्थो को मूत्र द्वारा बाहर निकाल कर गुर्दे की पत्थरी की समस्या से बचाव करता है। यद्धयपी आपको दिन में केवल पर्याप्त मात्रा में ही पानी पीना चाहिए क्यों की विशेषज्ञों की एक चेतावनी के अनुसार बहुत अधिक पानी पीना गुर्दे की अपशिष्ट पदार्थो को बाहर फिल्टर करने की क्षमता को कम कर सकता है।

शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है
पानी की प्र्याप्त मात्रा शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है। अच्छी तरह से विनियमित शरीर का तापमान आपको ऊर्जावान बनाए रखता है। पानी आपके शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों में लूब्रिकेंट की तरह कार्य करता है तथा ऐंठन और मोच को रोकने में मदद करता है ।

स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा :
पानी शरीर को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखता है और केशिका रक्त प्रवाह (capillary blood flow) को बढ़ावा देता है जो बदले में त्वचा की नमी और सुंदरता को बनाए रखने में मदद करता है। जब आपके शरीर को प्रयाप्त पानी मिल जाता है तो आपकी त्वचा ताजा,नरम और चिकनी दिखाई देगी। इसके अलावा पानी लाइनों , निशान, मुँहासे, झुर्रियाँ और उम्र बढ़ने के अन्य लक्षणों के उपचार में मदद करता है।

नशे को कम करने के लिए : 
पानी एक सरल और प्रभावी तरीके के रूप में नशे से मुक्ति पाने में मदद करता है। एक मूत्रवर्धक होने के नाते,शराब अधिक पैशाब आने का कारण बनती है और पानी की कमी का भी। इस प्रकार पानी आपके शरीर को पुनः हाइड्रेट करके ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करता है ।

विशेषज्ञ, यदि आप ने बहुत अधिक शराब पी ली है तो, रात को सोने से पहले कम से कम 20 औंस पानी पीने की सलाह देते हैं।

मुह की बदबू को कम करने :
मुह से आने वाली बदबू इस बात का प्रमाण है की आप पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं पी रहे। यह आपके मुह में नमी बनाए रखता है और खाद्य कणों और बैक्टीरिया को दूर करने में मदद करता है। शरीर में पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने के लिए आप फ्रूट जूस इत्यादि का भी सेवन कर सकते है।

दोस्तो आम फल ही नहीं बल्कि एक औषधिय पौधा भी है। Health Benefits of Mango & Mango Tree

आम का नाम सुनते ही दोस्तो मुह में पानी आ जाता है। इसे फलो का राजा भी कहते है। आम का पेड़ स्वादिष्ट फल देने के साथ साथ अनेक रूपो में उपयोग होता है। इसकी लकड़ी मजबूत होती है। इसलिए इसका उपयोग इमारतों के निर्माण एवं फ़र्निचर के निर्माण में होता है। वहीं इसकी लकड़ी का धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान आम के पत्तों और इसकी लकड़ी के बिना सम्पन्न नहीं होता।

आम के पेड़ से प्राप्त दूध से गोंद बनाया जाता है। कच्चे आमों का उपयोग मुरब्बा एवं आचार बनाने में होता है। कच्चे आम से तैयार आमचूर का उपयोग शाक सब्जी चटनी बनाने में होता है।

पका आम मधुर, वीर्यवर्धक, सनग्ध, बल तथा सुखदायक, भारी, वातनाशक, हृदय को प्रिय, वर्ण को शांत करने वाला, शीतल, पित को न बढ्ने वाला होता है।

इन सभी गुणो के साथ साथ आम एक औषधीय पौधा भी है जो हमे कई स्वास्थ्य समस्यायों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आइए जाने ऐसे ही कुछ गुणो के बारे में:

मधुमेह पर: महुमह हो जाने पर आम के नए कोमल पत्तों को सुखाकर चूर्ण रूप में सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह दूर होता है।

जलन पर: आग से जल जाने पर आम के पत्तों की भस्म को आग से जले स्थान पर तरल पदार्थ में मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर भर जाते है और जलन भी कम होती है।

