पुदीना खाने के 16 स्वास्थ्य लाभ | 16 Health Benefits of Eating Mint Leaves


पुदीना (Mint) ,एक लोकप्रिय औषधि, खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं जिनमें उचित पाचन, वजन घटाने, अवसाद, थकान और सिरदर्द, अस्थमा, स्मृति हानि, और त्वचा की देखभाल संबंधी समस्याओं से राहत शामिल है। पुदीने को एक बेहतरीन माउथ फ्रेश्नर के रूप में भी जाना जाता है। पुदीने की दो दर्जन से अधिक प्रजातियां और सैकड़ों प्रकार की किस्मे पायी जाती है। यह एक औषधिय पौधा है जिसका उपयोग सैकड़ों वर्षों में इसके उल्लेखनीय औषधीय गुणों के लिए किया गया है। बाज़ार में आपको अनेक ऐसे उत्पाद देखने के लिए मिल जाएंगे जिनमें पुदीने का इस्तेमाल किया जाता है। इनमे टुथ पेस्ट, च्विंगम, माउथ फ्रेष्नेर्स, कैंडी और इनहेलर्स जैसे कई उत्पाद शामिल है। 

आइए जानते है की पुदीने(Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है। 
  1. पुदीना (Mint) एंटीऑक्सिडेंट्स और फ़िटेन्यूयरिक्स से भरपूर है और पेट के लिए अद्भुत तरीके से काम करता हैं। पुदीने में मौजूद मेथेनोल पाचन के लिए जरूरी एंजाईम्स को भोजन पचाने में मदद करता है। पुदीना (Mint) पेट की चिकनी मांसपेशियों को आराम पहुंचाता हैं और अपच और ऐंठन की संभावना को कम करता हैं। इसके अलावा पेट की अम्लता को कम करने और पेट की जलन को समाप्त करने के लिए भी पुदीने(Mint) का इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिक स्वास्थय लाभ के लिए ग्रीन-टी में कुछ पुदीने(Mint) की पत्तिया डाल कर इस्तेमाल करें। 
  2. कई प्रकार के दर्द घटाने वाले बाम पुदीने(Mint) के अर्क को अपने उत्पादों में मुख्य घटक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसका कारण यह है कि जब उस क्षेत्र में पुदीने(Mint) को लगाया जाता है, तो यह तुरंत उस भाग पर शीतलता प्रदान करता है। जिससे वह क्षेत्र आंशिक रूप से सुन्न हो जाता है और हमे दर्द से आराम मिलता है। इसके अलावा आप पुदीने(Mint) के अर्क को सूंघ भी सकते है यह नसों को आराम देकर पूरे शरीर को एक दम शांत कर देता है। 
  3. ताज़ा पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल मुह से आने वाली बदबू को कम करने के लिए भी किया जाता है। यही कारण है कि बाज़ार में आपको बहुत से ऐसे माउथ फ्रेश्नेर्स मिल जाएंगे जिनमे पुदिने (Mint) का इस्तेमाल किया जाता है। पुदिने (Mint) के ताज़ा या फिर सूखे पत्तों से बनी चाय पीने से मुह में मौजूद बदबू फैलाने वाले बैक्टीरिया को कम करने में मदद मिलती है। इस के साथ-साथ ही पुदीना (Mint) मुह में बनने वाली लार प्रक्रिया को नियंत्रित करता है जिससे मुह में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। 
  4. पुदिने (Mint) कि पत्तियों में मेथनोल पाया जाता है और इसका इस्तेमाल फ्लू के इलाज़ में उपयोग में आने वाली सभी व्यावसायिक दवाओं के उत्पादन में किया जाता है। एंटी-इंफ़्लमेट्री गुणो के कारण मेन्थॉल की गंध श्वसन तंत्र को खोलने में मदद कर सकती है। इसके अलावा पुदिने (Mint) की पत्तियों के जीवाणुरोधी गुणों के कारण ,बैक्टीरिया के हमले से होने वाले संक्रमण को रोकने में भी मदद मिलती है। 
  5. बुखार के इलाज़ में भी पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शरीर को शीतलता प्रदान करता है और ताज़ा बनाए रखता है। बुखार या तापमान वृद्धि होने पर पुद्दिने की पत्तियों का इस्तेमाल शरीर को आराम पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। 
  6. मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पुदिने (Mint) की पत्तियों में एंटी-बेक्टीरियल गुणो के कारण मुंह, दांत और जीभ में हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है। इसके लिए आप पुदिने (Mint) की पत्तियों को सीधे तौर पर भी चबा सकते है। 
  7. कैंसर के इलाज़ में भी पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यूनिवरसिटि ऑफ सेल्फोर्ड(University of Salford) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुदिने (Mint) की पत्तियों में पाया जाने वाला एक फोटो-केमिकल, कैंसर ट्यूमर की रक्त आपूर्ति काट देता है जिस के कारण उनका विकास नहीं हो पाता। इसके अलावा कैंसर जर्नल के एक शोध में यह भी पाया गया की पुदीना (Mint) कैंसर रोगियो के इलाज़ में उपयोग होने वाली रेडीएशन के कुप्रभाव से भी शरीर को बचाने में मदद करता है। 
  8. तनाव को कम करने के लिए भी पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पुदिने (Mint) में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर के तनाव को कम करने में मदद करते है। यह आपके शरीर को शांत करके आपके शरीर को आराम पहुंचाते है। 
  9. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और बीमारियो से बचाव के लिए भी पुदिने (Mint) का इस्तेमाल किया जाता है। किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली तभी मजबूत हो सकती है यदि वह नियमित रूप से व्यायाम करता है और पोषक तत्वों से समृद्ध खाद्य पदार्थ खाता है। पुदिने (Mint) में मौजूद विटामिन-सी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। 
  10. गले में खराश और खाँसी होने पर, पुदिने (Mint) का इस्तेमाल गले को राहत देने के लिए किया जा सकता है। यदि आपका गला जीवाणु संक्रमन के कारण खराब है तो यह जीवाणुयों के नुकसान को कम करके उपचार की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह आपके गले की परत पर वायरल या बैक्टीरिया के हमले के कारण सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
  11. पुदिने (Mint) के पत्ते एलर्जीक-त्वचा को नियंत्रित करने में उत्कृष्ट हैं। जो लोग अक्सर त्वचा की एलेर्जी से परेशान रहते है उन्हे अपने भोजन में पुदिने (Mint) को अवश्य शामिल करना चाहिए। पुदीना (Mint) एक ऐसा पदार्थ है जो कवक और खराब बैक्टीरिया को नियंत्रित करने और नष्ट करने में मदद कर सकता है।
  12. पुदिने (Mint) में पाये जाने विटामिन–ए के कारण इसका इस्तेमाल आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी किया जा सकता है। आंखो से संबन्धित रोगो से ग्रसित लोगो को अक्सर विटामिन-ए से भरपूर खाद्य पदार्थो जैसे की गाजर और पुदीना (Mint) खाने की सलाह दी जाती है। 
  13. पुदिने (Mint) में मौजूद विटामिन-ई और विटामिन-डी के कारण त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी पुदिने (Mint) का इस्तेमाल किया जाता है। यह मृत त्वचा या त्वचा जो कि अच्छी नहीं है उसे नवीनीकृत करने के लिए प्रयोग में आता है। पुदिने (Mint) में मौजूद सैलिसिलिक एसिड, क्षतिग्रस्त हो चुकी त्वचा कोशिकाओं के प्रतिस्थापन की प्रक्रिया में बहुत उपयोगी है। जिससे कि त्वचा उसके बाद स्वस्थ हो जाए और ताजा दिखाई दे। 
  14. मुँहासे एक त्वचा की एक ऐसी समस्या है जिसे अक्सर हर किसी के द्वारा अनुभव किया जाता है इसे ठीक करने के लिए हम गुलाब के पानी के साथ पुदिने (Mint) के पत्तों को मिला सकते हैं फिर चेहरे पर लगा कर कुछ देर सूखने दें और फिर ठंडे ताज़े पानी से धो लें। अच्छे परिणाम पाने के लिए नियमित तौर पर इस विधि का इस्तेमाल करें। 
  15. वजन कम करने में भी पुदीना (Mint) एहम भूमिका अदा करता है। यह वसा के पाचन की प्रक्रिया को तेज़ करता है और हमे वजन घटाने में मदद मिलती है। 
  16. मच्छर के काटने से हुयी जलन को कम करने के लिए भी पुदिने (Mint) की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए पुदिने (Mint) की एक पत्ती को मच्छर के काटे हुये स्थान पर रगड़े ,आराम मिलेगा। 
सावधानिया :
  • गैस्ट्रोइफोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) वाले लोग, पाचन समस्या को शांत करने के प्रयास में पुदिने (Mint) का उपयोग न करें। यदि गैस्ट्रोइफोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) से जुड़े लक्षण आप में है तो पुदीना (Mint) इस स्थिति को खराब कर सकता है। 
  • पित्ते की पथरी से ग्रसित लोगो की चिकित्सक से परामर्श किए बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • बच्चो के मुह पर कभी भी पुदिने (Mint) के तेल का इस्तेमाल न करें। इस से उन्हे श्वास लेने में दिक्कत हो सकती है और उन्हे दौरा पड सकता है। 
  • गर्भवती महिलाओ को इसकी खपत से बचना चाहिए क्योंकि इसका अधिक उपयोग गर्भपात का कारण हो सकता है। 
  • अधिक मात्र में पुदिने (Mint) का इस्तेमाल विषाक्त हो सकता है। शुद्ध मेन्थॉल विषाक्त है और इसे आंतरिक रूप से नहीं लिया जाना चाहिए। 

