आम का नाम सुनते ही दोस्तो मुह में पानी आ जाता है। इसे फलो का राजा भी कहते है। आम का पेड़ स्वादिष्ट फल देने के साथ साथ अनेक रूपो में उपयोग होता है। इसकी लकड़ी मजबूत होती है। इसलिए इसका उपयोग इमारतों के निर्माण एवं फ़र्निचर के निर्माण में होता है। वहीं इसकी लकड़ी का धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान आम के पत्तों और इसकी लकड़ी के बिना सम्पन्न नहीं होता।
आम के पेड़ से प्राप्त दूध से गोंद बनाया जाता है। कच्चे आमों का उपयोग मुरब्बा एवं आचार बनाने में होता है। कच्चे आम से तैयार आमचूर का उपयोग शाक सब्जी चटनी बनाने में होता है।
पका आम मधुर, वीर्यवर्धक, सनग्ध, बल तथा सुखदायक, भारी, वातनाशक, हृदय को प्रिय, वर्ण को शांत करने वाला, शीतल, पित को न बढ्ने वाला होता है।
इन सभी गुणो के साथ साथ आम एक औषधीय पौधा भी है जो हमे कई स्वास्थ्य समस्यायों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आइए जाने ऐसे ही कुछ गुणो के बारे में:
मधुमेह पर: महुमह हो जाने पर आम के नए कोमल पत्तों को सुखाकर चूर्ण रूप में सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह दूर होता है।
जलन पर: आग से जल जाने पर आम के पत्तों की भस्म को आग से जले स्थान पर तरल पदार्थ में मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर भर जाते है और जलन भी कम होती है।
पेट दर्द में : किसी प्रकार के पेट दर्द होने पर आम की गुठली आग में भूनकर नमक मिलाकर सेवन करने से दर्द दूर होता है।
खून बहने पर: किसी भी कारण से बहते खून को रोकने में आम की छाल का चूर्ण लाभदायक होता है। इसको लगाने से रक्त बहना तुरंत रुक जाता है।
अतिसार पर: गर्भवती स्त्री को अतिसार हो जाने पर आम की गुठली खिलाने से अतिसार ठीक हो जाता है।
पसीने पर : अधिक पसीना आने पर गुठली को पीसकर उसका चूर्ण लगाने से पसीना कम आता है।
नाक से खून आने पर: आम की गुठली का रस नाक में डालना लाभदायक होता है।
रक्तावली कै आने पर: मिचली के साथ कै आने पर जिसमें रक्त की मात्रा हो, आम की गुठली का रस नाक में डालना फायदेमंद होता है। इससे मिचली बंद हो जाती है तथा रक्त का आना बंद हो जाता है।
कान दर्द में : कान में पीड़ा होने पर आम के भौर का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से तुरंत लाभ होता है।
सिर दर्द में : सामान्य या विशेष रूप से में दर्द होने पर आम की गुठली ओर चोटी हर्र को बारीक कूटकर उसको दूध में मिलाये फिर इसका लेप सिर पर करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
अंडकोष बढ़ जाने पर: अंडकोष का बढ़ जाना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन इसका बढ़ जाना दर्द को बढाता है। इसके बढ़ जाने पर आम के वृक्ष की गांठ को पीसकर उसको दूध में मिलाकर लेप तैयार कर ले फिर इस लेप को अंडकोष पर लगाए और साथ ही गरम सेक करें। इससे वृद्धि रुक जाती है और कष्ट नहीं होता।
स्वर विकृति पर: स्वर बिगड़ जाने या हकलाने की समस्या उत्पन्न हो जाने पर आम के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ पीना स्वर विकृति को ठीक करने में सहायक होता है।
पेट में कीड़े हो जाने पर: पेट में कीड़े हो जाने पर आम की गुठली का चूरन शहद के साथ लेना लाभकारी होता है। इसके सेवन से कृमि का नाश होता है।
गर्मी हो जाने पर: किसी भी प्रकार की गर्मी उत्पन्न हो जाने पर आम के अंडर की छाल पीसकर दूध और शहद के साथ लेने से गर्मी दूर हो जाती है।
कमजोरी उत्पन्न होने पर: खाने के साथ आम का सेवन शक्तिवर्धक होता है। इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी का अंत होता है और सफूर्ति मिलती है।
