किसी गाँव में हरी सिंह नाम का एक कुम्हार रहता था। उसका एक हँसता खेलता परिवार था। हरी सिंह अपनी दो साल की बेटी मन्नत से बहुत प्यार करता था। हरी सिंह उसे बेटी न समझ कर बेटो की तरह पालन पोषण कर रहा था। एक दिन उसकी पत्नी बहुत बीमार पड़ गयी और कुछ ही हफ़्तों में उसकी मृत्यु हो गयी। हरी सिंह इस दुर्घटना से एकदम टूट गया।
हरी सिंह अपनी बेटी का ध्यान नहीं रख पा रहा था। उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी इसलिए रिश्तेदारों के कहने पर उसने दूसरी शादी कर ली। हरी सिंह की दूसरी पत्नी चंदा एक बहुत ही चालाक औरत थी। हरी सिंह के घर से बाहर जाते ही वो मन्नत को बिस्तर पर पटक देती और सारा दिन भूखा प्यासा ही उसे रोने देती। समय के साथ मन्नत बड़ी होती गयी उसी बीच चंदा ने एक बेटे को जन्म दिया। चंदा मन्नत से घर के सारे काम करवाती और सारा दिन उसे खरी-खोटी सुनाती रहती। उसने कभी भी मन्नत को दिल से अपना नहीं माना।
हरी सिंह अपनी बेटी की ये दशा देख कर बहुत दुखी था। चंदा ने जिद करके मन्नत का विवाह एक बहुत गरीब लड़के से करवा दिया। और कुछ समय के बाद उसने बेटे की शादी एक बहुत बड़े खानदान में कर डाली। दहेज में मिले सामान को देख-देख कर चंदा फुले नहीं समा रही थी।
चंदा अब दर-दर की ठोकरे खा रही थी। एक दिन मन्नत अपने पति के साथ मंदिर के सामने से गुजर रही थी तभी उसकी नज़र एक वृद्ध महिला पर पड़ी। मन्नत ने उसे देखते ही पहचान लिया वो गाड़ी से उतरी ओर अपने घर ले गयी। उसने बड़े डाक्टर को बुला कर चंदा का ईलाज करवाया और दिन रात उसकी सेवा की। कुछ ही समय में चंदा ठीक हो गयी वो अपने किए पर बहुत शर्मिंदा थी। बस एक ही बात बार-बार उसके मन में आ रही थी की आखिर सौतेला कौन है ? जिसे उसने जन्म दिया और उसे इस हालत में छोड़ गया वो या फिर वो जिसे उसने हमेशा सौतेला समझा और फिर भी उसके बुरे वक़्त में उसके साथ है “।
हरी सिंह अपनी बेटी का ध्यान नहीं रख पा रहा था। उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी इसलिए रिश्तेदारों के कहने पर उसने दूसरी शादी कर ली। हरी सिंह की दूसरी पत्नी चंदा एक बहुत ही चालाक औरत थी। हरी सिंह के घर से बाहर जाते ही वो मन्नत को बिस्तर पर पटक देती और सारा दिन भूखा प्यासा ही उसे रोने देती। समय के साथ मन्नत बड़ी होती गयी उसी बीच चंदा ने एक बेटे को जन्म दिया। चंदा मन्नत से घर के सारे काम करवाती और सारा दिन उसे खरी-खोटी सुनाती रहती। उसने कभी भी मन्नत को दिल से अपना नहीं माना।
हरी सिंह अपनी बेटी की ये दशा देख कर बहुत दुखी था। चंदा ने जिद करके मन्नत का विवाह एक बहुत गरीब लड़के से करवा दिया। और कुछ समय के बाद उसने बेटे की शादी एक बहुत बड़े खानदान में कर डाली। दहेज में मिले सामान को देख-देख कर चंदा फुले नहीं समा रही थी।
समय बीतता रहा। मन्नत का पति एक मेहनती आदमी था। मन्नत और उसके पति की लगन
और मेहनत से वो कुछ ही वर्षो में बहुत अमीर हो गए। हरी सिंह की मृत्यु के बाद चंदा को कुष्ठ रोग ने घेर लिया। चंदा की हालत देख उसके बेटे और बहू ने उसे घर से निकाल दिया। चंदा अब दर-दर की ठोकरे खा रही थी। एक दिन मन्नत अपने पति के साथ मंदिर के सामने से गुजर रही थी तभी उसकी नज़र एक वृद्ध महिला पर पड़ी। मन्नत ने उसे देखते ही पहचान लिया वो गाड़ी से उतरी ओर अपने घर ले गयी। उसने बड़े डाक्टर को बुला कर चंदा का ईलाज करवाया और दिन रात उसकी सेवा की। कुछ ही समय में चंदा ठीक हो गयी वो अपने किए पर बहुत शर्मिंदा थी। बस एक ही बात बार-बार उसके मन में आ रही थी की आखिर सौतेला कौन है ? जिसे उसने जन्म दिया और उसे इस हालत में छोड़ गया वो या फिर वो जिसे उसने हमेशा सौतेला समझा और फिर भी उसके बुरे वक़्त में उसके साथ है “।
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