कामयाबी के लिए क्या जरूरी है? केंद्रित होना , किस्मत ,मेहनत ? या फिर कुछ और ! What Makes you Successful? Luck Hard Work or Focus ? or Something Else !

क्या आपने कभी सोचा है कि बिल गेट्स , रतन टाटा या फिर सचिन तेंदुलकर जैसे व्यक्ति अपनी जिंदगी में इतने कामयाब कैसे हुये है? जब आप इस बात पर विचार करते है तो आप के मन में कई जबाब पैदा होते है। और अधिकतर का जबाब होगा किस्मत , कड़ी मेहनत , लग्न इत्यादि। हाँ कुछ हद तक तो यह समझ में आता है परंतु क्या असलियत में भी ऐसा है? आइए इन सभी कारणो पर एक-एक कर नज़र डालें।
किस्मत (Luck)
यह सभी का सबसे प्रिय शब्द है। जब भी हम कामयाब लोगो की बात करते है हम उन्हे भाग्यशाली मानते है। परंतु असलियत में किस्मत क्या है? क्या ये सिर्फ एक मौका है ? एक संयोग है ? यदि हाँ तो कैसे ये लोग हर बार कामयाब होते चले जाते है। यदि मैं ये कहूँ की किस्मत भी जरूरी है तो मेरे अनुसार किस्मत दृढ़ता संभावना और प्राथमिकता का मिश्रण होना चाहिए । मौका हर दिन हर इंसान को मिलता है। परंतु हम में से कुछ ही लोग उस मौके का फ़ायदा बिना किसी विलम्ब किए उठाते है। और हम आसानी से उनके भाग्यशाली होने का दावा कर देते है। परन्तु यदि हम गंभीरता से देखे तो पाएंगे कि सिर्फ वो ही लोग भाग्यशाली है जिन्होने मिले हुये अवसर को उपयोग किया है और उस मिले हुये अवसर को अपनी कामयाबी में परिवर्तित किया है। 

कड़ी मेहनत (Hard Work)
और जो लोग किस्मत में विश्वास नहीं करते उन में से अधिकतर का जबाब होता है “नहीं-नहीं ये किस्मत नहीं मेरी कड़ी मेहनत है”। एक व्यक्ति तभी एक काम में निपुण हो सकता है यदि उसने उस काम का घंटो अभ्यास किया हो। इसका मतलब यह हुया कि उसने घंटो मेहनत करने के बाद उस काम में निपुणता हांसिल कि है। बिना मेहनत किए कभी भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। सचिन तेंदुलकर 24 वर्ष की उम्र में कामयाबी की चर्म सीमा पर थे जबकि उन्होने 16 साल की उम्र में ही अपनी काबिलियत दिखानी शुरू कर दी थी। बिना मेहनत किए कामयाबी हांसिल नहीं की जा सकती, ये बात जानते हुये भी कुछ लोग मेहनत करना पसंद नहीं करते। 


केन्द्र्ता (Focus) 
बिना केन्द्र्ता के किया गया कठिन परिश्रम भी असफलता का कारण बनता है। लग्न और एकाग्रता सफलता के दो महत्वपूर्ण अंग है। हम सभी अक्सर इस कठिनाई से गुजरते है कि हम अपना ध्यान किसी एक चीज़ पर केन्द्रित नहीं कर सकते। क्या कामयाब लोगो के दिमाग में कुछ अलग है जो उन्हे केन्द्रित बनाए रखता है? नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है। कामयाब लोगो में पाया जाने वाला दिमाग भी आम लोगो जैसा है। 

ऊपर दिये सभी कारक सफलता के लिए जरूरी है। परन्तु क्या इन सब से ही सफलता प्राप्त कि जा सकती है? नहीं , इन सभी से भी महत्वपूर्ण घटक है “आंतरिक लक्ष्य ” । परन्तु दुर्भाग्य कि बात यह है कि बहुत से लोग अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद भी इस बात का पता नहीं चला पाते कि उनके जीवन का लक्ष्य क्या था? और वो जीवन में क्या करना चाहते थे। 

कैस पहचाने आंतरिक लक्ष्य को? 
ये कोई बहुत मुश्किल काम नहीं। बिना समाज के दबाब में आए आप खुद से ये सवाल करें कि आप जीवन में क्या करना चाहते है? आप के जीवन में कौन सी वो चीज़ है जो आपके लिए मायने रखती है ? वो कौन सी ऐसी चीज़ है जिसके बिना आपकी ज़िंदगी अर्थहीन है? और एक बार आपने उस आंतरिक लक्ष्य को पहचान लिया ,उस लक्ष्य को पाने के लिए किया गया हर काम आपको खुशी और सकुन देगा। आपके आंतरिक लक्ष्य ही आपके फैसलो को निर्धारित करते है। यदि एक व्यक्ति क्रिकेट देखना पसंद करता है तो वह हर हाल में मैच देखेगा चाहे उसे ऊंची रकम चुका कर भी मैच देखना पड़े। 

