मधुमेह रोग के लिए रामबाण घरेलू उपाय | Home Remedies for Diabetes

मधुमेह आज एक आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार की होती है: टाइप 1 मधुमेह,इस अवस्था में शरीर इंसुलिन का निर्माण नहीं करता और टाइप 2 मधुमेह, इस अवस्था में शरीर पर्याप्त इंसुलिन का निर्माण नहीं करता या यदि करता है तो  सही रूप से कार्य नहीं करता। मधुमेह के आम लक्षणों में थकान,वजन का घटना (भले ही आप अधिक खा रहे हैं ), अत्यधिक प्यास,बार बार पेशाब का आना,घावों को ठीक होने में बहुत अधिक समय लगना इत्यादि शामिल है।

मधुमेह के लिए कोई इलाज नहीं है। जबकि नियंत्रण के तहत अपने रक्त शर्करा के स्तर के साथ आप एक पूरी तरह से सामान्य जीवन जी सकते है। आइए जाने कुछ ऐसे प्राकृतिक तरीके जिनके उपयोग से आप अपने रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाए रख सकते है।

करेला:
करेले को कडवे तरबूज के नाम से भी जाना जाता है। यह रक्त शर्करा को कम करके मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए सहायक हो सकता है । यह एक विशेष अंग या ऊतक के बजाय आपके सारे शरीर पर ग्लूकोज चयापचय (Glucose metabolism)को प्रभावित करता है।
यह अग्नाशय इंसुलिन(Pancreatic Insulin) के स्राव वृद्धि में मदद करता है और इंसुलिन प्रतिरोध को रोकता है। इस प्रकार, करेला दोनों टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के लिए फायदेमंद है। हालांकि, यह पूरी तरह से इंसुलिन उपचार को बदलने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
केरेले की बीज को अलग निकाल दे और हरे भाग का जूस निकाल ले और दो महीने प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। इसके अलावा आप सब्जी के रूप में भी इसका इस्तेमाल अपने दैनिक आहार के रूप में कर सकते है।

दालचीनी:
पाउडर दालचीनी में इंसुलिन गतिविधि उत्तेजक द्वारा रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने की क्षमता है। इसमें मौजूद बायोएक्टिव घटक इसे मधुमेह से लड़ने के लिए उपयुक्त बनाते है।
बहुत से अध्यनों में यह पाया गया है की यह टाइप-2 मधुमेह को कम करने के लिए एक प्रभावी विकल्प साबित हुयी है। दालचीनी का अधिक मात्र में उपयोग नहीं करना चाहिए क्यों की अक्सर किराने की दुकानों में कैसिया दालचीनी (Cassia cinnamon) उपलब्ध होती है जिसमें कूमेरिन (Coumarin) नामक यौगिक की अधिकता पायी जाती है। जो की एक जहरीला यौगिक है और इसके कारण जिगर की क्षति का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा दालचीनी की एक और किस्म सीलोन दालचीनी (Ceylon cinnamon) है जिसे स्वास्थय के लिए बेहतर माना जाता है परंतु रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने की इसकी क्षमता को अभी जांचा नहीं गया है।
  • एक से डेढ़ चम्मच दालचीनी पाउडर का इस्तेमाल एक गिलास गर्म पानी में डाल कर दैनिक तौर पर करें।
  • इसके अलावा दालचीनी की दो से चार लाठी ले कर उसे पानी में उबाल ले और उसे लगभग 20 मिनट तक ठंडा होने दे। इस घोल का दैनिक तौर पर इस्तेमाल तब तक करें जब तक की आपको सुधार नज़र न आए।
  • इसके अलावा आप इसका इस्तेमाल अन्य खाद्य पदार्थो के साथ भी कर सकते है।


मेथी:
मेथी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल हाइपोग्लिसीमिक गतिविधि के कारण मधुमेह को नियंत्रित करने, ग्लूकोज सहिष्णुता को बढ़ाने, रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है। यह ग्लूकोज पर निर्भर इंसुलिन के स्राव को उत्तेजित करता है । फाइबर में उच्च होने के नाते, यह कार्बोहाइड्रेट और शर्करा के अवशोषण को धीमा करता है।
  • रात के समय दो बड़े चम्मच मेथी के दानो को पानी में भिगो कर छोड़ दे। सुबह खाली पेट इस पानी का इस्तेमाल बीजो सहित पीने के लिए करें। कुछ ही महीनो में यह आपके रक्त में शर्करा के स्तर को कम कर देगा।
  • इसके अलावा आप दैनिक तौर पर मेथी के बीजो के पाउडर का इस्तेमाल दूध के साथ भी कर सकते है।

आंवला:
आंवला विटामिन-सी का समृद्ध स्त्रोत है और अग्न्याशय (Pancreas) के समुचित कार्य को बढ़ावा देता है। दो-या तीन आवले ले कर उनके बीज निकाल ले और फिर हरे भाग को पीस कर पेस्ट बना ले। इस पेस्ट को किसी कपड़े में बांध कर इसका जूस निकाल ले। इस जूस का रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करें।
इसके अलावा आप करेले के जूस में भी आँवलें के जूस का इस्तेमाल कर सकते है।


जामुन:
जामुन के हर भाग जैसे की पत्तों, फल, गुटली इत्यादि का इस्तेमाल मधुमेह के उपचार में किया जा सकता है। एक अध्यन में यह बात सामने आई है की जामुन का फल और इसकी गुटली तेजी से रक्त और मूत्र में शर्करा की मात्रा कम करने में तेज़ी से मदद करते है। जब भी यह फल मार्केट में उपलब्ध हो तो इसका इस्तेमाल जरूर करें। यह आपके अग्न्याशय के लिए बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा आप इसकी गुठली का भी पाउडर बना के रख सकते है और दैनिक तौर पर दो बार इसका इस्तेमाल कर सकते है।

आम के पत्ते:
नाजुक और निविदा आम के पत्तों का रक्त में इंसुलिन के स्तर को विनियमित करने और मधुमेह का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह रक्त लिपिड प्रोफाइल में भी सुधार कर सकते हैं।
  • 10-15 नये पत्तों को रात भर पानी में भीगने के लिए छोड़ दे और सुबह उस पानी का इस्तेमाल छान कर पीने के लिए करें।
  • इसके अलावा आप इन पत्तों को छाया में सूखा कर महीन चूरन बना ले और इसका इस्तेमाल दैनिक तौर पर दिन में 1-2 बार करें।

कड़ी-पत्ता :
कड़ी पत्ता में मौजूद मधुमेह रोधी गुण मधुमेह को नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं। ऐसा माना जाता है की इसमें एक ऐसा घटक मौजूद है जो स्टार्च के ग्लूकोस में बदलने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके लिए आप प्रतिदिन कड़ी पत्ता के 8-10 पत्तों को सीधे तौर पर चबा सकते है। इसका 3 से 4 माह तक इस्तेमाल करें यह कोलेस्ट्रॉल लेवेल को भी बनाए रखने में एहम भूमिका निभाता है।
 

एलोवीरा :

एलोवीरा जेल रक्त में शर्करा के स्तर को तेज़ी से कम करता है। इसके अलावा एलोवीरा जेल, बे पत्तिया(Bay Leaves) और हल्दी का संयोजन रक्त में शर्करा के स्तर को कम करता है। इसका इस्तेमाल आप दोपहर और रात्री के भोजन से पहले दिन में दो बार कर सकते है। 

अमरूद:
अमरूद में उच्च फाइबर सामग्री और विटामिन-सी की अधिकता रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में वास्तव में मददगार हो सकते है।मधुमेह रोगियो के लिए ये जरूरी है की वो इसका इस्तेमाल छिलका उतारने के बाद ही करें। इसके अलावा इसका इस्तेमाल दिन में बहुत अधिक मात्रा में भी न करें। (आईए जाने अमरूद में है कौन-कौन से रोगो से लड़ने की क्षमता | Amazing Guava Benefits)



भिंडी:
भिंडी में मौजूद पोलिफेनोलिक मॉलिक्यूल रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में एहम भूमिका अदा करते है। भिंडी को दोनों किनारो से काट ले और इसमें कांटे की सहायता से कई छिद्र कर दे। अब इसे पूरी रात पानी में भीगने के लिए छोड़ दे। अब सुबह इस पानी का इस्तेमाल खाली पेट पीने के लिए करें।

आईए जाने अमरूद में है कौन-कौन से रोगो से लड़ने की क्षमता | Amazing Guava Benefits