पेट दर्द में : किसी प्रकार के पेट दर्द होने पर आम की गुठली आग में भूनकर नमक मिलाकर सेवन करने से दर्द दूर होता है।
खून बहने पर: किसी भी कारण से बहते खून को रोकने में आम की छाल का चूर्ण लाभदायक होता है। इसको लगाने से रक्त बहना तुरंत रुक जाता है।

अतिसार पर: गर्भवती स्त्री को अतिसार हो जाने पर आम की गुठली खिलाने से अतिसार ठीक हो जाता है।

पसीने पर : अधिक पसीना आने पर गुठली को पीसकर उसका चूर्ण लगाने से पसीना कम आता है।

नाक से खून आने पर: आम की गुठली का रस नाक में डालना लाभदायक होता है।

रक्तावली कै आने पर: मिचली के साथ कै आने पर जिसमें रक्त की मात्रा हो, आम की गुठली का रस नाक में डालना फायदेमंद होता है। इससे मिचली बंद हो जाती है तथा रक्त का आना बंद हो जाता है।

कान दर्द में : कान में पीड़ा होने पर आम के भौर का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से तुरंत लाभ होता है।

सिर दर्द में : सामान्य या विशेष रूप से में दर्द होने पर आम की गुठली ओर चोटी हर्र को बारीक कूटकर उसको दूध में मिलाये फिर इसका लेप सिर पर करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।


अंडकोष बढ़ जाने पर: अंडकोष का बढ़ जाना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन इसका बढ़ जाना दर्द को बढाता है। इसके बढ़ जाने पर आम के वृक्ष की गांठ को पीसकर उसको दूध में मिलाकर लेप तैयार कर ले फिर इस लेप को अंडकोष पर लगाए और साथ ही गरम सेक करें। इससे वृद्धि रुक जाती है और कष्ट नहीं होता।

स्वर विकृति पर: स्वर बिगड़ जाने या हकलाने की समस्या उत्पन्न हो जाने पर आम के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ पीना स्वर विकृति को ठीक करने में सहायक होता है।

पेट में कीड़े हो जाने पर: पेट में कीड़े हो जाने पर आम की गुठली का चूरन शहद के साथ लेना लाभकारी होता है। इसके सेवन से कृमि का नाश होता है।

गर्मी हो जाने पर: किसी भी प्रकार की गर्मी उत्पन्न हो जाने पर आम के अंडर की छाल पीसकर दूध और शहद के साथ लेने से गर्मी दूर हो जाती है।
कमजोरी उत्पन्न होने पर: खाने के साथ आम का सेवन शक्तिवर्धक होता है। इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी का अंत होता है और सफूर्ति मिलती है।

लू लगने पर: गर्मी के मौसम में अत्याधिक गर्मी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस कारण लू लगने की संभावना रहती है। इससे बचाव के लिए कच्चे आम को आग में पकाकर उसका रस निकाल कर पीना चाहिए। लू लगने पर इसका सेवन फायदेमंद होता है।

आइए जाने आवलें के औषधिय गुणो के बारे में | Health Benefits of Indian Gooseberry or Amla


भारतीय करौदा(Indian Gooseberry) जिसे आवलाँ के नाम से जाना जाता है, प्राचीन आयुर्वेद में एक चमत्कारी भोजन के रूप में माना जाता था। विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों की प्रचुरता इसे एक सुपर भोजन बनाती है। यह अभी भी अपने जाने-माने स्वास्थ्य लाभो के लिए विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है।

आवलाँ एक बहुत खट्टा फल है और भारत और उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया में ज्यादातर पाया जाता है। इसके स्वाद के कारण हो सकता है यह आपको पसंद ना आए परंतु इसके स्वास्थ्य लाभ इतने ज्यादा है की आप उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। स्वादिष्ट चटनी , अचार, जैम, मुरब्बे और जूस के रूपों में आप इस फल के स्वाद का आनन्द ले सकते हैं।

आवलें के उपयोग औषधि के रूप में:

बुखार व अतिसार में : आवलें का रस, अंगूर व शहद के साथ मिश्रित कर शर्बत के रूप में सेवन करने से ज्वर व अतिसार जैसे रोगो में आराम मिलता है।