जाने अंजाने में हम अक्सर ऐसे काम करते है जो हमे हमारे आंतरिक लक्ष्य कि ओर ले जाए। एक कामयाब इंसान केवल वही काम करता है जो उन्हे उनके लक्ष्य कि ओर ले जाए। जबकि एक आम इंसान ऐसा नहीं करता, वो अपना पूरा जीवन बाह्य इच्छाओ को पूरा करने में लगा देता है और वही इच्छाए उसके जीवन में दुख और तनाव का कारण बनती है। 

"यदि आप जीवन में कामयाबी चाहते है यो अपनी आंतरिक इच्छाओ को पहचानिए। आपका  हर कदम आपके लक्ष्यकि ओर होना चाहिए। और इस तरह कड़ी मेहनत , किस्मत और केंद्रता मिलकर आपको कामयाबी कि ओर ले जायेंगे। "




कुछ चीजें हमेशा के लिए लुप्त होने वाली है | Things that will Soon Disappear Forever

अंधेरा (Blackouts)
तकनीकी युग ने आज हर घर में अंधेरा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। बिजली के जाते ही इन्वेर्टर ऑन हो जाता है। ऐसी तकनीक का विकास किया गया है जो दिन में सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली की आपूर्ति को पूरा करती है। और अधिक उत्पादन होने पर उसे एलेट्रिक स्टेशन को  भेज कर किसी और जगह भेजने के लिए ऊर्जा उलपब्ध कराती है। इस से न केवल बिजली बिल नियंत्रित होता है बल्कि बिजली की खपत और मांग में भी सही अनुपात बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
चाबी(Keys)
घर में उपयोग में आने वाली चाबिया अब धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। आज के युग में घरो से लेकर ऑफिस तक सभी जगह एलेक्ट्रोनिक लोक्स का इस्तेमाल होने लगा है। इन्हे खोलने के लिए या तो डिजिटल कार्ड्स या फिर फ़ेस या फिंगर प्रिंट्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है। और बदलते युग के साथ साथ इनका नियंत्रण मोबाइल फोन के साथ ही किया जाने लगा है। आधुनिक युग में इस्तेमाल होने वाले तालो को आप बिना चाबी के किसी भी जगह बैठ कर नियंत्रित कर सकते है।
फास्ट फूड कर्मचारी ( Fast Food  Employees)
आज ऑर्डर लेने वाले कर्मचारियो की जगह किओस्क्स (Kiosks) ने ले ली है। खाना परोसने के लिए  रोबॉट्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है। खाना पकाने से लेकर बर्तन धोने तक के हर काम मशीनों से किए जाते है। इन मशीनों के रख रखाव के लिए कम से कम लोगो को रखा जाने लगा है।


कॉलेज पाठ्यपुस्तक (College Textbooks)
स्कूल और कॉलेज मे इस्तेमाल होने वाली पाठ्यपुस्तकों की जगह अब डिजिटल मीडिया ने ले ली है। बच्चे अब पुस्तक की बजाय टेबलेट या फिर कम्प्युटर पर पढ़ना ज्यादा पसंद करते है। पाठय क्रम को इतनी बढ़िया तरीके से अनिमेटेड (Annimated) रूप में प्रस्तुत किया जाता है की पाठ्यक्रम को समझने में विद्यार्थी को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। यह तकनीक उन लोगो के लिए बहुत कारगर साबित होते है जो स्वयं अध्यन करना चाहते है।

डाइल अप इंटरनेट (Dial-Up Internet)
आपके लिए डायल अप मॉड़म की डाइलिंग टोन को सुनना अब एक सपना बनकर रह जाएगा। ये मॉड़म आप को या तो केवल म्यूज़ियम या फिर किसी बिलकुल देहाती क्षेत्र में ही देखने को मिलेंगे। एक अध्यन के अनुसार अमेरिका में 2013 में सिर्फ 3% लोगो ने ही डाइल अप कनैक्शन का इस्तेमाल किया। और 13 वर्ष पहले केवल 3% लोगो के पास ही ब्रॉडबैंड कनैक्शन थे।

हल (Plow)
पुरातन समय से कृषि में उपयोग आने वाला मुख्य औज़ार "हल" अब लुप्त होने जा रहा है। खेतो में होने वाला अधिकतर काम मशीनों की मदद से किया जाने लगा है। ट्रैक्टर के इस्तेमाल ने किसान के पराश्रम को कम किया है तथा कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा दिया है।
मेल बॉक्स (Mail Box)
पुरातन समय में प्रेमियो के लिए दवा का काम करने वाले मेल बॉक्स आज घटते जा रहे है। केवल सरकारी स्तर पर ही डाक सेवा का इतेमाल किया जा रहा है। डाक भेजने वाले लोगो की संख्या में 2004 से लेकर 2015 तक 57% की गिरावट आई है। चिट्ठियों सदेशों को भेजने के लिए लोग ईमेल का इस्तेमाल करते है। संदेश अब महीनो या दिनों में नहीं बल्कि सेकेंड्स में डिलीवर हो जाता है।
पुराने लाइट बल्ब्स(Traditional Light bulbs)

