उपदेश | हिन्दी कहानी | Hindi Story

Posted by अटपटी ख़बरे

किसी समय की बात है एक माँ अपने बेटे की मीठा खाने की लत से बहुत परेशान थी। उसने हर संभव प्रयतन किए परंतु नाकाम रही। पास ही के एक गाँव में एक साधू महाराज पधारे हुये थे। किसी ने उस महिला को उस साधू की शरण में जाने की सलाह दी। महिला अपने पुत्र को ले कर साधू के डेरे पर जा पहुंची। काफी देर इंतजार करने के बाद उसकी बारी आई तो उसने सारी बात साधू को बता दी। साधू ने स्त्री को एक हफ्ते बाद फिर से अपने डेरे पर आने के लिए कहा। महिला बहुत मायूस हो गयी क्योंकि उसने सारा दिन इंतज़ार भी किया और फिर भी उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ।

एक हफ्ता इंतज़ार करने के बाद वो फिर से साधू के डेरे पर पहुंची। काफी समय इंतज़ार के बाद उसकी बारी आ गयी। साधू ने बच्चे को अपने पास बुलाया और बोला “आज से मीठा खाना छोड़ दो”। स्त्री को साधू की बात पर बहुत गुस्सा आया और वो बोली “महाराज अगर आपको केवल यही बात कहनी थी तो पिछले सप्ताह ही कह देते। मुझे एक सप्ताह इंतज़ार कराने की क्या जरूरत थी”

साधू महिला की और मुड़े और हँसते हुये जबाब दिया “एक हफ्ते पहले तक में मीठा खाता था। फिर मैंने एक सप्ताह मीठा खाना छोड़ कर देखा। और जब में सफल रहा तब मैंने ये बात इस बालक को करने के लिए कही। जब तक में किसी वस्तु को खुद ही नहीं त्याग सकता तब तक में किसी और को कैसे कुछ त्यागने के लिए कह सकता हूँ “|

दोस्तो ये बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। हम हर दिन किसी न किसी को कुछ न कुछ बुरी आदत छोड़ने के लिए प्रेरित करते रहते है परंतु हम खुद ही नहीं जानते की हम न जाने कितनी बुरी आदतों के आदि है। इसलिए किसी को भी राय देने से पहले उसे अपने जीवन में शामिल करें।

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