पुदिने (Mint) से होने वाले दुश परिणामो से बचने के लिए संतुलित मात्रा में ही पुदिने (Mint) का इस्तेमाल करें।

नारियल पानी पीने के अढ़्भुद स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Drinking Coconut Water

सदियों से, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लोग ताज़ा हरे नारियल से निकालने वाले पानी के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानते हैं। प्रत्येक हरे नारियल में लगभग 200 से 1000 मिलीलीटर (लगभग 1 से 4 कप) नारियल पानी (Coconut Water) होता है। यह स्वादिष्ट, ताज़ा और कम कैलोरी वाला प्राकृतिक पेय है। कच्चे नारियल का पानी पके हुये नारियल की तुलना में अधिक पोषक होता है।

यह एंटीऑक्सिडेंट, एमिनो एसिड, एंजाइम, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, विटामिन सी, लोहा, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और जस्ता जैसे खनिजों से भरपूर है। नारियल पानी (Coconut Water) में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते है। साथ ही, इस स्वास्थ्य पेय प्रदर्शन में साइटोकिनीन नामक हार्मोन एंटीथ्रोमोटिक और एंटीकैसर प्रभाव दिखाते हैं। 
आइए जानते है की नारियल पानी (Coconut Water) पीने के और कौन-कौन से स्वस्थ्य लाभ है :

शरीर को हाइड्रेटेड रखने में 
नारियल का पानी उष्णकटिबंधीय गर्मी की प्यास को मिटाने के लिए एक उत्कृष्ट पेय है। इसकी इलेक्ट्रोलाइट संरचना के कारण, डायरिया, उल्टी या अत्यधिक पसीने के कारण निर्जलीकरण और तरल पदार्थ के नुकसान की भरपाई करने के लिए नारियल पानी (Coconut Water) का इस्तेमाल किया जा सकता है। कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है तथा यह आपके ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है।