प्रदर में : प्रदर में आवलें का चूरन बना कर उसे शहद व मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से सफ़ेद प्रदर दूर हो जाता है।

सिर दर्द में: सिर दर्द करने पर या फिर सिर ब्भरी रहने पर आवलें का चूरन गुलाब जल में मिलकर सिर के ऊपर लेप करने से आराम मिलता है।

नेत्र संबंधी समस्या में: आवलें के बारीक चूरन को रात के समय ठंडे पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह इसे साफ कपड़े से छान लें। छने पानी से आंखो को धोने से आँखों का दर्द व आँखों से संबन्धित हर रोग में आराम मिलता है।

अरुचि में : अरुचि उत्पन्न होने पर आवलें को उबालकर पीने से लाभ होता है। वन्ही आवलें के साथ जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनिया, दालचीनी तथा सेंधा नमक डालकर पीसकर गोली बना लें। यह पाचक जैसा काम करती है। इसका सेवन अपच की स्थिति में लाभ प्रद है।

मिचली पर : जी मिचलाने या बार बार उल्टी आने पर सूखे आवलें का चूरन व चन्दन का चूरन साथ लेकर शहद के साथ खाने से तत्काल उल्टी बंद हो जाती है।

वीर्य वृद्धि के लिए: कच्चे आवलें के रस में घी मिलाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य वृद्धि होती है।
नाक से खून आने पर: आवलें को घी में डुबोकर आग में सेंके फिर इसका लेप सिर पर करें। इससे नाक से खून आना रुक जाता है।

खाज व खुजली पर : खाज व खुजली उत्पन्न हो जाने पर सूखे आवलें को तेल में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खाज व खुजली दूर हो जाती है।

मुँह सूखने पर : आवलें व अंगूर को घी में पीसकर उसकी गोली बना लें। तथा इस गोली को मुंह में डालने से मुंह सुखना बंद हो जाता है।

पेशाब का रुक रुक के आना: पेशाब का रुक रुक कर आने या पेशाब आने पर जलन होने पर आवलें के रस में मिश्री डालकर दिन में दो तीन बार लेने से पेशाब संबंधी समस्या दूर हो जाती है।

उदर सम्बन्धी विकार : आवलें का मुरब्बा बनाकर खाने से उदर सम्बन्धी विकार दूर हो जाते है।

सिर व बालों के लिए: आवलें के रस में नारियल का तेल डालकर पकाकर आवलें का तेल तैयार किया जाता है। इसके इस्तेमाल से सिर ठंडा रहता है। वन्ही इसके नियमित इस्तेमाल से बाल काले, घने, व रेशम जैसे मुलायम रहते है।

मूर्छा में : आवलें के र में घी मिलाकर पिलाने से मूर्छित व्यक्ति में चेतना लौट आती है।

आइए जाने कैसे करें कब्ज को छूमंतर | Home Remedies for Constipation

कब्ज एक आम पाचन विकार हे जो सभी उम्र के लोगो को प्रभावित करता है। कब्ज मल को बाहर निकालने में कठिनाई का कारण बनती है और कभी कभी तो ये समस्या बहुत अधिक बढ़ भी जाती है। कब्ज के मुख्य लक्षणो में पेट का फूलना, असामान्य रूप से छोटे या बड़े मल, अम्लता , भूख न लगना , बुरा सांस , सिर दर्द, अवसाद , मुँहासे, और मुंह में अल्सर इत्यादि शामिल है।
कब्ज के मुख्य कारणों में से खराब आहार, अपर्याप्त पानी का सेवन , अनियमित शौच की आदत , शारीरिक श्रम का अभाव , पेट की मांसपेशियों की कमजोरी, बवासीर, तनाव, दवाओं का सेवन इत्यादि शामिल है।

आप पाचन तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए और कब्ज के इलाज के लिए कई घरेलू उपचार प्रयोग में ला सकते है।

नींबू :
नींबू या विशेष रूप से नींबू के रस कब्ज का इलाज कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है। यह सबसे आसान और प्रभावी उपचार में से एक है जिसे आप घर पर कोशिश कर सकते हैं। गुनगुने पानी के एक गिलास में आधा नींबू निचोड़ ले और इसमें एक चुटकी सेंधा नमक और एक चम्मच शहद मिला लें। इसका इस्तेमाल सुबह खाली पेट करें। आप चाहे तो इसका इस्तेमाल शाम को भी कर सकते है। कुछ ही दिनो में आप फर्क महसूस करेंगे। (आइए जाने नींबू का उपयोग करके हम कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याओ से छुटकारा पा सकते है और कैसे?)