हम सभी ने चाट मसाला छिड़के हुये अमरूद का कभी न कभी आनन्द जरूर उठाया है। अमरूद की तेज़ सुगंध और अलग स्वाद इसे और भी लोकप्रिय बना देते है। अपनी अद्वितीय स्वाद और खुशबू के अलावा अमरूद कई स्वास्थ्य लाभ के लिए भी जरूरी है। यह वास्तव में पोषक तत्वों से भरपूर है। यह विनम्र फल विटामिन सी, लाइकोपीन और एंटीऑक्सीडेंट में असाधारण तौर से समृद्ध है जो की त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। अमरूद में मौजूद मैंगनीज खाने से अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है। अमरूद में मौजूद फोलेट, जो एक खनिज है प्रजनन को बढ़ावा देने में मदद करता है। अमरूद में मौजूद पोटेशियम रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।

आईए जाने अमरूद खाने के और कौन-कौन से है फायदे:

  • अमरूद की नयी कोंपलों को पीस कर पीने से दस्त रुक जाते है। इसके अलावा पेट से सम्भन्दित अन्य रोगो में भी फायदा मिलता है।
  • अमरूद के पत्तों का रस पीना या अमरूद खाना भांग के नशे को कम कर सकता है।
  • अमरूद के फल के बीजो को निकाल कर पीस ले फिर इसके लड्डू बना कर गुलाब जल व शक्कर के साथ पीने से ठंडाई होती है।
  • जिन लोगो को मियादी बुखार(टाइफाइड)हो जाता है तो अक्सर ऐसे बुखार में रोगी की आंतों में घाव हो जाते है, जिसके कारण आंते भोजन नहीं पचा पाती और खून बनना बंद हो जाता है। ऐसे रोगी को पका हुया मीठा अमरूद रोजाना सुबह शाम सेवन कराये,क्यों की अमरूद में टेनिक एसिड होता है जिसका मुख्य कार्य घाव को भरना है।
  • बबासिर में अक्सर मस्से फूल जाते है। बबासिर के ऐसे रोगी को पका हुया एक अमरूद 10 दिन तक रोजाना सुबह खाली पेट सेवन कराये। बादी के मस्से साफ हो जाएंगे और बबासिर के रोग में आराम मिलेगा।
  • अमरूद में संतरे से भी 4 गुना ज्यादा विटामिन सी है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली के सुधार में मदद करता है और आम संक्रमण और रोगजनकों के खिलाफ शरीर को बचाता है।
  • अमरूद में मौजूद पोटेशियम रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह विनम्र फल विटामिन सी, लाइकोपीन और एंटीऑक्सीडेंट में असाधारण तौर से समृद्ध है जो की त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • अमरूद में मौजूद मैंगनीज खाने से अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है।
  • विटामिन-ए की उपस्थिती के कारण अमरूद अच्छी दृष्टि स्वास्थ्य के लिए एक बूस्टर के रूप में जाना जाता है। यह न केवल नज़र को कमजोर होने से बचाता है बल्कि उसमें सुधार भी करता है। 
  • अमरूद में मौजूद मैग्नीशियम शरीर की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को आराम करने के लिए मदद करता है। तो कार्यालय में एक कड़ी कसरत या एक लंबे दिन के बाद, एक अमरूद आपकी मांसपेशियों को तनाव का मुकाबला करने में निश्चित रूप से मदद कर सकता है ।

नीम रस के 10 अद्भुत लाभ | Amazing Benefits Of Neem Juice

नीम कई स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रसाधन की समस्याओं के लिए अविश्वसनीय इलाज प्रदान करता है। यह सदियों पुरानी एक आयुर्वेदिक खोज है। आयुर्वेद अति प्राचीन काल से रोगों के इलाज के लिए नीम का इस्तेमाल करता आया है। नीम का रस पीने के बहुत स्वास्थ्य लाभ है यही कारण है की कड़वा होने के बावजूद दुनिया के बहुत से लोग इसका इस्तेमाल दैनिक तौर पर करते है।

खूबसूरत त्वचा: 
अक्सर दाग और मुँहासे हमारी त्वचा को बर्बाद कर देते है और यह नीरस और बेजान लगने लगती है। त्वचा में तेल की अधिकता मुहांसों का कारण बनती है और मुहासे, दाग और धब्बो का कारण बनते है। हमारी त्वचा हमारी जीवन शैली को दर्शाती है। नीम का रस, अपने विरोधी भड़काऊ गुणों और सुखदायक प्रभाव के कारण त्वचा की समस्याओं के सभी प्रकार से निपटने के लिए एक बढ़िया तरीका है। इसलिए नीम के रस को मुहांसों पर लगा कर और नीम के रस का सेवन करके आप अपनी त्वचा को युवा और सुंदर बनाए रख सकते है।
स्वस्थ बाल:

यदि आप स्वस्थ, चमकदार बाल चाहते है तो नीम के रस को अपने दैनिक आहार का एक हिस्सा जरूर बनाए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इसके हाइड्रेटिंग गुण बाल गुणवत्ता में सुधार लाने और इसे चमकदार बनाने में मदद करते है। इसके अलावा बाल गिरने की समस्या से पीड़ित लोगो के लिए यह अमृत की तरह कार्य करता है।

प्राकृतिक जीवाणुरोधी एजेंट:
नीम के रस मैं मौजूद जीवाणुरोधी गुण मलेरिया , सामान्य बुखार, और हमारे शरीर में अन्य जीवाणु संक्रमण को ठीक करने में सहायता प्रदान करते है। शहद के एक चम्मच के साथ नीम के रस का सेवन करने से बुखार, सर्दी या संक्रमण मूत्र संक्रमण या योनि सूखापन जैसी कई स्वास्थय समस्यायों से छुटकारा पा सकते है। अक्सर, गर्भवती महिलाए योनि में दर्द की शिकायत करती हैं। नीम के रस से इस समस्या से निपटने के लिए अत्यंत उपयोगी सहायता प्राप्त होती है । यह आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार पीलिया के इलाज के लिए भी जाना जाता है।

पाचन और पेट समाशोधन : 
आजकल की व्यस्त जीवन शैली अस्वास्थ्यकर और गतिहीन जीवन शैली का नेतृत्व करती है। यह जठरांत्र रोगों , अम्लता , पेट में संक्रमण, डायरिया , कब्ज, और अपच इत्यादि का कारण बनती है। नीम का रस इन सभी समस्यायों का प्राकृतिक समाधान है।

मधुमेह इलाज: 
नीम में हमारे शरीर में शर्करा के स्तर को कम करने वाले गुण है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है।

बेहतर लिवर :
आप जिगर का सुधार करना चाहते हैं तो नीम का रस आपके लिए एक जादू औषधि है । आजकल लोग अक्सर शराब के अत्यधिक या नियमित प्रयोग से या फिर विभिन्न कारणों से कमजोर जिगर होने की समस्या का सामना करते है । नीम का रस जिगर की स्थिति में सुधार में मदद करता है ।

बेहतरीन दृष्टि:
भारत रतौंधी और नेत्रश्लेष्मलाशोथ(Conjunctivitis) जैसे आंख की समस्याओं का एक इतिहास रहा है। नीम का रस काफी हद तक इन मुद्दों का इलाज करने में मदद करता है। सोने से पहले , सीधे अपनी आंखों को हर रात इस रस को लागू करें। दैनिक आधार पर नीम का रस पीने से आपकी दृष्टि में सुधार होगा।

मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से लाभ: 
नीम के रस का सेवन और, नीम के रस को तैल में मिला कर मांसपेशियों , जोड़ों के दर्द , गठिया इत्यादि रोगो से राहत दिलाने में मदद प्रदान करता है।

घाव भरने में:
नीम में मौजूद घावो को भरने की क्षमता इसे एक चमत्कारी जड़ीबूटी बनती है। नीम के रस का घावो पर सीधा उपयोग इसे जल्दी ठीक कर सकता है और लालिमा और सूजन को कम करता है।

आइए जाने पपीता खा कर आप कौन कौन सी स्वास्थ्य समस्यायों से छुटकारा पा सकते है | health benefits of papaya

स्वाद में मीठा ,ताज़ा पपीता आपको सालभर बाजार में मिल जाएगा। पपीते में काले रंग के सैकड़ों संलग्न बीज होते है इसके केवल नरम भाग खाया को जाता है। इसके अलावा कुछ स्थानो पर कच्चे पपीते का उपयोग सब्जी के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। पपीता लेने के संभावित स्वास्थ्य लाभो में मुख्यतः पाचन में सहायता ,मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार, रक्तचाप कम करने , और घाव भरने में सुधार, हृदय रोग , मधुमेह, कैंसर का खतरा कम करना इत्यादि शामिल है। आइए जाने की पपीते को अपनी दैनिक आहार योजना में जोड़ना क्यों जरूरी है:

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए :
पपीता फाइबर, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को कम करता है। बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल का निर्माण धमनियों को ब्लॉक कर सकता है और दिल का दौरा पड़ने का कारण बन सकता है।

वजन घटाने में मदद करता है :
एक मध्यम आकार पपीता सिर्फ 120 कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। यदि आप अपना वजन कम करने की योजना बना रहे हैं, तो अपने आहार के लिए इस हल्के फल को जोड़ना मत भूले । इसके अलावा यह परिपूर्णता की भावना को बढ़ावा देने और नियंत्रित तरीके से वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा :
आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली विभिन्न संक्रमणों के खिलाफ एक ढाल के रूप में कार्य करती है। पपीते की मदद से आप विटामिन-सी की अपने दैनिक आवश्यकता की 200% से अधिक आवश्यकता पूरा कर सकते हैं और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकते है।

मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है:
प्रकृति में मीठा होने के बावजूद, पपीते में चीनी की मात्रा कम पायी जाती है ( कटा हुआ पपीता के एक कप में 8.3 ग्राम ) और इसके साथ ही ग्लाइसेमिक सूचकांक में भी यह काफी नीचले स्तर पर हैं । इसकी यह संपत्ति पपीते को मधुमेह रोगियों के लिए एक उत्कृष्ट फल बनाती है। इसमें मौजूद विटामिन और फायटोनुट्रीएंट्स( Phytonutrients) मधुमेह में हृदय रोग के विकास को रोकता है। इसके अलावा जिन लोगो में मधुमेह नहीं है भी इसका उपयोग कर सकते है।

आंखों के लिए जरूरी :
पपीते में मौजूद विटामिन ए, बीटा – कैरोटीन इत्यादि आँखों को स्वस्थ बनाता है। इसके अलावा विटामिन ए भी उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन के विकास को रोकता है और आँखों के लिए स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है।

गठिये के विरुद्ध सुरक्षा:
गठिया वास्तव में एक दुर्बल करने वाली बीमारी है और जो लोग इस रोग से ग्रसित है यह उनके जीवन की गुणवत्ता में काफी कमी ला सकता है। पपीता खाने से हड्डियों को मजबूती मिलती है। पपीता विटामिन-सी का एक समृद्ध सत्रोत है। एक आध्यान में यह पाया गया है की विटामिन-सी का सेवन कम करने वाले लोगो में गठिया होने का खतरा 3 गुना तक अधिक होता है।

पाचन में सुधार :
आज के समय में ऐसे खाद्य पदार्थो से बचना लगभग नामुंकिन है जो आपके पाचन तन्त्र को खराब करते है। अक्सर हम अपने आप को जंक फूड या तेल की अत्यधिक मात्रा में तैयार खाना रेस्तरां में खाने लगते है। पपीता पपेन(Papain) नामक एक पाचक एंजाइम पैदा करता है जो भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और हमारे पाचन तन्त्र को दरुस्त रखता है।

मासिक धर्म में मदद:
पपेन नामक एंजाइम मासिक धर्म के दौरान प्रवाह सहजता में मदद करता है तथा मासिक धर्म के दौरान दर्द को कम करने में मदद करता है।

उम्र बढ़ने के संकेत से बचाता है:
हम में से हर कोई सारी ज़िंदगी जवान बने रहना चाहता है परंतु दुर्भाग्य से आज तक कोई भी ऐसा कर पाने में सफल नहीं हुआ है। परंतु कुछ अच्छी आदतों को अपनी जीवन शैली में अपना कर आप इसकी गति को धीमा कर सकते है। पपीते में मौजूद विटामिक-सी, विटामिन-ई और बीटा-केरोटीन त्वचा को नुकसान से बचाते है और झुर्रियों और उम्र बढ़ने के अन्य लक्षण से आपकी त्वचा को सुरक्षित रखते है।

बालों  के विकास को बढ़ावा:
त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ साथ पपीता बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत प्रभावी हैं । पपीते में मौजूद विटामिन-ए त्वग्वसा (Sebum) के निर्माण में मदद करता है जो की बालों को चिकने और चमकदार बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसके अलावा पपीते का उपयोग रूसी को कम करने के लिए भी किया जाता है।

कैंसर से बचाता है :
पपीते में मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट बीटा कैरोटीन पेट के कैंसर के विकास को कम करने में मदद करता है। हार्वर्ड स्कूल द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार युवा पुरुषों के बीच, बीटा कैरोटीन में समृद्ध आहार प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ एक सुरक्षात्मक भूमिका निभा सकता हैं।

गुड खाने के फायदे | health benefits of jaggery

गुड़ गन्ने से बनाया जाने वाला एक पारंपरिक भारतीय स्वीटनर है और इसे चीनी के लिए एक स्वस्थ विकल्प माना जा रहा है । गुड़ बनाने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का रासायनिक एजेंट शामिल नहीं होता और यह सभी प्राकृतिक खनिज लवण अपने आप में बरकरार रखता है। गुड़ के चीनी की तुलना में कई स्वास्थ्य लाभ है ।
  • गुड़ पाचन को तेज करने के लिए विभिन्न पाचक एंजाइम को सक्रिय करता है ।यही कारण है की बहुत से लोग खाना खाने के बाद गुड खाना पसंद करते है।
  • गुड़ सूखी खांसी, सर्दी और अस्थमा के रूप में कई अन्य स्वास्थय समस्याओं का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है । 
  • गुड़ मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचता है और उनके कार्यों को करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
  • गुड़ सिर दर्द को राहत देने में मदद करता है ।
  • गुड़ लोहे का एक समृद्ध स्रोत है और यह रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। परिणाम स्वरूप यह खून की कमी से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है। रोजाना थोड़ी सी मात्रा में लिया गया गुड भी आपके शरीर के लिए आवश्यक आइरन प्रदान कर सकते है।
  • गर्म पानी के साथ लिया गया गुड़ और सोंठ पाउडर का मिश्रण हिचकी बंद कर सकता हैं ।
  • गुड़ रक्तचाप को बनाए रखने में मदद करता है।
  • गुड़ में मौजूद पोटेशियम सूजन और पानी की अवधारण को कम करने में मदद करता है। गुड़ में उच्च पोटेशियम सामग्री की उपलब्धता वजन घटाने लाभ के साथ जुड़ी हुयी है।
  • गुड कई तरह के विटामिन और खनिज के रूप में कई आवश्यक पोषक तत्वों के साथ समृद्ध है और कई मेटाबोलिक प्रक्रियाओ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • हालाकीं गुड खाने के कोई उल्लेखनीय दुष्प्रभाव नहीं है। यह कैलोरी की संख्या पर थोड़ा अधिक है - यह 4 किलो कैलोरी / ग्राम होता है। इसलिए मधुमेह से ग्रस्त रोगियो एवं वजन घटाने की कोशिश कर रहे व्यक्तियों को इसका सेवन कम करना चाहिए।

जानिए कैसे करें मुह से आने वाली दुर्गंध को छूमंतर | Ways to Fight Bad Breath Naturally

दुनिया में सबसे अधिक अपमानजनक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य चीज है मुह से आने वाली दुर्गंध। यह कोई आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या नहीं है फिर भी दुनिया के लगभग 20 से 30 प्रतिशत लोग इस चिंताजनक समस्या से ग्रस्त है। मुह से आने वाली दुर्गंध के कारण रहस्यमय नहीं हैं। दंत रोग, मसूड़ो की समस्या, अस्वच्छता,सफ़ेद या पीली जीभ इत्यादि इस समस्या का मुख्य कारण है। सैकड़ों की संख्या में
हमारे मुह में बैक्टीरिया मौजूद रहता है और इसका एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा अनियंत्रित मधुमेह, शुष्क मुँह, गले में खराश या साइनसाइटिस, अल्सर के रूप में पेट के रोग इत्यादि भी इसका कारण हो सकते है। खाद्य और पेय जैसे की लहसुन, प्याज, कॉफी, शराब इत्यादि अस्थायी रूप से बुरी साँस का कारण बन सकते है। धूम्रपान करने वाले लोग भी अक्सर इस समस्या से परेशान रहते है।