स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन के अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी जर्नल में प्रकाशित 2012 के एक अध्ययन में पाया गया कि नारियल के पानी और खेल पेय (Sports Drink) के एक समान सकारात्मक प्रभाव है।

रक्तचाप को कम करने में 
विटामिन-सी, पोटेशियम और मैग्नीशियम की उपस्थिती के कारण नारियल पानी (Coconut Water) को उच्च रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए अच्छा स्त्रोत माना जाता है। नारियल पानी (Coconut Water) में मौजूद पोटेशियम, सोडियम के नकारात्मक प्रभावों को संतुलित करके, रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करने के लिए, दिन में दो बार ताजा नारियल पानी (Coconut Water) का इस्तेमाल आप पीने के लिए कर सकते हैं। 

2005 में वेस्ट इंडियन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि नारियल का पानी नियंत्रण उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।

हृदय के लिए टॉनिक के रूप में 
कोलेस्ट्रॉल और वसा रहित कच्चे नारियल का पानी कार्डियोप्रोटेक्टिव (Cardio Protective) प्रदान करता है। यह निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL या 'खराब' कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में मदद करता है और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (HDL या 'अच्छा' कोलेस्ट्रॉल) स्तरों में वृद्धि करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। इसके अलावा, नारियल के पानी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीप्लेटलेट गुण हैं जो परिसंचरण को बेहतर बनाने में मदद करते है। जिसके कारण धमनियो में किसी भी प्रकार का कोई गठन नहीं होता और दिल का दौरा पड़ने का जोखिम भी कम होता है। 

अत्याधिक नशे के प्रभाव को कम करने में 
नशे के प्रभाव को कम करने में नारियल का पानी एक महान प्राकृतिक उपाय भी है। एल्कोहल शरीर में निर्जलीकरण का कारण बनता है। नारियल पानी (Coconut Water) शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की भरपाई करता है और जलयोजन को बढ़ाता है, जिससे आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा, इस पुनर्जन्मित स्वास्थ्य पेय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, अत्याधिक एल्कोहल के सेवन से पैदा होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते है। 

इसके लिए आप दो कप नारियल के पानी में ,दो पके हुये आम ,2-3 चम्मच नींबू का रस, 2-3 पुदीने की पत्तिया और आधा कप बर्फ मिलाकर एक प्राकृतिक शीतल पेय बना सकते है। 

वजन कम करने में 
नारियल का पानी वजन घटाने के लिए एक आदर्श पेय है। यह कैलोरी में कम है और पेट के लिए फायदेमंद है। वास्तव में, यह हल्का और ताज़ा पेय विभिन्न बायोएक्टिव एंजाइम से भरपूर है जो पाचन को बढ़ावा देने और वसा मेटाबोलिस्म में मदद करता है। इसके अलावा, नारियल का पानी पोटेशियम में समृद्ध है, जो सोडियम को संतुलित करने में मदद करता है। शरीर में अत्यधिक सोडियम जल प्रतिधारण (Water Retention) का कारण बनता है और आपका वजन बढ़ता है। इस प्रकार, नारियल का पानी आपके शरीर से अतिरिक्त पानी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। वजन घटाने के लिए आप इस स्वास्थ्य पेय के 8-औंस गिलास हफ्ते में 3-4 बार पी सकते हैं। इससे अधिक इसका इस्तेमाल न करें। 

सिरदर्द को कम करने में
अधिकांश सिरदर्द, यन्हा तक की माइग्रेन पैन (Migraine Pain) भी निर्जलीकरण के कारण शुरू होते है। ऐसे मामलों में, नारियल का पानी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की आपूर्ति और जलयोजन बढ़ाने में बहुत मदद कर सकता है। इसके अलावा नारियल पानी (Coconut Water) में मैग्नीशियम की भी अधिकता पायी जाती है। माइग्रेन (Migraine ) से पीड़ित लोगो में अक्सर मैग्नीशियम की कमी पायी जाती है। अध्ययन यह भी सुझाव देते हैं कि नारियल पानी (Coconut Water) में मौजूद मैग्नीशियम, माइग्रेन अटेक्स (Migraine Attacks ) की आवृत्ति कम करने में भी मदद कर सकता है।

pH लेवेल के स्तर को बनाए रखने में 
तनाव, एसिड बनाने वाले खाद्य पदार्थ, उच्च आहार जैसे संसाधित फास्ट फूड, अक्सर अम्लीय पीएच (Acidic pH) स्तर में योगदान करते हैं जो कम ऊर्जा का कारण बनते हैं और विटामिन और खनिजों को अवशोषित करने के लिए शरीर की क्षमता को कम करते हैं। अम्लीय पीएच (Acidic pH ) , तनावग्रस्त जिगर, गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और प्रतिरक्षा की कमी जैसी समस्याओं में योगदान देता है। नारियल पानी (Coconut Water) क्षारीय असर (alkalizing effect) के कारण शरीर में स्वस्थ पीएच को बहाल करके अम्लीय पीएच स्तर से पैदा होने वाली जलन को कम करने में मदद करता है।

रक्त शर्करा (Blood Sugar) को नियंत्रित करने में 
नारियल पानी (Coconut Water) में अमीनो एसिड (Amino Acid ) और आहार फाइबर (Dietary Fiber) होता है जो रक्त शर्करा को विनियमित करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह मधुमेह रोगियो द्वारा सामना किए जाने वाले सामान्य समस्याओं मे भी सहायता करता है। यह आपके वजन को प्रबंधित करने में मदद करता है। चूंकि यह परिसंचरण में सुधार करने में सहायता करता है इसलिए नारियल पानी (Coconut Water) पैरों में सुन्नता जैसे लक्षणों को कम करने और एथेरोसलेरोसिस (Atherosclerosis) को विकसित करने की प्रवृत्ति के लिए भी अच्छा है। 
2012 में जर्नल फूड एंड फंक्शन में प्रकाशित एक अध्ययन में परिपक्व नारियल पानी (Coconut Water) के चिकित्सीय प्रभावों का अध्ययन किया गया और पाया कि इससे रक्त शर्करा का स्तर और ऑक्सीडेटिव तनाव कम करने में मदद मिली।