सौंफ़:
सौंफ़ के बीज अपच , सूजन, कब्ज और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसे मुद्दों के उपचार में उपयोगी होते हैं।
वे पाचन तंत्र में मांसपेशियों की चिकनाहट बनाए रखने में मदद करते है। एक कटोरी सौंफ़ के बीज की ले कर उन्हे भून लें और फिर इसका महीन चूरन बना ले। इस स्वादिष्ट और पाचन पाउडर को किसी सूखे बर्तन में स्टोर कर लें एवं इसका आधा चम्मच प्रतिदिन गरम पानी के साथ लें।

अंजीर:
अंजीर बहुत फाइबर में बहुत उच्च हैं और एक प्राकृतिक रेचक (natural laxative) के रूप में काम करते हैं। पुरानी कब्ज से पीड़ित लोगों को अपने आहार में अंजीर को शामिल करना चाहिए। कब्ज के उपचार के लिए, दोनों ताजा और सूखे अंजीर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ताज़ा अंजीर उपलब्ध है तो इसका इस्तेमाल छिलके के साथ करें। इसके छिलके में फाइबर और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 2-3 बादाम और सूखे अंजीर लें। कुछ घंटों के लिए उन्हें पानी में भिगो दें। बादाम का छिलका उतार कर ,बादाम एवं अंजीर को पीस लें। इस पेस्ट का इस्तेमाल रात को शहद की एक चम्मच के साथ करें।

अरंडी का तेल :
एक उत्तेजक रेचक होने के नाते , अरंडी का तेल छोटी और बड़ी आंत को उत्तेजित करता है और मल त्याग में सुधार करता है। बस एक खाली पेट पर अरंडी के तेल की 1-2 चम्मच निगल लें। स्वाद में सुधार करने के लिए, आप इसे फल के रस के साथ भी ले सकते हैं । कुछ ही घंटों के भीतर, आपको अपनी हालत में एक बड़ा सुधार नज़र आएगा। आप एक लम्बी अवधि के लिए इस उपाय को दोहराए नहीं इसके दुष्प्रभाव हो सकते है।



शहद:
शहद एक हल्के रेचक के रूप में कार्य करता है और कब्ज से राहत में बेहद फायदेमंद है। आप इसका इस्तेमाल कब्ज से बचने एवं कब्ज के इलाज दोनों में कर सकते है। दिन में 2-3 बार एक चम्मच शहद का इस्तेमाल आप कर सकते है। इसके अलावा आप इसे एक गिलास गरम पानी में नींबू के रस के साथ भी उपयोग में ला सकते है।

अलसी का बीज:
अलसी के बीज में फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ साथ कई अन्य औषधीय गुण है। इसके अलावा , अलसी कब्ज के हल्के करने, बहुत गंभीर मामलों का इलाज करने में बहुत उपयोगी हो सकता है। एक गिलास पानी में अलसी के बीज भिगो दे एवं रात को सोने से पहले इस पानी का सेवन करें। इसके अलावा आप रात को सोने से पहले एक चम्मच अलसी के बीजो का सेवन पानी के साथ भी कर सकते है।
अंगूर:

अंगूर में मौजूद अघुलनशील फाइबर नियमित मल त्याग उत्पादन में मदद करता है। दैनिक एक छोटी कटोरी अंगूर जरूर खाओ या फिर कम से कम आधा गिलास अंगूर के जूस का जरूर पियो। इसके अलावा आप 10-12 सूखे अंगूर ले कर उन्हे दूध में उबाल कर भी खा सकते है। यह उपाय बच्चो को कब्ज से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यदि ताज़ा अंगूर उपलब्ध नहीं है तो आप पानी में भिगो कर किशमिश का इस्तेमाल भी कर सकते है।