आइए जाने के कैसे आप इस समस्या से प्राकृतिक रूप से छुटकारा प सकते है।

  • यदि आप डेन्चर पहनते हैं तो उसे रात के समय ना पहने। खाद्य और पेय से पैदा हुये बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए उन्हे अच्छी तरह से साफ करें।
  • पानी का अधिक से अधिक सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा ठंडे पानी का कुल्ला करें। यह सुबह की तरोताजा सांस पाने के लिए बहुत उपयोगी है।
  • दिन में कम से कम दो बार ब्रुश जरूर करें। इस बात का ध्यान रखें की इसकी अवधि 2 मिनट से ज्यादा न हो और ब्रुश पर अधिक दबाब ना डालें।
  • हर 2 या 3 महीनो के बाद अपना ब्रुश जरूर बदल लें।
  • नियमित रूप से दाँतो की जाँच एवं सफाई करवाए।
  • जीभ को साफ करने के लिए टंग क्लीनर का इस्तेमाल करें। जितना हो सके जीभ को उतना साफ रखें।
  • लोंग या फिर सौंफ को नियमित रूप से मुह में रख कर चबाये। इनमें मौजूद एंटीसेप्टिक गुण मुंह से दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते है।
  • नींबू या फिर संतरे के छिलके को चबाये। इसमें मौजूद सिट्रिक एसिड लार ग्रंथियों को प्रोत्साहित करके मुह से आने वाली दुर्गंध को कम करने में मदद करते है।
  • तुलसी, पुदीना, या धनिया की एक ताजा टहनी चबाना भी फायदेमंद साबित होता है। इन हरे पौधों में मौजूद क्लोरोफिल ओड़ोर्स (Odors) को बेअसर करता है।
  • एक गिलास पानी में एक चम्मच बेकिंग पाउडर का डालें और इस पानी से लगभग 30 सेकंड कुल्ला करें। यह आपके पीएच लेवेल को बढ़ा कर मुह में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है।
  • इसके अलावा कुरकुरे खाद्य पदार्थ भी दांत साफ करने में आपकी मदद करते है। जैसे सेब, गाजर, अजवाइन,अखरोट, दही, दालचीनी इत्यादि।

आइए जाने कैसे प्राकृतिक रूप से करें बालों का झड़ना कम | Home remedies to stop Hair Fall

बालों का झड़ना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो स्त्री या पुरुष दोनों में हो सकती है। बालों के झड़ने के पीछे कई कारक हो सकते है जैसे पर्यावरणीय प्रभाव, उम्र बढ़ना , बहुत अधिक तनाव , अत्यधिक धूम्रपान , पोषक तत्वों की कमी , हार्मोनल असंतुलन , आनुवांशिक कारक , खोपड़ी में संक्रमण, गलत या रासायनिक उत्पादों का बालों पर इस्तेमाल , कुछ दवाए और चिकित्सा अवस्था जैसे थायराइड, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओ) , आयरन की कमी से एनीमिया , और पुरानी बीमारियां।

आपके सिर पर तकरीबन 100,000 बालों की किस्में मौजूद होती है। यदि आप 50 से 100 किस्म को प्रीतिदिन खो देते है तो इसे सामान्य माना जाता है। परंतु यदि ये संख्या बढ़ती है तो इसके बारें में सोचना जरूरी हो जाता है क्योंकि ये गंजेपन का कारण बन सकती है। और आपके लिए यह समय कारवाई करने का है। घर पर उपलब्ध बहुत सी सामाग्री का इस्तेमाल करके आप इस समस्या से छुटकारा प सकते है।

तेल मालिश:
पहला कदम जो आप अपने बालों को झड़ने से बचाने के लिए उठा सकते है ,बालों पर तेल की मालिश करना। बालों और खोपड़ी की उचित मालिश बालों के रोम में रक्त के प्रवाह को बढ़ती है और बालों की जड़ो को मजबूत करती है। इसके अलावा यह तनाव को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। आप इसके लिए बादाम का तेल, जैतून का तेल , अरंडी का तेल , आंवला तेल, या दूसरे तरह के बालों के तेल का उपयोग कर सकते हैं। इस विधि का उपयोग सप्ताह में कम से कम दो बार करें।

आंवला:
बालों के प्राकृतिक और तेज़ विकास के लिए आप आंवले का इस्तेमाल भी कर सकते है। आंवलें में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिसकी कमी बालों के झड़ने का कारण बन सकती है। एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी गुण आँवलें को बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते है और खोपड़ी को भी स्वस्थ बनाए रखते है।
आवलें के चूरन या लुगदी में नींबू के रस को मिलाये। इस मिश्रण की सिर पर अच्छी तरह से मालिश करें। सिर को ढक ले और सुबह तक इसे रहने दे। सुबह शैम्पू के इस्तेमाल से बालों को धो लें।

मेथी:
मेथी भी बालों के झड़ने के उपचार में बहुत प्रभावी है। मेथी के बीज में हार्मोन पूर्ववृत्त होते हैं जो बाल विकास को बढ़ाने और बालों के रोम के पुनर्निर्माण में मदद करते है। इसमें बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड होते हैं।
रात को मेथी के बीज पानी में भीगने के लिए छोड़ दें और सुबह उसका पेस्ट तैयार कर ले। इस पेस्ट का इस्तेमाल बालों और खोपड़ी पर करें। इसे लगभग 40 मिनट सूखने के लिए छोड़ दें। और फिर पानी की मदद से इसे धो दें। इस विधि का उपयोग एक महिना रोज़ सुबह करें।

प्याज का रस:
प्याज के रस में मौजूद सल्फर की अधिकता बालों के रोम में रक्त परिसंचरण में सुधार, बालों के रोम पुनर्जन्म और सूजन को कम करने में मदद करती है और बालों का झड़ना कम करती है। प्याज के रस में मौजूद जीवाणुरोधी गुण कीटाणुओं और परजीवियों को मारने में मदद करते है और खोपड़ी पर होने वाले संक्रमण को रोकते है। 2002 में प्रकाशित एक अध्यन में यह पाया गया की 74% लोगो ने बालों के झड़ने की समस्या को प्याज के रस से कम किया और महत्वपूर्ण रूप से बालों के विकास का अनुभव किया।
प्याज का रस निकाल कर उसे अच्छी तरह से मिला ले और इसका इस्तेमाल बालों और खोपड़ी की मालिश करने के लिए करें। इसे तकरीबन 30 मिनट के लिए छोड़ दें। पानी से धोने के बाद शैम्पू की मदद लें। इस विधि का उपयोग कई हफ़्तों के लिए सप्ताह में 2 से 3 बार करें।

एलोविरा:
एलोवीरा में मौजूद एंजाईम्स बालों के स्वस्थ विकास में सीधे तौर पर मदद करते है। इसके अलावा यह बालों के पीएच लेवल को वांछनीय स्तर पर ला कर बालों के विकास में बढ़ावा लाते है। खुजली दूर करने, लाली और सूजन को कम करने , बालों को शक्ति और चमक बढ़ाने और रूसी कम करने के लिए एलोवीरा जेल या एलवीरा जूस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बालों पर एलोवीरा जूस या जेल की मालिश करें और इसे कुछ घंटो के लिए छोड़ दें। गुनगुने पानी से धो लें । इस प्रक्रिया को 3-4 बार एक सप्ताह में दोहराएँ।

मुलैठी की जड़:
मुलैठी की जड़ एक अन्य जड़ी बूटी है जो बालों के झड़ने की समस्या को कम करती है। इसमें मौजूद शीतलता प्रदान करने वाले तत्व खोपड़ी पर होने वाली जलन को कम करते है और रूसी एवं गंजेपन से छुटकारा पाने में मदद करते है।
एक चौथाई केसर के चम्मच में एक गिलास दूध व एक बड़ा चम्मच मुलैठी की जड़ का पाउडर डालें। इस मिश्रण को सोते समय बालों व खोपड़ी पर लगाए और सुबह तक छोड़ दें। सुबह पानी के साथ बालों को धो लें। इस विधि का उपयोग सप्ताह में एक से दो बार करें।


चीनी हिबिस्कुस:
चीनी हिबिस्कुस के फूल में कई प्राकृतिक गुण है जो बालों के झड़ने के इलाज में मदद कर सकते हैं। बाल विकास को बढ़ावा देने के अलावा यह रूसी को कम करने, दोमुहे बालों को कम करने, और मजबूत बनने, बालों के सफ़ेद होने की प्रक्रिया को कम करने में भी मदद करता है।
नारियल तेल के दो कप ले और उसमें दो फूल चीनी हिबिस्कुस के डालें। इसे तब तक गरम करें जब तक की यह जल कर काला नहीं हो जाता। टाइल को इस मिश्रण से छान लें। इस तेल को रात को सोने से पहले अपने बाललों और खोपड़ी पर लगाएँ और सुबह होने पर धो दे। इसे एक सप्ताह में कई बार दोहराए। इस फूल का इस्तेमाल आप चाय बनाने के लिए भी कर सकते है और उसकी मदद से बालों को धो सकते है।

