भारतीय करौदा(Indian Gooseberry) जिसे आवलाँ के नाम से जाना जाता है, प्राचीन आयुर्वेद में एक चमत्कारी भोजन के रूप में माना जाता था। विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों की प्रचुरता इसे एक सुपर भोजन बनाती है। यह अभी भी अपने जाने-माने स्वास्थ्य लाभो के लिए विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है।
आवलाँ एक बहुत खट्टा फल है और भारत और उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया में ज्यादातर पाया जाता है। इसके स्वाद के कारण हो सकता है यह आपको पसंद ना आए परंतु इसके स्वास्थ्य लाभ इतने ज्यादा है की आप उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। स्वादिष्ट चटनी , अचार, जैम, मुरब्बे और जूस के रूपों में आप इस फल के स्वाद का आनन्द ले सकते हैं।
आवलें के उपयोग औषधि के रूप में:
बुखार व अतिसार में : आवलें का रस, अंगूर व शहद के साथ मिश्रित कर शर्बत के रूप में सेवन करने से ज्वर व अतिसार जैसे रोगो में आराम मिलता है।
प्रदर में : प्रदर में आवलें का चूरन बना कर उसे शहद व मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से सफ़ेद प्रदर दूर हो जाता है।
सिर दर्द में: सिर दर्द करने पर या फिर सिर ब्भरी रहने पर आवलें का चूरन गुलाब जल में मिलकर सिर के ऊपर लेप करने से आराम मिलता है।
नेत्र संबंधी समस्या में: आवलें के बारीक चूरन को रात के समय ठंडे पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह इसे साफ कपड़े से छान लें। छने पानी से आंखो को धोने से आँखों का दर्द व आँखों से संबन्धित हर रोग में आराम मिलता है।
अरुचि में : अरुचि उत्पन्न होने पर आवलें को उबालकर पीने से लाभ होता है। वन्ही आवलें के साथ जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनिया, दालचीनी तथा सेंधा नमक डालकर पीसकर गोली बना लें। यह पाचक जैसा काम करती है। इसका सेवन अपच की स्थिति में लाभ प्रद है।
मिचली पर : जी मिचलाने या बार बार उल्टी आने पर सूखे आवलें का चूरन व चन्दन का चूरन साथ लेकर शहद के साथ खाने से तत्काल उल्टी बंद हो जाती है।
वीर्य वृद्धि के लिए: कच्चे आवलें के रस में घी मिलाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य वृद्धि होती है।
खाज व खुजली पर : खाज व खुजली उत्पन्न हो जाने पर सूखे आवलें को तेल में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खाज व खुजली दूर हो जाती है।
मुँह सूखने पर : आवलें व अंगूर को घी में पीसकर उसकी गोली बना लें। तथा इस गोली को मुंह में डालने से मुंह सुखना बंद हो जाता है।
पेशाब का रुक रुक के आना: पेशाब का रुक रुक कर आने या पेशाब आने पर जलन होने पर आवलें के रस में मिश्री डालकर दिन में दो तीन बार लेने से पेशाब संबंधी समस्या दूर हो जाती है।
उदर सम्बन्धी विकार : आवलें का मुरब्बा बनाकर खाने से उदर सम्बन्धी विकार दूर हो जाते है।
सिर व बालों के लिए: आवलें के रस में नारियल का तेल डालकर पकाकर आवलें का तेल तैयार किया जाता है। इसके इस्तेमाल से सिर ठंडा रहता है। वन्ही इसके नियमित इस्तेमाल से बाल काले, घने, व रेशम जैसे मुलायम रहते है।
मूर्छा में : आवलें के र में घी मिलाकर पिलाने से मूर्छित व्यक्ति में चेतना लौट आती है।
आवलाँ एक बहुत खट्टा फल है और भारत और उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया में ज्यादातर पाया जाता है। इसके स्वाद के कारण हो सकता है यह आपको पसंद ना आए परंतु इसके स्वास्थ्य लाभ इतने ज्यादा है की आप उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। स्वादिष्ट चटनी , अचार, जैम, मुरब्बे और जूस के रूपों में आप इस फल के स्वाद का आनन्द ले सकते हैं।
आवलें के उपयोग औषधि के रूप में:
बुखार व अतिसार में : आवलें का रस, अंगूर व शहद के साथ मिश्रित कर शर्बत के रूप में सेवन करने से ज्वर व अतिसार जैसे रोगो में आराम मिलता है।
प्रदर में : प्रदर में आवलें का चूरन बना कर उसे शहद व मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से सफ़ेद प्रदर दूर हो जाता है।
सिर दर्द में: सिर दर्द करने पर या फिर सिर ब्भरी रहने पर आवलें का चूरन गुलाब जल में मिलकर सिर के ऊपर लेप करने से आराम मिलता है।
नेत्र संबंधी समस्या में: आवलें के बारीक चूरन को रात के समय ठंडे पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह इसे साफ कपड़े से छान लें। छने पानी से आंखो को धोने से आँखों का दर्द व आँखों से संबन्धित हर रोग में आराम मिलता है।
अरुचि में : अरुचि उत्पन्न होने पर आवलें को उबालकर पीने से लाभ होता है। वन्ही आवलें के साथ जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनिया, दालचीनी तथा सेंधा नमक डालकर पीसकर गोली बना लें। यह पाचक जैसा काम करती है। इसका सेवन अपच की स्थिति में लाभ प्रद है।
मिचली पर : जी मिचलाने या बार बार उल्टी आने पर सूखे आवलें का चूरन व चन्दन का चूरन साथ लेकर शहद के साथ खाने से तत्काल उल्टी बंद हो जाती है।
वीर्य वृद्धि के लिए: कच्चे आवलें के रस में घी मिलाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य वृद्धि होती है।
नाक से खून आने पर: आवलें को घी में डुबोकर आग में सेंके फिर इसका लेप सिर पर करें। इससे नाक से खून आना रुक जाता है।
खाज व खुजली पर : खाज व खुजली उत्पन्न हो जाने पर सूखे आवलें को तेल में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खाज व खुजली दूर हो जाती है।
मुँह सूखने पर : आवलें व अंगूर को घी में पीसकर उसकी गोली बना लें। तथा इस गोली को मुंह में डालने से मुंह सुखना बंद हो जाता है।
पेशाब का रुक रुक के आना: पेशाब का रुक रुक कर आने या पेशाब आने पर जलन होने पर आवलें के रस में मिश्री डालकर दिन में दो तीन बार लेने से पेशाब संबंधी समस्या दूर हो जाती है।
उदर सम्बन्धी विकार : आवलें का मुरब्बा बनाकर खाने से उदर सम्बन्धी विकार दूर हो जाते है।
सिर व बालों के लिए: आवलें के रस में नारियल का तेल डालकर पकाकर आवलें का तेल तैयार किया जाता है। इसके इस्तेमाल से सिर ठंडा रहता है। वन्ही इसके नियमित इस्तेमाल से बाल काले, घने, व रेशम जैसे मुलायम रहते है।
मूर्छा में : आवलें के र में घी मिलाकर पिलाने से मूर्छित व्यक्ति में चेतना लौट आती है।
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