पालक:
पालक पाचन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी है खासकर जब आप कब्ज से पीड़ित हो। कच्चे पालक में मौजूद विभिन्न घटक पूरे आंत्र पथ को साफ, संगठित और पुनर्जीवित कर सकते हैं। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए, आपको अपने आहार में पालक को शामिल करना चाहिए। आप इसे कच्चा या पका कर खा सकते है, ये आपकी पसंद पर निर्भर करता है। यदि कब्ज ज्यादा गंभीर है तो आप आधा गिलास कच्चे पालक के पत्तों के जूस का इस्तेमाल आधा गिलास पानी के साथ कर सकते है। कुछ ही दिनों के भीतर, आपको बहुत राहत मिल जाएगी।

गुड़ :
गुड खाने के फायदे | बिस्तर पर जाने से पहले गुड का एक टुकड़ा या चम्मच जरूर लें। यदि आपको इसका स्वाद पसंद नहीं है तो आप इसे दूध में दाल कर या फिर फलो के जूस के साथ इस्तेमाल कर सकते है। यदि समस्या फिर भी ठीक नहीं होती तो गुड की मात्रा को आप बढ़ा सकते है। गुड़ उच्च कैलोरी युक्त होता है , तो आपको दैनिक आधार पर इस उपाय का पालन नहीं करना चाहिए।( गुड खाने के फायदे | health benefits of Jaggery)


पानी एवं फाइबर:
अधिकतर कब्ज का मुख्य कारण आहार में फाइबर की कमी है। यह आंतों में पानी की मात्रा को बनाए रखता है जो माल को पतला होने में मदद करता है। उच्च फाइबर आहार में सेम, आलू, गाजर, ब्राउन चावल, prunes, गेहूं के बीज, ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थ, नट, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, ब्रोकोली, मटर इत्यादि शामिल है।

कब्ज से पीड़ित लोगो को दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। इसके अलावा आप फलो के रस का भी सेवन कर सकते है। मादक पेय पदार्थों और कैफीन से बचें ये निर्जलीकरण के रूप में आपकी हालत और भी खराब कर सकते है।

और सबसे महत्वपूर्ण बात डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

आइए जाने कैसे करें पेट की गैस को छूमंतर | Ways to Get Rid of Gas & Bloating

पेट में गैस होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो अक्सर हमारे लिए शर्मिंदगी या उपहास का कारण भी बनती है। गैस के कुछ लक्षणो में डकार लेना, पेट फूलना, और सूजन इत्यादि शामिल हो सकते है। इस समस्या के कारणो का पता लगा कर आप इस समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकते है। हमारी दिनचर्या और हमारा खान-पान इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। 



गैस का कारण बनने वाले भोजन से बचे:
मनुष्य का शरीर मुख्यतः खान-पान पर निर्भर करता है। परंतु भाग दौड़ के इस समय में भोजन की जगह जंक फूड ने ले ली है। तले हुए भोजन का इस्तेमाल कम से कम करें, जीतना हो सके घर पर बना हुया भोजन ही इस्तेमाल करें। रात को सोते समय कम ओर हल्का भोजन ही ग्रहण करें।

खाना समय पर खाये:
भोजन करना अपने आप में एक सरल काम हो सकता है लेकिन खाने में की गयी सरल गल्तिया एक बड़ा बदलाव ला सकती है | हमारे लिए यह जानना बहुत आवशयक है की खाना खाने का सही समय कौन सा है | कई बार हम अपने नाश्ते में देरी करते है या हम अपना नाश्ता ही नहीं करते | सोने से कितनी देर पहले आप खाना खाते हैं? आप भोजन के बीच कितना अंतराल देते है ? ये सब बाते आपके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है | आपका स्वास्थ्य मुख्य तौर पर आपके खान-पान पर ही निर्भर करता है |
आइए जाने खाना खाने के सही समय के बारें में :
नाश्ता :
  • उठने के 30 मिनट के भीतर ही नाश्ता कर ले|
  • नाश्ता करने के लिए आदर्श समय 07:00 है
  • नाश्ता सुबह 10:00 बजे से पहले करे |
  • नाश्ते में प्रोटीन युक्त आहार सुनिश्चित करें