प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में 
नारियल पानी (Coconut Water) एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है। यह मूत्र उत्पादन और प्रवाह को बढ़ावा देता है और आपके शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह मूत्र पथ के संक्रमण जैसी समस्याओं को रोकने में भी मदद करता है। पोटेशियम की उपलब्धता के कारण, नारियल पानी (Coconut Water) में मूत्र क्षार(Alkalize Urine) को कम करने में मदद मिलती है तथा कुछ प्रकार की गुर्दा पथरी को घुलनशील करके उन्हें शरीर से बाहर निकल जाने में भी सहायता मिलती है। इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए, नारियल पानी (Coconut Water) के एक कप में समुद्री नमक (Sea Salt) का एक चुटकी डालकर, दिन में एक या दो बार सेवन कर सकते है। इसके मूत्रवर्धक गुणों के अतिरिक्त, नारियल के पानी में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो मूत्राशय संक्रमण से लड़ने में सहायता करते हैं।

बूढ़ा होने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए
नारियल पानी (Coconut Water) में साइटोकिनीन (cytokinins) होता है जो कोशिकाओं और ऊतकों पर उम्र बढ़ने से होने वाले प्रभावों को कम करने में मदद करता है। ताज़ा हरे नारियल का पानी आपकी त्वचा को नरम और चिकनी बनाए रखने के लिए पोषण करता है और त्वचा को हाइड्रेट बनाए रखता है। 2 चम्मच चंदन के पाउडर के साथ पर्याप्त नारियल पानी (Coconut Water) मिलाकर एक पेस्ट बना ले और इसका इस्तेमाल त्वचा पर करें। 

सावधानिया:
  • नारियल पानी (Coconut Water) नट एलर्जी वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। 
  • यह कुछ लोगों में सूजन और पेट में परेशानी का कारण हो सकता है। निर्धारित सर्जरी के कम से कम 2 सप्ताह पहले नारियल पानी (Coconut Water) न पिये क्योंकि यह सर्जरी के दौरान और बाद में रक्तचाप के नियंत्रण में हस्तक्षेप कर सकता है।
  • गुर्दा रोग से ग्रस्त लोगों को उनके स्वास्थ्य आहार में नारियल पानी (Coconut Water) शामिल करने से पहले उनके डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

खीरा (Cucumber) खाने के 16 स्वास्थ्य लाभ | 16 Health Benefits of Eating Cucumber


आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए
यदि आप की कार्यशैली अत्यंत व्यस्त है और आप दिन में बहुत कम पानी पीते है तो आप ठंडे ताज़े खीरे का सेवन कर सकते है। खीरे का 96% भाग पानी होता है। यह आप के शरीर में पानी की मात्रा को पूरा करने में मदद करता है।

आंतरिक और बाहरीय गर्मी से छुटकारा
खीरे (Cucumber) का इस्तेमाल आप खुद को गर्मी से बचाने के लिए भी कर सकते है। यदि आप सन-बर्निंग (Sun Burning ) या फिर त्वचा की चुभन से परेशान है तो आप खीरे (Cucumber) के टुकड़ो को अपनी त्वचा (Skin) पर रगड़ कर इस से छुटकारा पा सकते है। इसके अलावा खीरा (Cucumber) खाने से आपको पेट की जलन इत्यादि में भी आराम पहुंचता है।

विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में
खीरा (Cucumber) शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में एक वर्चुअल झाड़ू की तरह कार्य करता है। खीरे (Cucumber) का नियमित इस्तेमाल गुर्दे की पथरी ( Kidney Stone) को भंग करने के लिए जाना जाता है।

विटामिन से भरपूर
खीरे (Cucumber) में पाया जाने वाला विटामिन A,B और C आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और आपको सदैव ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा आप खीरे(Cucumber), गाजर (Carrot) और पालक (Spinach) का जूस बना कर भी शरीर को पौषण दे सकते है।

वजन घटाने में
खीरे (Cucumber) का इस्तेमाल आप स्नैक्स की तरह भी कर सकते है। इसके लिए आप खीरे (Cucumber) को सलाद (Salad) के तौर पर या फिर सूप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते है।

त्वचा (Skin) के अनुकूल खनिज प्रदान करने में 
त्वचा (Skin) के अनुकूल खनिज पदार्थो जैसे मैग्नीशियम, पोटेशियम, सिलिकॉन की आपूर्ति करता है। यही कारण है की खीरे (Cucumber) पर आधारित उपचार स्पा (Spa) में लोकप्रिय हो रहे है।

आंखो को आराम देने में
आंखो पर ठंडे खीरे (Cucumber) के स्लाइस रखने से आँखों को ठंडक मिलती है तथा आँखों की जलन व सूजन कम करने में बहुत मदद मिलती है।

कैंसर के खतरे को कम करने में
कई अध्ययनों से ये बात सामने आई है की खीरा कैंसर से लड़ने में मदद करता  है।

रक्त चाप नियंत्रित करने में
खीरे (Cucumber) का इस्तेमाल हाइ-ब्लड प्रैशर या फिर लो-ब्लड प्रैशर के रोगी आराम महसूस करने के लिए कर सकते है।

मुह को तरो-ताज़ा बनाए रखने में
खीरे (Cucumber) का जूस आपके मुह को ताज़ा बनाए रखता है तथा रोगग्रस्त मसूड़ों को ठीक करके मुह से उत्पन्न होने वाली दुर्गंध को भी कम करता है।