चुकंदर:
चुकंदर का रस कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन , पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम ,विटामिन-बी और विटामिन-सी से भरपूर होता है और ये सभी पोषक तत्व स्वस्थ बालों के विकास के लिए आवश्यक हैं । अपने आहार में ताजे चुकंदर का रस शामिल करें। इसके अलावा , पालक का रस, अल्फला रस , सलाद का रस, या गाजर का रस इत्यादि से भी बालों को स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी ।
वैकल्पिक रूप से चुकंदर के कुछ पत्ते( पानी में उबले हुये) मेहँदी के साथ मिलकर अपने बालों एवं खोपड़ी पर लगाएँ। इसे 15-20 मिनट के लिए रहने दें और फिर बालों को धो दें। एक सप्ताह में ऐसा कई बार दोहराएँ।


अलसी का बीज:
अलसी का बीज ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत हैं जो बालों का गिरना रोकता है और उनके विकास को प्रोत्साहित करता है। सुबह पानी के साथ एक चम्मच अलसी के बीज का सेवन पानी के साथ करें। आप इंका इस्तेमाल तेल बनाने के लिए भी कर सकते है और सीधे तौर पर अपने बालों पर लगा सकते है।

नारियल का दूध :
नारियल के दूध में मौजूद प्रोटीन बाल विकास को बढ़ावा देने और बाल नुकसान को रोकने कि आवश्यक वसा में समृद्ध है। प्रभावी उपचार के लिए इसमें काली मिर्च और मेथी के बीज का मिश्रण दाल कर इस्तेमाल करें।



मुह के छालों के लिए प्राकृतिक इलाज़ | Home remedies for Mouth Ulcer


मुह के छाले एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो बहुत ज्यादा परेशान कर देने वाली होती है। ये दर्दनाक खुले घाव छाले सफ़ेद रंग के होते है और लाल रंग के बार्डर से घिरे रहते है। अधिकतर यह जीभ के नीचे , गाल और होंठों के बीच दिखाई देते हैं ।

ये कई कारणो से उत्पन्न हो सकते है जैसे कब्ज, वंशानुगत कारक, हार्मोनल परिवर्तन, अतिरिक्त अम्लता, तनाव, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी, लोहा या अन्य पोषक तत्वों की कमी।

मुंह के छालों आमतौर पर गंभीर समस्या नहीं हैं और सात से 10 दिनों के भीतर ठीक होने लगते हैं। परंतु यदि मुह में पड़ने वाले छालों का व्यास ज्यादा है तो इन्हे ठीक होने मे वक्त लग सकता है।

मुलैठी की जड़ :
मुह के छालों को मुलैठी की जड़ की मदद से भी ठीक किया जा सकता है। यह जड़ी बूटी एक शान्तिदायक के रूप में काम करती है और श्लेष्मा झिल्ली (Mucous Membranes)पर एक सुरक्षात्मक परत बना देती है जो जलन को कम करके खुले घावों को कम करने में मदद करती है।

दो कप पानी में पीसी हुई मुलैठी की जड़ को 2 से 3 घंटे के लिए भिगने के लिए छोड़ दें। इस पानी को उपयोग दिन में कई बार मुह का कुल्ला करने के लिए इस्तेमाल करें।

नारियल का दूध:
नारियल का दूध मुंह के छालों के दर्द से आराम देने में बेहद फायदेमंद है । नारियल के दूध के एक बड़े चम्मच में थोड़ा सा शहद मिलाये और इसकी मालिश प्रभावित क्षेत्र पर करें। ऐसा दिन में कम से कम 3 से 4 बार करें।

इसके अतिरिक्त आप नारियल के दूध का उपयोग मुह का कुल्ला करने के लिए भी कर सकते है या फिर नारियल के तेल को भी प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते है।

धनिये के बीज:
धनिये के बीज एक बहुत ही किफ़ायती आयुर्वेदिक इलाज है जो सूजन को कम करके मुह को आराम पहुंचाता है।  एक चम्मच धनिये के बीज ले कर उसे एक कप पानी में उबाल ले। इसे ठंडा करें और छान कर पानी का इस्तेमाल कुल्ला करने और बीजो को मुह के छालों पर लगाएँ। ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें।

बेकिंग सोडा:
इसे सोडियम बाइकार्बोनेट के नाम से भी जाना जाता है और मुह के छालों से निजात पाने में सहायता करता है। बेकिंग सोडा उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो अम्लीय खाद्य पदार्थ या पेय की वजह से मुह के छालों से परेशान हो। यह सूजन को कम करके कीटाणुओं और जीवाणुओं को हटा देगा। सावधान रहे यह जलन का कारण बन सकता है। बेकिंग पाउडर को पानी के साथ मिला कर एक पतला पेस्ट बना ले और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाए। ऐसा दिन में कई बार दोहराएँ।

शहद:
शहद भी मुह के छालों से निजात पाने में मदद करता है। यह मुह की नमी बनाए सखता है और घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण मौजूद होते है।
रूई का एक फाहा ले कर उसे शहद में डुबोए और प्रभावित क्षेत्र पर लगाए। आप इसी तरह ग्लिसरीन या विटामिन-ई तेल का इस्तेमाल भी कर सकते है।

तुलसी :
तुलसी के पत्ते मुह के छालों की ठीक होने की प्रक्रिया को तेज़ करते है। इसके अलावा इसमें जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं। तुलसी के 4-5 पत्ते ले कर उन्हे साफ पानी से धो लें और उन्हे चबाये। दिन में सुबह और शाम ऐसा करें।

एलोविरा:
एलोवीरा का जेल या जूस प्रभावित क्षेत्र पर लगाए। यह दर्द को कम करके घाव भरने की प्रक्रिया को तेज़ करता है और एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है। एक अनुसंधान में इसे हर तरह के मुँह के छालों , घावों, मसूड़े की सूजन , और दाद के रूप में मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए उपयोगी दिखाया गया है।

बर्फ:
बर्फ से मुंह के छालों के दर्द को सुन्न करने के लिए एक प्रभावी घरेलु उपाय है। आप इसका उपयोग जलन पेड़ा करने वाले क्षेत्र पर कर सकते है।

इस उपचार के दौरान मसालेदार और अम्लीय खाद्य पदार्थ खाने से बचे एवं दांतों को साफ करने के लिए नर्म ब्रुश का ही उपयोग करें। यदि समस्या ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह व सहायता जरूर लें।

महिलाओं के लिए जरूरी शीर्ष 10 विटामिन | top ten vitamins for women

आज की महिलाएँ स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं और एक स्वस्थ आहार योजना का पालन करना पसंद करती हैं। एक आदर्श आहार योजना वो है जिसमें विटामिन का सही संयोजन भी शामिल हो। हर उम्र, वजन, या प्रॉफ़ेशन की महिला को स्वास्थ्य समस्याओं के विभिन्न प्रकार को रोकने के लिए विटामिन की एक विस्तृत विविधता का उपभोग करने की जरूरत रहती है।
विटामिन शरीर के विभिन्न अंगो को ठीक से काम करने में सहता प्रदान करते है। विभिन्न विटामिनों में से प्रत्येक एक विशिष्ट कार्य करता है। आवश्यक विटामिन की कमी कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। इस लिए ये अत्यंत जरूरी हो जाता है की आप जो भी भोजन लें वो विटामिन्स से भरपूर हो।

विटामिन-ए :
विटामिन-ए में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। सभी उम्र की महिलाओं को हड्डियों, दांत , कोमल ऊतक(Soft Tissue) , त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली(Mucous Membranes)को मजबूत बनाने में विटामिन-ए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। विटामिन-ए पुरानी बीमारी के खतरे को कम करता है ,दृष्टि में सुधार , उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है ।

विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थ:


गाजर, तरबूज , कद्दू, खुबानी, टमाटर , तरबूज, अमरूद , ब्रोकोली , गोभी, पपीता , आड़ू, लाल मिर्च, पालक , अंडे, दूध और दृढ़ अनाज

विटामिन बी-2: 
विटामिन बी-2 को राइबोफ्लेविन के रूप में भी जाना जाता है। विटामिन बी-2 अच्छे स्वास्थ्य, सामान्य वृद्धि और मेटाबोलिस्म के लिए आवश्यक है। यह झुनझुनाहट, अकड़न, चिंता, तनाव और थकान को कम करते हुए , ऊर्जा को बढ़ावा देने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है ।