दोपहर का भोजन :
  • दोपहर का भोजन करने के लिए आदर्श समय 12:45 है
  • कोशिश करें की आपके नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतराल हो |
  • दोपहर का भोजन 4:00 बजे से पहले करें |
रात्री का भोजन :
  • रात्री का खाना खाने के लिए आदर्श समय 7:00 बजे से पहले है |
  • आप अपने खाने और सोने के बीच कम से कम तीन घंटे का अंतराल रखिए |
  • रात्री का खाना 10:00 बजे से पहले ही करें |
  • सोने से करीब खाने से आप नींद की गुणवत्ता के साथ हस्तक्षेप कर सकते हैं |
  • रात को हल्का और कम भोजन करें |
व्यायाम से पहले :
  • खाली पेट कभी व्यायाम न करें(विशेष रूप से वजन प्रशिक्षण)
  • व्यायाम से पहले खाने में प्रोटीनयुक्त सैंडविच , प्रोटीनयुक्त शेक, गेहूं की रोटी , फलों का इस्तेमाल कर सकते है |
पानी पीने का सही समय: 
खाना खाने के आधा घंटा पहले या आधा घंटा बाद ही पानी पिये। यदि आप खाना खाते समय पानी पीते है तो आप पेट में मौजूद खाना पचाने वाले एसिड को खो देते है। दिन में कम से कम 3-4 लिटर पानी का सेवन करें

खाना धीरे खाएं:
खाना धीरे खाएं ताकि खाना खाते समय आप कम से कम गैस निगल सके। इसके अलावा धूम्रपान, च्विंगम चबाना या फिर स्ट्रॉ का इस्तेमाल करके किसी द्रव्य को पीना भी आपके शरीर में अत्याधिक हवा का कारण बन सकता है।

कृत्रिम मिठास से बचें:
शुगर फ्री खाद्य पदार्थो में अक्सर सोर्बिटोल एवं अन्य शुगर एल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है जो अक्सर गैस का कारण बनते है।

पुदीना चाय पीना:
पुदीने में मौजूद मेथनोल पेट की मांसपेशियों को आराम पहुंचता है। घबराहट और तनाव का असर कम करके कि पेट को शांत महसूस कर सकते हैं।

कैमोमाइल चाय पीना:
 यदि पुदीना अपनी कल्पना के अनुरूप नहीं है, या आप के लिए असरदार प्रतीत नहीं होता है, तो कैमोमाइल एक अच्छा रास्ता है। यह बहुत उपयोगी है क्योंकि जर्मनी में, हर्बल उपचार पश्चिम की तुलना में अधिक बार उपयोग किया जाता है और इसे जाना जाता है “ कुछ भी करने में सक्षम “ के नाम से।
 
व्यायाम जरूर करें:
खाने के साथ साथ जरूरी है शरीर को व्यायाम देना। दिन में कम से कम 30 मिनट का व्यायाम जरूर करें एवं सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल जरूर करें। यदि आपकी सीटिंग जॉब है तो कम से कम हर 1 घंटे के बाद अपनी सीट से उठकर थोड़ी देर टहल जरूर ले।

कद्दू खाओ :

गैस आमतौर पर अनुचित भोजन पाचन के कारण होता है । हमें पचाने के लिए फाइबर कठिन है , इसलिए यह थोक में हमारे पेट से होकर गुजरता है । यह छोटी आंत में नष्ट नहीं हो पता और हमारी बड़ी आंत में चला जाता है जहां पर प्राकृतिक बैक्टीरिया उस पर दावतें उड़ता है। उनके कुतरने की इस प्रक्रिया में कई किस्म की गैसों का निर्माण होता है जो हमारे लिए कई समस्यायों का कारण बनता है। कद्दू आपको इस समस्या से मुक्ति दिला सकता है।