लू लगने पर: गर्मी के मौसम में अत्याधिक गर्मी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस कारण लू लगने की संभावना रहती है। इससे बचाव के लिए कच्चे आम को आग में पकाकर उसका रस निकाल कर पीना चाहिए। लू लगने पर इसका सेवन फायदेमंद होता है।
आम के पेड़ से प्राप्त दूध से गोंद बनाया जाता है। कच्चे आमों का उपयोग मुरब्बा एवं आचार बनाने में होता है। कच्चे आम से तैयार आमचूर का उपयोग शाक सब्जी चटनी बनाने में होता है।
पका आम मधुर, वीर्यवर्धक, सनग्ध, बल तथा सुखदायक, भारी, वातनाशक, हृदय को प्रिय, वर्ण को शांत करने वाला, शीतल, पित को न बढ्ने वाला होता है।
इन सभी गुणो के साथ साथ आम एक औषधीय पौधा भी है जो हमे कई स्वास्थ्य समस्यायों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आइए जाने ऐसे ही कुछ गुणो के बारे में:
मधुमेह पर: महुमह हो जाने पर आम के नए कोमल पत्तों को सुखाकर चूर्ण रूप में सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह दूर होता है।
जलन पर: आग से जल जाने पर आम के पत्तों की भस्म को आग से जले स्थान पर तरल पदार्थ में मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर भर जाते है और जलन भी कम होती है।
पेट दर्द में : किसी प्रकार के पेट दर्द होने पर आम की गुठली आग में भूनकर नमक मिलाकर सेवन करने से दर्द दूर होता है।
खून बहने पर: किसी भी कारण से बहते खून को रोकने में आम की छाल का चूर्ण लाभदायक होता है। इसको लगाने से रक्त बहना तुरंत रुक जाता है।
अतिसार पर: गर्भवती स्त्री को अतिसार हो जाने पर आम की गुठली खिलाने से अतिसार ठीक हो जाता है।
पसीने पर : अधिक पसीना आने पर गुठली को पीसकर उसका चूर्ण लगाने से पसीना कम आता है।
नाक से खून आने पर: आम की गुठली का रस नाक में डालना लाभदायक होता है।
रक्तावली कै आने पर: मिचली के साथ कै आने पर जिसमें रक्त की मात्रा हो, आम की गुठली का रस नाक में डालना फायदेमंद होता है। इससे मिचली बंद हो जाती है तथा रक्त का आना बंद हो जाता है।
कान दर्द में : कान में पीड़ा होने पर आम के भौर का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से तुरंत लाभ होता है।
सिर दर्द में : सामान्य या विशेष रूप से में दर्द होने पर आम की गुठली ओर चोटी हर्र को बारीक कूटकर उसको दूध में मिलाये फिर इसका लेप सिर पर करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
अंडकोष बढ़ जाने पर: अंडकोष का बढ़ जाना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन इसका बढ़ जाना दर्द को बढाता है। इसके बढ़ जाने पर आम के वृक्ष की गांठ को पीसकर उसको दूध में मिलाकर लेप तैयार कर ले फिर इस लेप को अंडकोष पर लगाए और साथ ही गरम सेक करें। इससे वृद्धि रुक जाती है और कष्ट नहीं होता।
स्वर विकृति पर: स्वर बिगड़ जाने या हकलाने की समस्या उत्पन्न हो जाने पर आम के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ पीना स्वर विकृति को ठीक करने में सहायक होता है।
पेट में कीड़े हो जाने पर: पेट में कीड़े हो जाने पर आम की गुठली का चूरन शहद के साथ लेना लाभकारी होता है। इसके सेवन से कृमि का नाश होता है।
गर्मी हो जाने पर: किसी भी प्रकार की गर्मी उत्पन्न हो जाने पर आम के अंडर की छाल पीसकर दूध और शहद के साथ लेने से गर्मी दूर हो जाती है।
कमजोरी उत्पन्न होने पर: खाने के साथ आम का सेवन शक्तिवर्धक होता है। इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी का अंत होता है और सफूर्ति मिलती है।
लू लगने पर: गर्मी के मौसम में अत्याधिक गर्मी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस कारण लू लगने की संभावना रहती है। इससे बचाव के लिए कच्चे आम को आग में पकाकर उसका रस निकाल कर पीना चाहिए। लू लगने पर इसका सेवन फायदेमंद होता है।
nice post
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