विटामिन बी-2 की कमी प्रतिरक्षा प्रणाली और तंत्रिका कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं। जिसके कारण पीली आंखेँ और जीभ, गले में खराश , मुँह के छाले, होठों का फटना, सूखे बाल, झुर्रियों और खुजली वाली त्वचा जैसी कई समस्याए उत्पन्न हो सकती है।

विटामिन बी-2 से भरपूर खाद्य पदार्थ:


अंग मांस , पनीर, दूध , दही, पत्तेदार सब्जिया, खमीर , अंडे, अनाज , साबुत अनाज, सोयाबीन, बादाम , नट और मशरूम

विटामिन बी -6:
 विटामिन बी -6, स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक आवश्यक विटामिन है। यह विशेष रूप से हार्मोन और मस्तिष्क के रसायनों के उत्पादन में मदद करता है और बदले में डिप्रेसन , हृदय रोग और स्मृति नुकसान(Memory loss) को कम करने में मदद करता है। यह रक्त शर्करा(Blood Sugar) के स्तर को विनियमित करने में भी मदद कर सकते हैं।

विटामिन बी-6 से भरपूर खाद्य पदार्थ:

केले , मांस , सेम , मछली, दलिया , नट , बीज, और सूखे फल

विटामिन बी-7:

यह बायोटिन के रूप में जाना जाता है। विटामिन बी-7, फैटी एसिड की कोशिकाओं के विकास और संश्लेषण के लिए आवश्यक है । यह विटामिन पसीने की ग्रंथियों , बाल और त्वचा को स्वस्थ रखता है। वास्तव में, यह बाल विकास को बढ़ावा देता है और भंगुर नाखून के इलाज में मदद करता है। इसके अलावा, विटामिन बी 7 हड्डियों के विकास और अस्थि मज्जा (Bone Marrow) के लिए आवश्यक है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है ।
यद्यपि विटामिन बी-7 की कमी बहुत दुर्लभ होती है , लेकिन यह अगर हो तो यह भंगुर बाल , चकत्ते, असामान्य दिल कामकाज , सुस्ती , एनीमिया, और हल्के अवसाद का कारण बन सकती है।

विटामिन बी-7 से भरपूर खाद्य पदार्थ:


मछली , मीठे आलू, बादाम , गाजर, केले , खरबूजा, पीले फल, हरी पत्तेदार सब्जियां , दाल , ब्राउन चावल , मिर्च , अंडा , सोयाबीन, दलिया , दूध, पनीर , दही

विटामिन बी-9:
विटामिन बी-9, हर औरत के लिए आवश्यक है और इसे फोलिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है। यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अल्जाइमर, अवसाद , कैंसर और स्मृति हानि को रोकने में मदद करता है। यह मस्तिष्क स्वास्थ्य और सेलुलर कामकाज को बढ़ाता है और गर्भावस्था के दौरान प्रजनन और भ्रूण के विकास में सुधार करता है। गर्भवती महिलाओं में विटामिन B9 की कमी न्यूरल ट्यूब नामक रोग पैदा कर सकती है।

विटामिन बी-9 से भरपूर खाद्य पदार्थ:
हरी सब्जियां, संतरे का रस, शतावरी , खरबूजे, स्ट्रॉबेरी, दृढ़ अनाज , फलियां , सेम, पोषण खमीर और अंडे

विटामिन बी-12:
एक अन्य आवश्यक विटामिन जो हर औरत खाना चाहिए विटामिन बी-12 है। यह मेटाबोलिस्म ,सामान्य कोशिका विभाजन और प्रोटीन संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। यह विटामिन हृदय रोग , याददाश्त और एनीमिया को रोकने में मदद करता है ।
यह भी अवसाद का इलाज और स्वस्थ तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क कामकाज को बनाए रखने में मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। विटामिन बी 12 की कमी , चिड़चिड़ापन , अवसाद और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। यह जीभ और मुंह की सूजन भी पैदा कर सकती है ।

विटामिन बी-12 से भरपूर खाद्य पदार्थ:
पनीर , अंडे, मछली, मांस, दूध , दही और पौष्टिक नाश्ता

विटामिन-सी:
विटामिन-सी एक उन्मुक्ति बूस्टर के रूप में जाना जाता है और विटामिन-सी के महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य लाभ है। यह ऊतक विकास को बढ़ावा देता है , घाव भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करता है और कैंसर, हृदय रोग और ऊतकों को नुकसान के कुछ प्रकार के जोखिम को कम करता है । यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ:

ब्रोकोली , पके फल, कीवी , संतरा , मिर्च, आलू, स्ट्रॉबेरी,नींबू और टमाटर

विटामिन-डी:
 विटामिन डी एक वसा में घुलनशील विटामिन है जो कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देता है और हड्डियों को मजबूत रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन डी एकाधिक काठिन्य(multiple sclerosis) , संधिशोथ(rheumatoid arthritis) और कैंसर के विभिन्न प्रकार के जोखिम को कम कर देता है ।

यह मासिक धर्म सिंड्रोम के लक्षण को कम करने और दृष्टि की रक्षा करने में भी मदद करता हैं। इस विटामिन की कमी आपकी हड्डियों को कमजोर होना और ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकती हैं।

दिन में 15 मिनट ली गयी सूर्य की रोशनी आपके शरीर को पर्याप्त विटामिन-डी की मात्रा दे सकती है। इसके अलावा, आप वसायुक्त मछली , दृढ़ दूध , जिगर और अंडे जैसे विटामिन डी से भरपूर होते हैं कि खाद्य पदार्थ खा सकते हैं।

विटामिन-ई:
विटामिन-ई में आयु संबंधी परिवर्तन और कोशिका क्षति से लड़ने के गुण होते है और उम्र बढ़ने के परिवर्तन को धीमा करती है। यह विटामिन भी हृदय रोग , मोतियाबिंद , याददाश्त और कैंसर के कुछ प्रकार को रोकने में मदद करता है ।इसके अलावा, विटामिन ई त्वचा और बालों के लिए आवश्यक है। यह अक्सर बाल और त्वचा की देखभाल के उत्पादों में इसे मिलाया जाता है।

विटामिन-ई से भरपूर खाद्य पदार्थ:
गेहूं के बीज , अखरोट, बादाम , पालक , मक्खन, अनाज, तेल, कॉड लिवर तेल, मूंगफली का मक्खन, कुसुम तेल और सूरजमुखी के बीज

विटामिन-के :
विटामिन-के सामान्य रक्त के थक्के को बनाए रखने और विभिन्न हृदय रोगों के खतरे को कम करने, मजबूत हड्डियों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विशेष विटामिन प्रतिरक्षा, कामकाज और ऊर्जा के लिए आवश्यक है।

विटामिन-के से भरपूर खाद्य पदार्थ:
हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन तेल और मछली का तेल

हल्दी दे सकती आपको कफ़ से छुटकारा | हैल्थ प्लस

 कफ़ सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है । जब आपके गले या ऊपरी श्वास मार्ग पर कोई रुकावट या अड़चन पैदा होती है तब आपके मस्तिष्क को ये जानकारी मिलती है की वहाँ कोई चीज मौजूद है और उसे दूर करने के लिए वह तुरंत शरीर को निर्देश जारी करता है। कफ़ वायरल संक्रमण , जुकाम, फ्लू, दमा, टीबी, और फेफड़ों के कैंसर के रूप में धूम्रपान या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकती है।

कफ़ के कुछ मुख्य लक्षणो में गले में दर्द, जलन ,सिने में दर्द इत्यादि हो सकते है। बजाय इसके की आप बाजार में उपलब्ध सिरप का उपयोग करें आप अपनी रसोई में ही उपलब्ध सामाग्री का उपयोग करके प्राकृतिक तौर पर कफ़ के उपचार की कोशिश कर सकते है।

हल्दी :
हल्दी का सूखी खाँसी पर विशेष रूप से
उपचारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • एक बर्तन में आधा कप पानी लें और उसमें एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच काली मिर्च का डालें। आप इसमें दालचीनी का उपयोग भी कर सकते है। इसे 2 से 3 मिनट के लिए उबालिए। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाए। इस विधि का उपयोग तब तक करें जब तक स्थिति में सुधार नहीं हो जाता।
  • हर्बल चाय में एक चम्मच हल्दी और अजवाइन का डाल दे। इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक की पानी घट कर आधा नहीं एरह जाता। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाए। इस विधि का उपयोग दिन में 2 से 3 बार करें।
  • हल्दी की जड़ को भून ले और उसे पीस कर महीन चूरन बना ले। इस चूरन को पानी और शहद के साथ मिला कर दिन में 2 बार इस्तेमाल करें।