बालों और नाखूनो को चमकदार बनाए रखने के लिए
खीरे (Cucumber) में मौजूद वंडर पदार्थ सिलिका आपके बालों और नाखूनो को चमकदार बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से राहत के लिए
खीरे (Cucumber) में पाये जाने वाले विटामिन और अन्य पदार्थ इसे जोड़ो के दर्द से आराम पहुंचाने में करते है।

गुर्दो के लिए 
खीरा (Cucumber) शरीर में यूरिक-एसिड के लेवेल को कम करके गुर्दो को बचाए रखता है।

मधुमेह रोग के लिए
खीरे (Cucumber) का मधुमेह रोगी स्वाद के साथ-साथ स्वाथ्य लाभ भी उठा सकते है। कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए खीरे (Cucumber) में मौजूद स्टेरोल्स (Sterols) खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

आइए जाने जलती धूप से कैसे करें त्वचा की देखभाल | Home Remedies to Protect Skin from Sun Burning

दोस्तो गर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है और ये मौसम घूमने , मौज मस्ती करने का वक़्त होता है। खुला नीला आसमान और तरह तरह के फूलो , फलों से भरे हुये बाज़ार , हर तरफ आपको कुदरत के अलग अलग रंग नज़र
आएंगे। इन सभी के साथ-साथ ये मौसम जो ले के आता है वो है गर्मी और सूरज की तेज किरणों से होने वाली सन बर्निंग (Sun Burning ) की समस्या। पराबैंगनी किरणों के अत्यधिक प्रभाव में आने से आपकी त्वचा (Skin) क्षतिग्रस्त हो सकती है। जिसके कारण आपको त्वचा (Skin) को लालिमा और जलन जैसे समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है। 

ये समस्या एक दम से सामने नहीं आती परंतु 5-6 घंटो के बाद आप इसके परिणाम देख सकते है। यदि इस समस्या को समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो ये सन बर्निंग (Sun Burning) त्वचा (Skin) कैंसर होने की संभावनाओ को दुगना कर सकती है। 

परहेज ही बचाव है 

  • · सन बर्निंग (Sun Burning) से बचने का सबसे पहला और अच्छा तरीका है परहेज।
  • · सुबह 10 से शाम 4 बजे तक गर्मी में निकालने से बचे। इस समय सूरज की किरने बहुत तेज़ होती है। 
  • · शरीर को ढक कर रखे ताकि त्वचा (Skin) सूरज की किरणों के सीधे प्रभाव में ना आ सके। हो सके तो सन ग्लासेस (Sun Glasses) का भी इस्तेमाल करें। 
  • · सूरज की किरणों के सीधे प्रभाव में आने वाले अंगो पर नियमित तौर पर संसक्रीन (Sunscreen) का इस्तेमाल करें। 
यदि फिर भी आप सन बर्निंग (Sun Burning) से प्रभावित है तो आप कुछ प्राकृतिक उपाय घर पर उपयोग करके अपनी त्वचा (Skin) को बचाए रख सकते है। 

बेकिंग सोडा (Baking Soda) 
बेकिंग सोडा क्षारीय प्रवृति के कारण सनबर्न (Sunburn) त्वचा (Skin) पर बहुत अधिक प्रभावी रूप से कार्य करता है। इसके एंटीसेप्टिक गुणो के कारण यह सनबर्न (Sunburn) से पैदा होने वाली जलन को कम करने और त्वचा (Skin) को स्वस्थ होने में मदद करता है। बाथ टब को ठंडे पानी से भरने के बाद उसमें एक कप बेकिंग सोडे का डालें और इसे अच्छी तरह से पानी में घोल लें । इस पानी में कम से कम 15 मिनट तक अपने शरीर को भिगोये रखे। टब से बाहर आने के बाद शरीर को हवा से सूखने दें। इस क्रिया का इस्तेमाल नियमित तौर पर तब तक करें जब तक आपको सकारात्मक परिणाम न मिले। 

चार चमच बेकिंग सोडे को पानी में मिलाकर एक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट का इस्तेमाल सीधे तौर पर सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर करें। अब इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दे। अपनी स्थिति की गंभीरता के आधार पर दिन में एक या दो बार इस उपाय का पालन करें।

दलिया 
प्रयाप्त मात्रा में पानी डाल कर दलिये को पकाए। दलिये से पक जान पर इसे ठंडा होने दे। अब इसे सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर लगाए और कम से कम आधे घंटे के लिए छोड़ दे। और फिर इसे ठंडे पानी से धो ले। इस उपाय को दो या तीन बार एक दिन में आवश्यकता के अनुसार उपयोग करें। 

एलोवेरा 
एलोवेरा के पत्तों से जेल निकाल कर इसे ठंडा होने के लिए कम से कम 30 मिनट के लिए फ्रिज में रख दे। अब इस जेल की ठंडी परत को सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर लगाए। इसे सूखने के लिए छोड़ दें ताकि त्वचा (Skin) औषधीय गुणों को पूरी तरह अवशोषित कर सके। दिन में कम से कम 4-5 बार इसका इस्तेमाल करें। यदि आपके पास एलोवेरा नहीं है तो आप बाज़ार से भी एलोवेरा जेल खरीद सकते है। 

काली चाय 
चाय के दो टी-बैग लेकर उसे पानी में उबाल ले। पानी को ठंडा होने दे। अब इस पानी में एक कपड़ा भिगो ले। इस कपड़े का इस्तेमाल सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर करें। इस कपड़े को तब तक न उठाए जब तक यह सुख नहीं जाता। ये न केवल त्वचा (Skin) को ठीक होने में मदद करेगा बल्कि त्वचा (Skin) के pH लेवेल को भी बनाए रखेगा। 