1 जनवरी 2014 के बाद से ही अमेरिका में 40W ओर 100W के बल्ब बनाने वाले उत्पादको को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया है। पुराने बल्ब की जगह पहले सीएफ़एल (CFL) और अब एलईडी (LED) लाइट्स ने ले ली है। उपयोग में लाये जाने वाले ये बल्ब ना केवल ऊर्जा को बचाने में हमारी मदद करते है बल्कि इनकी जीवन अवधि भी अधिक है। 

लहसुन खाने के स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Eating Garlic

लहसुन भारतीय व्यंजनों में उपयोग होने वाला एक महतव्पूर्ण घटक है। परंतु खाने को लज़ीज़ बनाने के अलावा भी लहसुन के कई स्वास्थ्य लाभ है। यूनिवरसिटी ऑफ मेरिलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार एक स्वस्थ वयस्क दिन में 1 ग्राम के लगभग 4 कलियो का सेवन कर सकता है। लहसुन में पाये जाना वाला मुख्य घटक अल्लिसिन (Allicin) इसे गंध एवं स्वाद प्रदान करने के साथ-साथ इसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी प्रदान करता है। इसके अलावा लहसुन सेलेनियम का भी अच्छा सत्रोत है। लहसुन का सेवन आप खाने में पका कर या फिर कच्चे रूप में भी कर सकते है। आइए जाने लहसुन के कौन कौन से अन्य स्वास्थ्य लाभ है:

कैंसर के इलाज़ में:
लहसुन में पाया जाने वाला एलिल-सल्फाइड़ कैंसर के इलाज़ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

रक्तचाप घटाने में:
लहसुन में मौजूद अल्लिसिन(Allicin) , एंजिओटेंसिम-II (Angiotensim II) नामक प्रोटीन की प्रतिक्रियाओ को बंद करके रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। यह प्रोटीन उच्च रक्तचाप बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
लहसुन में मौजूद पोली-सल्फाइड़ (Polysulphide) को लाल रक्त कौशिकाओ द्वारा हाइड्रोजन सल्फाइड़ नामक गैस में बदला जाता है जो रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है

कान एवं दांत दर्द में :


कण में दर्द होने पर लहसुन की दो कलियो को सरसों के तेल में जला ले। फिर इस तेल को हलका सा गुनगुना रहने पर उसकी दो बुँदे रोगी के कान में डाल दे। कान दर्द बंद हो जाएगा।
इसी तरह दाँत दर्द होने पर लहसुन की कली को पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिलता है।

गठिए के इलाज़ में :
लहसुन कस मुरब्बा बनाकर खाना गठिए में लाभदायक है।

टीवी रोग के इलाज में :
लंग्स पर कफ जमा होने के कारण फेफड़े खराब हो जाते है जो टीबी का रूप धरण करते है। टीबी के मरीज को लहसुन की खीर बना कर खाने से चार महीनो के अंदर रोग से मुक्ति मिलती है। एक पाव गाय के दूध में दस-ग्यारह कालिया लहसुन की डालकर उबालिए। जब कालिया दूध में गल जाए तो उसे उतारकर ठंडा करे। इसमें 2 चम्मच शक्कर के मिला कर दिन में 3 बार रोगी को सेवन करवाए।
इसके अलावा फेफड़ो में कफ होने पर लहसुन के रस में रुई भिगोकर सूंघना चाहिए। इससे फेफड़ो में जमा कफ साफ हो जाएगा क्योकि लहसुन कफ़नाशक होता है। इसके अलावा टीवी रोगी दिन में 3-4 कालिया कच्ची भी चबा सकता है।


विटामिन-सी की अधिकता :
स्कर्वी के इलाज़ में विटामिन-सी का इस्तेमाल किया जाता है और लहसुन विटामिन-सी का उच्च सत्रोत है।

हृदय रोग में :
उम्र बढ्ने के साथ-साथ धमनियों का लचीलापन कम होता जाता है और लहसुन इस लचीलेपन को बनाए रखता है। लहसुन में मौजूद सल्फर युक्त यौगिक रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा होने की समस्या को कम करते है। लहसुन में मौजूद अजोएन(Ajoene) रक्त वाहिकाओ में रक्त के थक्के के गठन को रोकने में मदद करता है और हृदय रोगो से बचाए रखने में मदद करता है।

विटामिन-बी6 का उच्च सत्रोत :
लहसुन विटामिन-बी6 का प्रमुख सत्रोत है जो की प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा विटामिन-बी6 मिजाज को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

मधुमेह रोग के इलाज़ में:
लहसुन इंसुलिन के निर्माण को कम करके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है

आयरन की कमी को पूरा करने और अनिमिया को दूर करने में:
लहसुन में मौजूद डाइलील सल्फाइड़ (Diallyl sulphides) फेरोर्प्रोटीन (ferroprotien) के उत्पादन को बढ़ाकर आइरन मेटाबोलिस्म को दरुस्त करता है। और ये सब आयरन की कमी को दूर करने और अनिमिया जैसे रोगो से लड़ने में मदद करता है।