धरती की सबसे महंगी जगह

विश्व की सबसे महंगी जगह सरहिंद( फतेहगढ़ साहिब) पंजाब में है। इस स्थान पर गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे सहब्जाद्यों और माता गुजरी जी का अंतिक संस्कार हुया था। दीवान टोडर मल ने सिर्फ 4 स्केयर मिटर जगह 78000 सोने के सिक्के जमीन पर बिछा कर खरीदी थी। दुनिया में सबसे महंगी जमीन खरीदने का रिकॉर्ड सीख धर्म के नाम दर्ज है क्योंकि आज तक किसी ने भी इतनी कम जगह इतने ज्यादा पैसे चुका कर नहीं खरीदी।

 दीवान टोडर मल एक धनी हिंदू व्यापारी था जिसने 13 दिसम्बर 1705 में मुगल स्म्राजय द्वारा दीवारों में जिंदा गाड़ कर मार दिये गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे सपुत्रों जोरावर सिंह(6 वर्ष) और फतेह सिंह (9 वर्ष) तथा उनकी माता गुजर कौर के अंतिम संस्कार के लिए ये जगह मुगल सल्तनत से खरीदी थी।

अंतिम संस्कार करने के लिए ये शर्त रखी गयी थी की टोडर मल केवल उतने ही क्षेत्र पर संस्कार कर सकता है जितनी जगह पर वो सोने के सिक्के बिछा कर खरीद सकता है। इस स्थान पर अब गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप स्थित है।

जानिए कुत्तो के आत्महत्या केंद्र के बारें में | रोचक जानकारी

क्या आप जानते है की दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जिसे कुत्तो का आत्महत्या केंद्र माना जाता है। ये है स्कॉटलैंड का ओवेरटन ब्रिज। इस पुल का निर्माण 1895 में खत्म हुया। अध्ययनों से पता चला है कि 1950 के दशक से 1960 के दशक या उसके बाद से कई कुत्तो ने प्रति वर्ष एक की दर से इस पुल से छलांग लगाई है।
                                              50 फीट ऊंचे इस पुल की खासियत यह है की कुत्ते सिर्फ एक खास जगह से ही नीचे कूदकर आत्महत्या करते है। और ऐसा साफ मौसम के दौरान ही होता है और कूदने वाले कुत्ते सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ होते है। इस बात का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ, डॉ डेविड सेक्सटन,को वहाँ भेजा गया। उन्होने इस बात का कारण पता करने के लिए कई प्रयोग किए। इस काम के लिए उन्होने 19 साल के हेंड्रिक्स नामक कुत्ते को इस्तेमाल किया। कुत्ता कुछ समय के लिए तो सही चला परंतु उस खास जगह के पास पहुँचने पर किसी खास चीज ने उसका ध्यान आकर्षित किया। परंतु उसके अनुभव ने उसे कूदने नहीं दिया। विशेषज्ञों के दल ने वहाँ पूरी तरह से ध्वनि और आने वाली गंध का परीक्षण किया। परंतु उन्हे कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिसकी उन्हे तलाश थी। पुल के नीचे जंगल में उन्होने चूहों, मिंक और गिलहरी को पाया; उनमें से किसी एक के द्वारा उत्सर्जित बदबू कारण हो सकती थी। निर्धारित करने के लिए उन्होंने 10 अलग कुत्तों पर तीन सेंट्स के परीक्षण किए । 70% कुत्ते मिंक कि खुशबू कि तरह आकर्षित हुये। और जब डॉ सैंड से ये पूछा गया कि स्कॉटलैंड में और भी 26,000 दूसरे मींक रहते है तो कुत्ते सिर्फ इसी पुल के नीचे जा कर ही उन्हे क्यों खाना चाहते है तो उनका जबाब था कि यह पुल मार्बल से बना है ओर इसकी मोटाई उस जगह 18 इंच के पास है। इस जगह आ कर उनकी देखने और सुनने कि क्षमता कम हो जाती है और ऐसी स्थिति में उनकी सुघने कि क्षमता ज्यादा काम करती है।
                                            यह पुल मानवीय त्रासदीयो का भी कारण रहा है। अक्तूबर 1994 में, केविन मोय ने अपने दो सप्ताह के बेटे को पुल से नीचे फेक दिया क्यों कि वह उसे शैतान का अवतार मानता था। उसके बाद कई बार उसने उस पुल से कूदकर आत्महत्या करने का पर्यास किया।

ये छोटी छोटी बातें बना सकती है आपकी ज़िंदगी खुशहाल | Mantras of Happy Life

हम सभी एक सुखी और खुशहाल ज़िंदगी चाहते है। हम सब को ये भी मालूम है कि सकारात्मक रवैया अपनाकर ही हम ऐसा कर सकते है। लेकिन किसी न किसी कारणवश हम नकारात्मक पक्ष की ओर खिचे चले जाते है। कैसे हम एक दैनिक आदत के रूप में और एक अधिक सकारात्मक रवैया स्थापित करने के बारे में जान सकते है? यन्हा तक कि कभी-कभी सकारात्मक रवैया के बारें में लेख लिखने वालो के लिए भी सकारात्मक रवैया अपनाना कठिन हो जाता है।
                                              इंसान अक्सर दुनिया को एक नाकारात्मक रवैये से देखता है और बुराईयो पर अपना ध्यान केन्द्रित करके सभी अच्छाईयो को नजरअंदाज करता है। और ऐसा खासकर तभी होता है जब कुछ भी वेसा नहीं होता जैसा आपने सोचा होता है। यन्हा तक कि यह मेरे लिए भी एक सकारात्मक सोच रखना एक संघर्ष सा प्रतीत हो रहा है।
आपकी ज़िंदगी में बहुत से मौड़ आते है जो आपको खुशियो की तरफ ले जा सकते है। ज़िंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव भी आते है। बहुत सी चुनौतिया भी आती है। बहुत से प्रेरणास्त्रोत भी आते है। और ऐसे अद्भुत अनुभव आप तभी अनुभव कर सकते है जब आपने सकारात्मक और सुखी जीवन जीने के बारें में सोच लिया हो।

खुशी एक विकल्प है।
इस बात को हमेशा ध्यान में रखे की खुशी एक विकल्प है। दुनिया में दो ही तरह के लोग है या तो सुखी या फिर दुखी। दुखी रहकर आप अपने दुख को सुख में नहीं बदल सकते। इसलिए निराशा में भी आशा ढूंढिए। ये आप पर निर्भर करता है की आप दुखी रहकर अपना बुरा वक़्त व्यतीत करते है या फिर उस बुरे वक़्त को भी खुशियों में परिवर्तित कर लेते है।

नकारात्मकता को अपने जीवन से छुटकारा दें।

यदि आप एक खुशहाल, सकारात्मक ज़िंदगी जीना चाहते है तो भी आप बहुत सी परेशानियों से गुजरते है क्यों कि आप हमेशा नाकारात्मक सोच वालें लोगो से घिरे रहते है। हमेशा सकारात्मक सोच वालें लोगो से जुड़े। वो आपकी सकारात्मक सोच को बढ़ावा देंगे।
ना केवल नाकारात्मक सोच वाले व्यक्ति बल्कि नाकारत्मक छीजो को भी त्यागे।

जीवन को सकारात्मक रूप से देखो।
हर चीज का एक सकारात्मक पहलु होता है। हर व्यक्ति में, हर परस्थिति में कुछ न कुछ अच्छा जरूर होता है। हम अक्सर इसे अनदेखा करते है परंतु हमे इसे ध्यान में रखना चाहिए।

अच्छा या बुरा हर अनुभव हुमे कुछ न कुछ सिखाता है। आप बुरे अनुभवो से भी कुछ न कुछ सीख सकते है। बस जरूरत है तो उसे उसमें से ढूंढ निकालने की। ये मुश्किल हो सकता है परंतु असंभव नहीं।

खुद में सकारात्मकता को सुदृढ़ करें।

यदि आप ने खुद में एक सकारात्मक रवैया अपनाना शुरू कर दिया तो आप देखेंगे की आप के साथ सब साकारात्मक होने लगता है। यध्यपी आपको ऐसा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। अपने आप के साथ हमेशा ईमानदार रहें। आप जो कुछ भी करें उसके सकारात्मक पक्ष के बारें में सोचे। अपनी ऊर्जा को नाकारात्मक सोचने के बजाय सकारात्मक सोचने में लगाए।

दूसरों के साथ खुशिया बाटें।
आपको न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के प्रति भी सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए। आपको अपनी इस सकारात्मका को पूरे विश्व के साथ बांटना है। दूसरी के चेहरे पर लायी गयी एक छोटी सी खुशी भी आपके चेहरे ,मन और हृदय में एक बड़ी मुस्कान ला सकती है

असफलता से सफलता की ओर | How to Convert Failure into Success ?