सेब का सिरका 
बाथ टब को ठंडे पानी से भरने के बाद उसमें सेब का सिरका डालें और इसे अच्छी तरह से पानी में घोल लें । इस पानी में कम से कम 30 मिनट तक अपने शरीर को भिगोये रखे। ये त्वचा (Skin) के pH लेवेल को बनाए रखने के साथ साथ उसे ठीक होने में भी मदद करेगा। 

बर्फ 
एक कपड़े में बर्फ के टुकड़े डाल कर सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर दबाब डाले। सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) को अधिक से अधिक ठंडा होने दे। ठंडक के कारण छोटी रक्त वाहिकाओ में कसाव आता है और सूजन कम होने लगती है। 

दूध 
एक कप दूध में थोड़ा पानी और बर्फ के टुकड़े डाल लें। अब इस पानी में एक कपड़ा भिगो ले। इस कपड़े का इस्तेमाल सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर करें। इस कपड़े को तब तक न उठाए जब तक यह सुख नहीं जाता। दूध से बनने वाली प्रोटीन की परत दर्द से राहत देने में मदद करेगी। 

नारियल का तेल 
नारियल के तेल का सीधे रूप से सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर इस्तेमाल करें। यह हल्का होता है और त्वचा (Skin) इसे जल्दी सोख लेती है। नारियल के तेल में मौजूद विटामिन-ई एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करता है, जो सनबर्न के कारण सूजन को कम करने में मदद करता है।

शहद 
शहद का सीधे तौर पर सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर इस्तेमाल करें। त्वचा (Skin) शहद में मौजूद नमी को सोख लेगी। इसके अलावा शहद में मौजूद एक एंजाइम त्वचा (Skin) को स्वस्थ होने में मदद करता है। इसके अलावा आप शहद को स्वस्थ बने रहने एवं तवचा को चमकदार बनाए रखने के लिए भी खा सकते है। 

आलू 
सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) को ठीक करने में आलू असरदार है आलू में मौजूद नैचुरल स्टार्च त्वचा (Skin) से गर्मी को बाहर निकालने में मदद करता है। आलू को छील कर उसका पेस्ट बना लें। इसे सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर इस्तेमाल करें। इस पेस्ट को सुख जाने पर ठंडे पानी से धो लें। इसके अलावा आप कटे हुये आलू के टुकड़े को भी सनबर्न (Sunburn) प्रभावित त्वचा (Skin) पर लगा सकते है। 

संगीत सुनने के स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Listening to Music

क्या आप जानते है की संगीत (Music)  सिर्फ संगीत (Music)  ही नहीं बल्कि एक दवा भी है। संगीत (Music)  अपने आप में एक उपचार है। यह मानवता की एक विस्फोटक अभिव्यक्ति है। संगीत (Music)  वो चीज़ है जो निराशा को आशा में बदल सकती है , नफरत को प्यार में बदल सकती है। यह एक ऐसी चीज़ है जिसे हर किसी ने अपनी ज़िंदगी में शामिल किया है। “और संगीत (Music)  के बारें में सबसे अच्छी बात ये है की जब ये आपसे टकराता है तब आपको कहीं दर्द नहीं होता”
आइए जाने संगीत (Music)  सुनने के कौन-कौन से शारीरिक और मानसिक लाभ है:
  • संगीत (Music)  आपको खुश बनाए रखता है
    संगीत (Music)  सुनने के 15 मिनट भीतर ही आपका दिमाग डोपामाइन (Dopamine) न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter)का निर्माण करता है और आप में खुशी की भावनाओं की वृद्धि करने में मदद करता है।
  • तनाव (Stress) घटाने में
    संगीत (Music)  का हमारे हार्मोन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यदि आप अपनी पसंद का संगीत (Music)  सुनते है तो यह आपके शरीर में हार्मोन कोर्टिसोल (Hormone Cortisol) के स्तर को कम करता है और आपको पुराने तनाव से मुक्ति मिलती है। 60% बीमारियो का कारण केवल तनाव होता है। संगीत (Music)  के द्वारा आप तनाव को कम करके अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रख सकते है।
  • नींद में सुधार
    कई अध्यनों से ये बात उभर कर सामने आयी है की सोने से 1 घंटा पहले मधुर ,आरामदेह और शास्त्रीय (Classical) संगीत (Music)  सुनना आपकी नींद सुधार सकता है।
  • डिप्रेशन (Depression) को कम करने में
    350 मिलियन से अधिक लोगों को दुनिया भर में अवसाद (Depression) से ग्रस्त हैं और उनमें से 90% भी अनिद्रा का अनुभव करते है। अध्यनों से यह साफ हुया है कि संगीत (Music)  सुनने वाले लोग डिप्रेसन से जल्दी बाहर निकाल पाएँ है। इसका कारण यह है कुछ धुने मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के निर्माण में मदद करती है और आपको खुश बनाए रखती है।
  • संगीत (Music)  कम खाने में मदद करता है
    शोध से ये बात भी उभर कर सामने आई है कि मधुर संगीत (Music)  सुनते हुये लोग कम खाना खाते है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग उस खाने को पूरा आनंद उठा कर खाते है।
  • रक्त बहाव को संतुलित करने में
    अध्यनों से ये बात भी सामने आई है कि संगीत (Music)  सुनना आपके शरीर में रक्त के बहाव को नियंत्रित करता है और आपकी रक्त धवनियों को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • सीखने कि क्षमता (Learning) और स्मृति (Memory )बढ़ाने में
    संगीत (Music)  सुनना  आपके सीखने कि कुशलता और याद रखने कि क्षमता को बढ़ा सकता है। हालांकि ये आप पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का संगीत (Music)  सुनते है या फिर किस प्रकार के वाद्य यंत्र (Musical Instrument) को आप बजाते है।
  • वर्बल इंटेलिजेंस (Verbal Intelligence) शैक्षिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए को बढ़ाने के लिए
    एक अध्यन से ये बात सामने आई है कि 90% बच्चो में ,जिनकी उम्र 4 से 6 वर्ष थी , एक महीने संगीत (Music)  की  शिक्षा लेने के बाद वर्बल इंटेलिजेंस (Verbal Intelligence) में वृद्धि पायी गयी। शोध में यह बात भी सामने आई की संगीत (Music)  के द्वारा  बच्चों के शब्दों को समझने और सबदों के अर्थ समझने की क्षमता में वृद्धि हुई है।