विफलता अपने आप में सफलता की ओर एक कदम है। यह एक सबक है। एक चुनौती है। एक मौका है। हम में से प्रत्येक इंसान किसी न किसी काम में कभी न कभी जरूर असफल हुया होता है चाहे वो व्यापार हो,प्यार हो कोई परीक्षा हो या फिर रिश्तो को निभाने में ही। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कैसे अपनी विफलताओं से सीख सकते हैं और उसे एक सकारात्मक सोच में बदलते है। ये है निराशा को आशा और असफलता को सफलता में बदलने का मूल मन्त्र:
F (Forget): भूल जाएँ।
A (Accept): स्वीकार करें।
I (Investigate): जांच करें।
L (Look): विकल्प ढूँढे।
U (Understand): समझिए।
R (Re-evaluate): फिर से आंकलन करें।
E (Entrust): फिर से कोशिश करने के लिए खुद को सौंप दें।

F (Forget): भूल जाएँ।
पिछली असफलताओ के बारें में भूल जाएँ। असफलताओ से मिली सीख को याद रखे और उस सीख को याद रख कर सफलता की और बढ़े। अपनी विफलता को याद कर कर के निराश न हो।

A (Accept): स्वीकार करें।

अपने द्वारा की गयी गल्तियो को सविकारें और पता लगाने की कोशिश करें की योजनबद्ध तरीके से काम करने के बाद भी आफ सफल क्यों नहीं हुये।

I (Investigate): जांच करें।
उन कारणो की जांच करें जो आपकी असफलता का कारण बनी। ऐसा करने से भविष्य में आप ऐसी गल्तियो को दोहराएंगे नहीं।

L (Look): विकल्प ढूँढे।
अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक तरीकों या समाधान के लिए देखो। याद रखें: थॉमस एडीसन
ने प्रकाश बल्ब की खोज करने से पहले 14,000 से अधिक असफल प्रयोग किए थे। याद रखें: दृढ़ता सफलता की कुंजी है।

U (Understand): समझिए।
इस बात को मन पर कभी भी हावी न होने दे की आप एक असफल आदमी है। अपनी कमियो और ताकतों को पहचानिए। आप ने क्या गलत किया उसे समझे। क्या व्यक्तिगत लक्ष्य स्थापित करने में आगे बढ़ने के लिए सुधार करने की जरूरत है।

R (Re-evaluate): फिर से आंकलन करें।
हर छोटे से छोटे पहलू का पुनः आंकलन करें। हो सकता है की आपको अपने उद्देशय तक पहुँचने में कुछ कार्य या कदम दूर करने की जरूरत हो। खुद के साथ ईमानदार बने रहे और निष्पक्ष सोचे। निर्धारित करें की आपका गंतव्य क्या है और कैसे आप उस तक पहुँच सकते है।

E (Entrust): फिर से कोशिश करने के लिए खुद को सौंप दें।
भले ही आप कितनी बार असफल हो अपने उद्देशय को फीका न पड़ने दे। फिर से कोशिश करने के लिए खुद को सौंप दें। सही दिया में लिया गया हर कदम आपको अपनी मंजिल तक ले जाएगा। याद रखना : यह एक मैराथन है दौड़ नहीं।

रूसी से प्राकृतिक रूप से छुटकारा | Home remedies for dandruff

रूसी एक आम खोपड़ी विकार है। यह सूखी त्वचा, तकलीफ़देह तेल , जीवाणुओं या कवक के विकास, सूजी हुयी त्वचा की स्थिति और अन्य कारकों के कारण हो सकता है। यह खोपड़ी पर सूखी त्वचा के गुच्छो के
अत्यधिक गठन के साथ -साथ खुजली का कारण भी बनता है । बालो के लिए एक स्वस्थ दिनचर्या अपना कर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। कुछ सरल प्राकृतिक घरेलू उपचार की कोशिश कर सकते जो उपचार के परिणाम दिखाने के लिए समय तो लेंगे लेकिन वे प्रभावी ढंग से पूरी तरह समस्या का इलाज कर सकते हैं।   
  
नीम के पत्ते:
नीम कि पत्तिया न केवल रूसी से छुटकारा पाने में आपकी मदद करी है बल्कि बालों से संबन्धित अन्य समस्याओ जैसे कि बालों का झड़ना, सिर पर होने वाले मुहांसों और सिर पर होने वाली जलन इत्यादि को भी कम करने में मदद करती है।

पानी के चार कप में नीम के पत्तों का एक मुट्ठी उबाल लें। मिश्रण को ठंडा होने पर छान ले। इस काढ़े का प्रयोग
बालों को धोने के लिए एक हफ्ते में दो से तीन बार इस्तेमाल करें।

नारियल का तेल:
नारियल तेल अपने रोधी गुण की वजह से रूसी खत्म करने में मदद करता है। यह सूखी खोपड़ी को नमी प्रदान करके खुजली से राहत देता है ।कुछ नारियल तेल ले और उस में नींबू के रस की आधी राशि मिश्रित करें। इस मिश्रण कि कुछ मिनटो तक अपनी खोपड़ी पर मालिश करें। इस उपाय का उपयोग सप्ताह में दो से तीन बार करें।

सेब का सिरका:
सी से छुटकारा प्राप्त करने में सेब का सिरका एक प्रभावी उपचार है। खोपड़ी के पीएच(pH) संतुलन को पुनर्स्थापित करता है और खमीर के विकास को रोकता है। यह भी एक प्राकृतिक बाल विशुद्धक के रूप में काम करता है और बालों के रोम साफ करने में मदद करता है।सेब के सिरके के दो बड़े चम्मच ले और एक समान पानी की मात्रा के साथ चाय के पेड़ के तेल की 15-20 बूंदों मिलाएं। कुछ समय इसे अपनी खोपड़ी पर रगड़े और फिर पानी से इसे धो दें। इस उपाय का उपयोग सप्ताह में दो से तीन बार करें।

बेकिंग सोडा:
बेकिंग सोडा मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है और अतिरिक्त तेल को सोख लेता है। यह भी खोपड़ी के पीएच लेवेल को संतुलित करके ,कवक के विकास को कम करता है जो जी रूसी का मुख्य कारण है।

अपने बालों पर गरम पानी डालने के बाद एक मुट्ठी बेकिंग सोडा लेकर अपने सिर पर रगड़े। कुछ देर के बाद गर्म पानी से बालों को अच्छी तरह से धो ले। इस उपाय का उपयोग भी आप सप्ताह में दो से तीन बार करें।

नोट: इस उपाय के बाद कृपया शैम्पू का उपयोग न करें।

सफेद सिरका :
सफेद सिरका रूसी के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचरो में से एक है । सिरके में मौजूद एसिटिक सिर पर कवक के विकास को रोकता है और खुजली से राहत मिलती है। दो कप पानी में आधा कप सफ़ेद सिरका डालें। अपने बालों को शैम्पू करने के बाद इस मिश्रण से धो दें।
             एक अन्य विकल्प में दो भाग सफेद सिरका , एक भाग जैतून का तेल और तीन भाग पानी का मिश्रण के साथ अपने सिर की मालिश करें। इसे 10 मिनट तक अपने सिर पर रखने के बाद किसी हल्के शैम्पू से इसे धो दें। एक सप्ताह में एक से दो बार इन उपायों में से किसी एक का पालन करें।

जैतून का तेल :
जैतून के तेल का इस्तेमाल एक प्रभावी प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र के रूप में करके आप खोपड़ी के सूखेपन को कम कर सकत है।
जैतून के तेल को हल्का गर्म करें और अपनी खोपड़ी पर इसे रगड़े और फिर एक गर्म तौलिया में अपने बालों को लपेट लें। इसे कम से कम 45 मिनट या पूरी रात के लिए छोड़ दें और शैम्पू की मदद से धो लें। एक सप्ताह में इस उपाय को कई बार दोहराएँ।

मेथी के दाने:
मेथी के दानो के 2-3 बड़े चम्मच ले कर इसे पूरी रात पानी में भीगने के लिए छोड़ दें। सुबह मेथी के दानो को पानी से निचोड़ ले और उन्हे पीस कर एक पेस्ट तैयार कर ले। इस पेस्ट को अपनी खोपड़ी पर लगाए और कुछ घंटो के लिए छोड़ दे। उसके बाद शैम्पू के इस्तेमाल से इसे धो दे । दें। एक सप्ताह में एक से दो बार इस उपाय का पालन करें।


इन उपायो का उपयोग करते हुये धैर्य रखे। आप अपनी सुविधा अनुसार किसी एक उपाय का उपयोग कर सकते है।