करेला खाने के 12 स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Eating Bitter Gourd

भारत में शायद कोई ही ऐसा व्यक्ति हो जिसे करेला कड़वा होने के बावजूद पसंद न हो। भरवे करेले (Bitter Gourd) का नाम सुनते ही मुह में पानी आ जाता है। भारत में करेले (Bitter Gourd) का अधिकतर इस्तेमाल सब्जी के रूप में ही किया जाता है। लेकिन आज आपको बताते है की करेला खाने के कितने अधिक स्वास्थ्य लाभ है और इसका इस्तेमाल कौन-कौन से तरीके से किया जा सकता है। आप करेले का इस्तेमाल जूस की तरह भी कर सकते है। करेले के साथ साथ इसके पत्तों का भी इस्तेमाल  किया जा सकता है।
 
श्वसन समस्याओं के लिए
करेला अस्थमा, सर्दी, खाँसी, आदि जैसे श्वसन समस्याओं का इलाज करने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। इसके लिए आप करेले (Bitter Gourd) के पत्तों और तुलसी के पत्तों का पेस्ट बना ले और सुबह के समय शहद के साथ इसका सेवन करें। (1)

लिवर टॉनिक के रूप में 
करेले (Bitter Gourd) के जूस का एक गिलास प्रतिदिन पीने से आप लिवर से संबन्धित किसी भी समस्या से छुटकारा पा सकते है। (2)

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए 
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए करेले (Bitter Gourd) के पत्तों या फिर करेले (Bitter Gourd) को पानी में उबाल ले। इस पानी का नियमित तौर पर इस्तेमाल करें। यह संक्रमण के खिलाफ लड़ने तथा आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने रखने में आपकी मदद करेगा। (3)
 
त्वचा संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए
मुहासों, त्वचा संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए भी आप करेले (Bitter Gourd) का नियमित रूप से इस्तेमाल कर सकते है। करेला खून विकारों जैसे फोड़े, खुजली, दाद इत्यादि रोगों के इलाज में उपयोगी है। इसके साथ साथ यह आपको जवान बनाए रखने में भी मदद करता है। 6 महीने या फिर जब तक आप वांछित परिणाम प्राप्त न कर ले नींबू के जूस के साथ करेले (Bitter Gourd) के जूस का मिश्रण सुबह खाली पेट इस्तेमाल करें। (4)

मधुमेह के इलाज़ के लिए मधुमेह के इलाज़ के लिए
करेले (Bitter Gourd) का इस्तेमाल भारत तथा चीन में सदियो से किया जा रहा है। करेले (Bitter Gourd) से टाइप 2 डायबिटीज पर काबू पाने में मदद मिलती है। टाइप 2 मधुमेह का मुख्य कारण इंसुलिन की कमी के कारण सेल्स द्वारा शर्करा को अवशोषित न कर पाना या इंसुलिन के प्रतिरोध के विकास है। इन दोनों ही स्थितियो में सेल्स शर्करा को अवशोषित नहीं कर पाते। कोशिकाओं में शर्करा का अवशोषण एएमपी-सक्रिय(AMP-Activated) प्रोटीन कीनेज(Kinase) द्वारा होता है। करेला कीनेज को बढ़ावा दे कर शर्करा के अवशोषण को नियंत्रित करता है। और शर्करा के स्तर को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। (5)

कब्ज से छुटकारा पाने में 
फाइबर के कारण करेला कब्ज से छुटकारा पाने में भी आपकी मदद करता है। इससे भोजन अच्छी तरह से पच जाता है और कचरे को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। जो अपच और कब्ज संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। (6)

गुर्दे की पथरी पैदा होने के जोखिम को कम करने में  
गुर्दे की पथरी पैदा होने के जोखिम को कम करने में भी करेले (Bitter Gourd) का इस्तेमाल किया जा सकता है। लैंगोन मेडिकल सेंटर के मुताबिक अगर आप मोटापे से ग्रस्त हो तो पत्थरी को विकसित करने की संभावना बढ़ जाती है। करेले के 124 ग्राम में केवल 21 कैलोरी ही पाये जाते है। इस तरह आप करेले का सेवन करके अपने वजन को नियंत्रित करके गुर्दे की पथरी पैदा होने के जोखिम को कम कर सकते है। (7)

हृदय एवं रक्त के लिए 
हृदय एवं रक्त के लिए भी करेला कई तरह से उपयोगी है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवेल को नियमित बनाए रखता है जिसके कारण धमनियो में रक्त का थक्का पैदा नहीं होता और हृदय घात (Heart Attack) होने के जोखिम कम करता है। (8)

कैंसर के इलाज में 
करेले का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में भी किया जाता है। करेला कैंसर ग्रसित कोशिकाओ के विकास को रोकता है। एक शोध में यह पाया गया की जिन लोगो ने करेले के जूस का सेवन किया उनमें कैंसर ग्रसित कोशिकाओ के विकास में लगभग 60% की पायी गयी। (9)

वजन को कम करने 
वजन को कम करने के लिए भी करेले का सेवन किया जा सकता है। करेले में मौजूद एंटीओक्सीडेंट्स शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने में मदद करते है। फलवरूप हमारा मेटाबोलिस्म एवं पाचन तंत्र स्वस्थ होता है और वजन कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा 124 ग्राम करेले से केवल 21 केलोरीस ही मिल पाती है। परिणाम स्वरूप हम ज्यादा खाने के बाद भी वजन को नियंत्रित रख सकते है। इसके अलावा करेले में पानी की अधिक मात्रा पायी जाती हे। और हम सभी ये अच्छी तरह से जानते हे की पानी भूख को दबाने का काम करता हे और हम अधिक खाने से बच जाते है। करेले का 80-85% भाग केवल पानी होता है। (10)

शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में 
करेले के जूस का नियमित सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है। स्थिरता और ऊर्जा के स्तर के बढ्ने के कारण आप अच्छी नींद का आनंद उठा सकते है। (11)

त्वचा के बचाव में
त्वचा के बचाव में भी करेला महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। त्वचा को कई तरह के संक्रमण से बचाने,त्वचा को चमकदार बनाए रखने, घावो के जल्दी भरने, चेहरे की लकीरों को कम करने, त्वचा को सन बर्निंग से बचाने इत्यादि में मददगार है।(12)

बालों के लिए 
करेले और करेले के जूस का इस्तेमाल आप बालों को चमकदार बनाने, रूसी से छुटकारा पाने, उलझे और बेजान बालों से मुक्ति पाने, तथा बालों के झड़ने की समस्या को कम करने के लिए भी कर सकते है।(13)


नोट: यद्धयपी करेला स्वस्थ्य के लिए लाभप्रद है परंतु फिर भी इसका इस्तेमाल अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए यह हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओ को इसका सेवन कम करना चाहिए क्यों की यह उनमें प्रसव पीड़ा का कारण बन सकता है। इसके अलावा मधुमेह रोगियो को भी इसका सेवन केवल चिकित्सक से परामर्श करने के पश्चात ही करना चाहिए।

बालों को कलर करने के साइड एफ़्फ़ेक्ट्स | Side Effects of Hair Colouring that every Girl must Know

बालों को कलर करना एक केमिकल प्रक्रिया है। हर प्रकार के हैयर कलर में अमोनिया पाया जाता है। और यदि कोई इस बात से इन्कार करता है तो उस उत्पाद में अमोनिया की जगह अमाइन्स (Amines) पाया जाता है। हैयर कलर को बनाने के लिए लगभग 5000 तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें से कुछ को तो कैंसर का कारण भी माना गया है। इसके अलावा भी आपको बहुत सी अन्य स्वास्थ्य समस्यायों सामना करना पड़ सकता है।

गंभीर एलर्जी रिएक्शन
चाहे आप अपने बालों को सुंदर बनाने के लिए कलर कर रहे हो या फिर उन्हे सफ़ेद दिखने से बचाने के लिए दोनों ही स्थितियो में आप अनेक प्रकार की एलेर्जी को बुलावा दे रहे होते है। बालों में चमक लाने के लिए P-PHENYLENEDIAMINE (पीपीडी) नामक रसायन का उपयोग किया जाता है जो कई प्रकार की एलेर्जी होने का कारण है। इसीलिए हर हैयर कलर के
अंदर आपको निर्देश के तौर पर "पैच परीक्षण" करने के लिए सलाह दी जाती है। इस खतरे का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते है की ब्रिटेन में रहने वाली 17 वर्षीय तबिथा म्क्कौर्ट (Tabitha McCourt) की रसायनिक क्रिया के कारण बाल कलर करने के 20 मिनट के अंदर ही मृत्यु हो गयी थी। इसके अलावा सिर में खुजली होना या लाल हो जाना, रूसी, आंखों और पलकों के आसपास सूजन जैसे कई लक्षण भी सामने आ सकते है। 

दमा (Asthma)
लाखों लोगों को पहले से ही पराग, मिट्टी, और रसायनों से श्वास एलर्जी होती है। अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग फेफड़ों की सूजन से ग्रसित होते है उन लोगो में हैयर कलर इस्तेमाल करने के कारण दमा होने की संभावना अधिक होती है। ब्लीचिंग एजेंट्स और हैयर कलर में परसलफटेस (Persulphates) पाये जाते है और लगभग 60% वाणिज्यिक बाल उत्पादों में यह पाया जाता है। निरंतर उपयोग से यह श्वास द्वारा शरीर में प्रवेश करके खांसी, गले में तकलीफ, घरघराहट, फेफड़ों की सूजन, और पूर्ण विकसित अस्थमा जैसी क्यी स्वास्थ्य समस्यायों का कारण बनता है। 

कैंसर 
हैयर कलर्ज़ में मौजूद पीपीडी (PHENYLENEDIAMINE) गंभीर एलर्जी रिएक्शन उत्पन्न करने के साथ-साथ महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर का भी कारण है। अध्ययनो के अनुसार, जो महिलाए 5 साल या उससे अधिक समय से सैलून उद्योग में काम कर रही थी उनमें ये समस्या अधिक पायी गयी। 

इसके अलावा राष्ट्रीय कैंसर संस्थान से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 30% गैर Hodgkin लिंफोमा(Non-Hodgkin Lymphoma) के मामले नियमित रूप से हैयर कलर करने वालें लोगो में पाये गए है। यह लसीका ऊतक (Lymph Tissue) का कैंसर है और जैसे-जैसे यह बढ़ता जाता है यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करके शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कम करता जाता है। 

भंगुर बाल
यदि आप अक्सर अपने बाल कलर करते है तो रंगों में मौजूद रसायनों के कारण आपके बाल अधिक संसाधित (Over-Processed) हो जाते है। रंगो में मौजूद केमिकल्स आपके सिर की नमी को कर करके बालों को सूखे व बेजान बना देते है। और कभी कभी तो इस समस्या को दूर करने के किए अपने बालों टीके को कटवाना पड़ता है। 

अगले आर्टिक्ल में हम आपको बताएंगे की कैसे आप नैचुरल कलर घर पर बना सकते है वो भी बिना किसी केमिकल का इस्तेमाल किए